गुरुवार, 22 दिसंबर 2011

हर ग्रेजुएट को आईआईटी देगा मौका

अब सामान्य छात्र भी आईआईटी दिल्ली से एमबीए कर सकेंगे। इस प्रतिष्ठित संस्थान ने अपने यहां एमबीए में दाखिला का फार्मूला बदलने का फैसला किया है। दाखिला प्रक्रिया में यह बदलाव 2013 से होने जा रहा है। आईआईटी के डिपॉर्टमेंट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज विभाग मौजूदा पैमाना 10वीं 12वीं 4 वर्ष की स्नातक डिग्री को बदलकर 10वीं 12वीं तीन वर्ष करने जा रहा है। पुराने पैटर्न से बीटेक करने वाले या पोस्ट ग्रेजुएट छात्र ही आईआईटी दिल्ली के एमबीए में दाखिले के योग्य हो पाते थे। नए पैटर्न में बीए, बीकॉम और बीएससी करने वाले छात्र भी यहां से एमबीए कर पाएंगे। एडमिशन कोऑडिनेटर एम पी गुप्ता ने बताया कि प्रतिस्पर्धा के इस समय में किसी उम्मीदवार को मौका देने से वंचित करना ठीक नहीं है। पुराने पैटर्न में जहां कई प्रतिभाशाली छात्रों को नुकसान होता था तो दूसरी तरफ आईआईटी को कई बार योग्य उम्मीदवार नहीं मिल पाते थे। प्रोफेसर गुप्ता ने बताया कि नए पैमाने को लेकर कुछ औपचारिकताएं पूरी होनी अभी बाकी है। इसे 2013 से लागू किया जा सकता है। वर्तमान में कई क्षेत्र जैसे हेल्थ केयर, इंफ्रास्ट्रक्चर, मीडिया और इंटरटेनमेंट आदि में बेहतर प्रोफेशनल की मांग बढ़ी है। किसी छात्र ने स्नातक स्तर पर मेडिकल की पढ़ाई की है तो हेल्थ केयर और मॉस कम्युनिकेशन की पढ़ाई करने वाले छात्र मीडिया और इंटरटेनमेंट में एमबीए कर सकते हैं।

नए साल में 12 फीसदी बढ़ेगी सैलर

अर्थव्यवस्था में धीमी रफ्तार के बीच देश के कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है। ग्लोबल मैनेजमेंट कंसल्टेंसी ग्रुप के सर्वे की मानें तो 2012 में सैलरी में12 फीसदी तक बढ़ोतरी हो सकती है। ग्रुप के मुताबिक भारत में 2011 में सैलरी में 11 फीसदी तक औसत बढ़ोतरी हुई। 2012 में इसके 12 फीसदी होने की उम्मीद है। सर्वे के मुताबिक,जूनियर या मिडिल लेवल ही नहीं, सीनियर मैनेजमेंट स्तर पर भी वेतन में अच्छा इजाफा हुआ। इस साल इसके 11.12 फीसदी रहने की उम्मीद है। ग्रुप ने माना कि भारतीय कंपनियां ज्यादा टिकाऊ रही हैं। विदेशी कंपनियों के मुकाबले मंदी के दौरे में वे ज्यादा मजबूत रहीं। ग्रुप के मुताबिक, इंजीनियरिंग, सेल्स और मार्केटिंग सेक्टर में भर्तियों में इजाफ ा हो रहा है। सर्वे में भारत की 300 कंपनियां शामिल की गईं और 3 लाख 20 हजार से ज्यादा कर्मचारियों के सैलरी डेटा का विश्लेषण किया गया।

रविवार, 18 दिसंबर 2011

मन में रखें उमंग

असफलताओं की सीढ़ी चढ़कर ही व्यक्ति सफलता की मंजिल प्राप्त करता है। इसलिए असफलता को लेकर कतई निराश न हों। कभी एक जगह शांति से बैठकर सोचें. क्या इस दुनिया में कोई ऐसा इंसान हैए जिसने कभी हार का सामना न किया होए जिसने कभी दुःख न देखा होए जिसके राहों में कभी कांटे न आए हों। विचार करने पर आप पाएंगे कि ऐसा एक भी इंसान नहीं है। विचार करने पर आप एक और चीज पाएंगे कि कुछ लोग तकलीफों में बिलकुल हार जाते हैंए लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं जो बार.बार असफल होने पर भी हिम्मत नहीं हारते और एक दिन अपनी मंजिल पा ही लेते हैं। छोटे बच्चों को गेंद खेलते देखा है कभी। गेंद को जब वह जोर से जमीन पर मारते हैंए वह फिर ऊपर उछल जाती है। जितना जोर से उसे जमीन पर मारते हैंए वह उतना ही जोर से और ऊपर उछलती है। यह उदाहरण जिंदगी की बहुत बड़ी सीख है। भले ही आप धड़ाम से गिरेंए पर उतनी ही तेजी से उठने की भी कोशिश करें। गिर कर भी उठना सीखेंए हार कर भी जीतना सीखें। हारने का मतलब यह नहीं होता कि आप उस काम को कर ही नहीं सकते। इसका तात्पर्य यह होता है कि उस काम कोए जिसे आपने कियाए उसे और सुधारा जा सकता हैए कोई और तरीके से भी किया जा सकता है। हर हार से कुछ सीखें। अपनी कमियों को लिखें और फिर उनको दूर करने की कोशिश करें। गलतियों को दोहराने से बचें।
कई बार हम खुद में ओवर कॉन्फिडेंट हो जाते हैं और समझने लगते हैं कि हमें सबकुछ आता है। इस कारण हमारा ध्यान उस काम से कम हो जाता है। परिणाम यह होता है कि हमें असफलता का सामना करना पड़ता है। यदि आपने 100 प्रतिशत दियाए तो हो सकता है कि दूसरे ने 101 प्रतिशत दिया हो और इसी कारण वह सफल रहा। सफलता और आपके बीच में इसी एक प्रतिशत का फर्क है। इस फर्क को पाटें।
ध्यान रखें:
आप खुद पर विश्वास बनाए रखें। इससे कठिनाई में भी आप डगमगाएंगे नहीं।
असफलता के बाद लोग चाहे कुछ भी कहेंए ध्यान मत दें। पुनः हौसले के साथ अभियान में जुट जाएं।
ऐसे लोगों के साथ रहेंए जिन्होंने मेहनत और हिम्मत से जीवन में कुछ पाया है। इससे आपको भी बाधाओं से लड़ने की प्रेरणा मिलेगी।
हर वक्त कुछ न कुछ नया सीखते रहें। यही आदत आपकी सफलता की लड़ी बन जाएगी।
यह मान कर चलें कि हर विफलता के पीछे कोई.न.कोई वजह जरूर होती है। उसे दूर करने की कोशिश करें और लक्ष्य की ओर आगे बढ़ें। जब कदम आगे बढ़ाएंगे तो पीछे कभी नहीं जाएंगे

बिजली क्षेत्र में पांच साल में चार लाख से ज्यादा रोजगार पैदा होंगे

तेजी से विकास कर रहे बिजली क्षेत्र के बारे में अनुमान है कि 12वीं योजनावधि 2012.17 के दौरान 94000 मेगावाट की अतिरिक्त क्षमता प्राप्त करने के लिए 4 लाख से अधिक रोजगार के मौके पैदा हो सकते हैं। बिजली मंत्रालय के मुताबिक इस अवधि में बिजली क्षेत्र में 13.72 लाख करोड़ रुपये का निवेश होने का अनुमान है। बिजली मंत्रालय के 12वीं योजना से जुड़े कार्यसमूह ने अपनी रपट में कहा 12वीं योजना में 94.215 मेगावाट की अतिरिक्त क्षमता जोड़ने के लिए 407670 अतिरिक्त कर्मचारियों की जरूरत होगी। इन 4.07 लाख नए कर्मचारियों में से 3.12 लाख कर्मचारी तकनीकी और शेष गैर तकनीकी के क्षेत्र के होंगे। वित्त वर्ष 2012.17 की अवधि में देश में करीब 75,000 मेगावाट की अतिरिक्त बिजली क्षमता जोड़े जाने का अनुमान है जिसमें अक्षय उर्जा स्रोत शामिल नहीं है।

शुक्रवार, 16 दिसंबर 2011

मेहनत से बनाया अपना अलग मुकाम

बिल गेट्स
जिंदगी में अपना अलग मुकाम बनाने और नयी ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए केवल भाग्य ही नहीं, कड़ी मेहनत की भी जरूरत होती है. विरासत में ढेर सारी खुशियां हासिल होने के बावजूद बिल गेट्स ने भी कठिन परिश्रम को अपने जीवन का आधार बनाया और उसकी बदौलत सफ़लता की नयी ऊंचाइयां छूते चले गये. उनकी सफ़लता की यह कहानी युवाओं को लंबे समय तक प्रेरणा देती रहेगी.दुनिया में कई ऐसे लोग हैं, जिन्हें जन्म के साथ ही विरासत में सारी खुशियां हासिल हुई हैं, बावजूद इसके उन्होंने बड़े होने पर अपने बूते एक अलग पहचान बनायी. माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स भी एक ऐसी ही शख्सीयत हैं. उनका जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ, जो व्यवसाय में समृद्ध था. उनके दादाजी नेशनल बैंक के वाइस प्रेसिडेंट थे और पिता एक वकील. लेकिन बिल ने कड़ी मेहनत से अपने लक्ष्यों को हासिल करने में यकीन किया. बकौल बिल, यदि आप चालाक और बुद्धिमान हैं और आपको यह पता है कि किस तरह अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करना है तो आप अपने लक्ष्य और उद्देश्यों तक पहुंच सकते हैं.    बिल को जानने वाले कहते हैं वे अपने शुरुआती दिनों से ही महत्वाकांक्षी, प्रतिद्वंदी और तेज थे. इन सभी खूबियों की बदौलत ही उन्होंने अपने जीवन में वह हासिल किया, जो वह चाहते थे. स्कूल में बिल गेट्स की प्रतिभा से उनके शिक्षक भी काफ़ी प्रभावित थे.एक बार जब उनके माता-पिता स्कूल में उनसे मिलने आये तो शिक्षक ने बताया कि वह इस स्कूल का सबसे मेधावी छात्र हैं. बाद में अपने बच्चे की प्रतिभा को समझते हुए उन्होंने बिल का दाखिला एक प्राइवेट स्कूल में करवाया.    यह बिल गेट्स के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पल था. यहीं पर पहली बार उनका परिचय कंप्यूटर से हुआ. बिल गेट्स और उनके साथी कंप्यूटर को लेकर काफ़ी उत्साहित थे. इस तरह उनकी रुचि कंप्यूटर के क्षेत्र में बढ़ती गयी. आगे चलकर १९६८ में उन्होंने एक नया ग्रुप भी बनाया, प्रोग्रामर्स ग्रुप. इस समूह के सदस्य के तौर उन्होंने वाशिंगटन विश्वविद्यालय में अपने कंप्यूटर स्किल के इस्तेमाल का नया तरीका निकाला. इस तरह, बिल गेट्स और उनके करीबी साथी ऐलेन ने अपनी एक नयी कंपनी टरफ़-ओ-डाटा बनायी. उन्होंने ट्रैफ़िक फ्लो को मापने के लिए एक छोटा कंप्यूटर विकसित किया. इस प्रोजेक्ट से उन्हें लगभग २० हजार डॉलर की कमाई हुई. कॉलेज छोड़ने के साथ ही इस नयी कंपनी का भी अध्याय समाप्त हो गया. गेट्स ने १९७३ में हार्वर्ड यूनिविर्सिटी में दाखिला लिया. लेकिन अपने भविष्य को लेकर वह दुविधा में थे. इस कारण उन्होंने प्री-लॉ में दाखिला लिया. हार्वर्ड के सबसे मुश्किल कोर्स में दाखिला लेने के बाद भी इसमें उनका प्रदर्शन बेहद उम्दा था. लेकिन, इसमें भी उनका दिल नहीं लगा. उन्होंने कई रातें कंप्यूटर लैब के सामने गुजारीं और दिन उनका क्लास में सोते हुए गुजरता था.यहां से पास आउट होने के बाद वह कंप्यूटर की दुनिया में पूरी तरह रम गये. वह अकसर अपने मित्र पॉल एलेन से नये आइडियाज पर बातें करते रहते थे. तभी उनकी नौकरी लग गयी. लेकिन एलेन हमेशा बिल को नयी सॉफ्टवेयर कंपनी खोलने के लिए प्रोत्साहित करते रहते थे. एक साल के अंदर ही बिल हार्वर्ड से ड्रॉप-आउट हो गये.  उसके बाद उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट की बुनियाद रखी. आज अपने विजन की बदौलत ही इस मुकाम पर हैं बिल गेट्स. उन्होंने सिर्फ़ अपने भाग्य और भगवान पर भरोसा नहीं किया, अपने उद्देश्य को पाने के लिए कड़ी मेहनत की. बिल गेट्स दुनिया के सबसे अमीर लोगों में शुमार किये जाते हैं. लेकिन, वह लालची भी नहीं हैं.स्टैनफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में कंप्यूटर इंस्टीट्यूट बनाने के लिए उन्होंने ३८ मिलियन डॉलर दान में दिये. जरूरतमंदों की मदद के लिए उन्होंने कई और संस्थाओं को दान के तौर पर आर्थिक मदद की है. बिल गेट्स ने दो पुस्तकें भी लिखी हैं- द रोड एहेड ( १९७५ ) और बिजनेस एट द रेट स्पीड ऑफ़ थॉट ( १९९९ ).

गुरुवार, 15 दिसंबर 2011

पूरी तैयारी के साथ बदलें करियर

बदलाव के लिए तैयार रहना या फिर खुद को नए बदलावों के साथ बदलना किसी भी कर्मचारी के लिए एक अच्छा गुण है। पर एक सुरक्षित करियर से बाहर निकलकर नए करियर की ओर कदम बढ़ाना कम चुनौतीपूर्ण नहीं है। यही कारण है कि करियर में बदलाव करने पर कुछ बीच में वापस लौट जाते हैं, तो कुछ को समय-समय पर अपनी बनाई गई योजनाओं में बदलाव करना पड़ जाता है। हालांकि यह सच है कि पहले करियर स्विच करने वालों की संख्या सीमित होती थी, तो वहीं अब दो-तीन साल की नौकरी के बाद ही बड़ी संख्या में युवा करियर बदलने को बैचेन दिखाई देते हैं।
एशिया पेसेफिक इंस्टीटय़ूट ऑफ मैनेजमेंट में प्रो. शालिनी वर्मा मानती हैं, च्स्विच ओवर में जोखिम है, तो सफलता की नई उम्मीदें भी छुपी होती हैं। करियर एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है, जिसमें आपकी पढ़ाई, स्किल्स व रुचि  के साथ    दीर्घकालिक लक्ष्य जुड़े होते हैं। करियर स्विच ओवर करके नए क्षेत्र में कदम बढ़ाना पूरी तरह से नई सोच के साथ काम करने जैसा होता है। युवा कई कारणों से करियर बदलते हैं। किसी को अपने करियर की बारीकियां पसंद नहीं आतीं, तो कुछ क्षेत्र विशेष की एकरसता से ऊब जाते हैं। कुछ-कुछ को लगता है कि करियर की सही प्लानिंग न करने के कारण वे गलत करियर में आ गए हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार करियर में बदलाव करने का अंतिम निर्णय लेने से पहले कुछ प्रश्न अवश्य पूछें, मसलन आप करियर क्यों बदलना चाहते हैं, दूसरों की देखा-देखी तो नहीं। कहीं ऐसा तो नहीं वर्तमान नौकरी या बॉस व सहकर्मियों के साथ आपका अनुभव आपको इस क्षेत्र से बाहर निकलने का दबाव बना रहा है।
जल्दबाजी न करें
मंदी के समय में किसी नए करियर में दोबारा शुरुआत करने या अपना काम प्रारंभ करने का फैसला सोच-समझकर करें। उस क्षेत्र पर पड़ रहे आर्थिक प्रभाव को समझ लें। इसी तरह यदि आप बॉस या सहकर्मियों के स्वभाव के कारण नौकरी छोड़ रहे हैं, तो ऐसा दूसरी जगह नहीं होगा, इस बात की गारंटी नहीं है। ऐसे में नया करियर अपनाने की जगह अपने क्षेत्र की किसी दूसरी कंपनी में नौकरी तलाशना अधिक बेहतर होगा। 
स्व-आकलन करें
स्विच ओवर से पहले अपनी रुचियों और स्किल्स को जानें। जहां जाना चाहते हैं, उस क्षेत्र की छोटी-बड़ी कंपनियों के बारे में जानकारी जुटाएं। कंपनी की वेबसाइट देखें। नई खबरों से अपडेट रहें। वर्कशॉप और सेमिनार में भाग लें, लोगों से बात करके उस क्षेत्र विशेष की वास्तविक स्थिति को जानें।
रिसर्च है जरूरी
कई बार ऐसा होता है कि हमें दूसरी तरफ सब अच्छा ही अच्छा दिख रहा होता है। हो सकता है आपको भी अपनी योजना में सब कुछ ठीक ही लग रहा हो।  अत: नए क्षेत्र की अच्छाई और बुराई दोनों को जानें।
मजबूत इच्छाशक्ति
करियर स्विच करने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति का होना जरूरी है। आपको निर्णय लेने पड़ते हैं, साथ ही पुराने सेट-अप से बाहर निकलकर नए परिवेश के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार करना पड़ता है। चुनौतियों का सामना करने के लिए भी तैयार रहें।
दोबारा छात्र बन जाएं
आजकल हर करियर से जुड़े स्पेशलाइज्ड कोर्स हैं।  यदि जरूरत हो तो दूसरे करियर में जाने से पहले उस कोर्स से जुड़ा स्पेशलाइज्ड कोर्स करने से परहेज न करें। इससे उस क्षेत्र की बारीकियों को समझ सकेंगे। यदि कोर्स नहीं करना है तो भी नया सीखने के लिए हमेशा तैयार रहें।
लॉन्ग टर्म विजन जरूरी
नए करियर में आप कहां तक जाना चाहते हैं, आपका लक्ष्य क्या है, उसे हासिल करने में कितना समय लगेगा, उस क्षेत्र में आपके प्रतियोगी कौन हैं, आपकी तरक्की की संभावनाएं कितनी हैं आदि बातों के संबंध में दीर्घकालिक रणनीति अवश्य बनाएं। आवश्यकता लगने पर अपने करियर बदलने संबंधी कोई फैसला लेने से पहले अपनी फील्ड से जुड़े सीनियर ओर शुभचिंतकों से सलाह-मशविरा कर लें, उनकी राय व संपर्क आपके काम आ सकते हैं।
छोटी, पर उपयोगी बातें
अवसर की पहचान करें, उस क्षेत्र की पत्रिकाओं और उभरती कंपनियों के बारे में जानें।
एक नोट लिखने का प्रयास करें कि किस तरह आप नए क्षेत्र में कैसे बेहतर कर सकते हैं।
नए क्षेत्र में अपने परिचितों, संपर्क व प्रभावी लोगों की सूची बनाएं। उनसे मिलें व इंडस्ट्री की जानकारी जुटाएं।

रविवार, 11 दिसंबर 2011

अर्धसैनिक बलों में एक लाख पद खाली

देश के सात अर्धसैनिक बलों में एक लाख से ज्यादा पद खाली पड़े हैं, जिसमें सीमा सुरक्षाबल के 25 हजार और केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के 17 हजार पद शामिल हैं। गृह मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक अर्धसैनिक बलों में खाली एक लाख आठ सौ 83 पदों में से कांस्टेबलों के 74816 जूनियर कमीशन अधिकारियों के 22016 और प्रथम श्रेणी अधिकारियों के 4051 पद शामिल हैं। भारत पाक सीमा और भारत-बांग्लादेश सीमा की सुरक्षा करने वाले सीमा सुरक्षाबल में 25674 पद खाली पड़े हैं जबकि माओवाद विरोधी उग्रवाद विरोधी जैसे मामलों में व्यस्त सीआरपीएफ  में 17019 पद रिक्त हैं। इसके अलावा भारत नेपाल सीमा और भारत भूटान सीमा की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार सशस्त्र सीमाबल में 21316 और केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षाबल में 17320 पद खाली हैं। भारत तिब्बत सीमा पर तैनात भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल में 17388 जबकि उत्तर पूर्व में तैनात असम राइफ ल्स और विशेष कमांडो बल में क्रमश: 1585 और 581 पद रिक्त हैं। अगले दो वर्षों में इन सभी पदों के भरने की आशा है। गृह मंत्रालय ने पिछले तीन वर्षों के दौरान केन्द्रीय अर्धसैनिक बलों की क्षमता बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए जिसमें 36 नई बटालियन बनाना और 116 अतिरिक्त बटालियनों को मंजूरी शामिल है। इक्कीस और बटालियनों को तैयार करने की प्रक्रिया जारी है। एक बटालियन की क्षमता करीब एक हजार पुलिसकर्मियों की है। वर्ष 2009-10 और वर्ष 2010-11 में सात अर्धसैनिक बलों में कुल 95540 पुलिसकर्मियों की भर्ती हुई। वर्ष 2011-12 में कर्मचारी चयन आयोग के जरिए 92168 कांस्टेबलों की भर्ती का प्रस्ताव है। सत्रह नये प्रशिक्षण संस्थान स्थापित किये जा रहे हैं जबकि 13 संस्थानों में सुधार तथा उन्हें संवर्धित किया जा रहा है।

जांबाजी का जज्बा भरता संस्थान

भारतीय सेना का अधिकारी होने का मतलब सिर्फ़ नौकरी करना नहीं होता बल्कि देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने का जज्बा लिये एक जांबाज सिपाही होना होता है युवाओं में यही जोश और जुनून पैदा करता है भारतीय सैन्य अकादमी आइएमए जिससे प्रशिक्षण प्राप्त कैडेट्स कई नाजुक मौकों पर दुश्मन के दांत खट्टे कर चुके हैं
1932 में ब्रिगेडियर एलपी कोलिंस बने आइएमए के पहले कमांडेंट
1958 के गणतंत्र दिवस परेड में आइएमए कैडेट ने पहली बार भाग लिया
1974 में दाखिला लेने के लिए डिग्री स्तर की योग्यता जरूरी की गयी
भारतीय सैन्य अकादमी इंडियन मिलिट्री एकेडमी आइएमए की स्थापना का मकसद था सेना में भारतीय अधिकारियों की बढ़ती मांग को पूरा करना 19 वीं सदी के अंत तक ब्रिटिश सरकार में भारतीयों की भागीदारी की शुरुआत हो गयी थी गोपाल कृष्ण गोखले के सतत प्रयास के बाद 1912 में एक कमीशन की स्थापना की गयी ताकि भारतीयों को उचित भागदारी दी जा सके लार्ड कर्जन ने इंपीरियल कैडेट कोर्प की स्थापना की जिसमें केवल वैसे भारतीयों को तरजीह दी जाती थी जो अंग्रेजों के प्रति वफ़ादार थे इस कोर्प में राजघराने और जमींदारों को ही शामिल किया जाता था भारतीयों ने पहले विश्वयुद्ध के दौरान अपनी क्षमता साबित की1917 में मोंटेग चेम्सफ़ोर्ड प्लान लागू किया गया जिसके तहत भारतीयों को देश के प्रशासन में अधिक भागीदार बनाने पर जोर दिया गया था
सेना के भारतीयकरण की शुरुआत किंग कमीशन के अनुदान से हुई इसके तहत 31 विश्वस्त भारतीयों को ट्रेनिंग दी गयी जिसमें केएम करियप्पा शामिल थे करियप्पा बाद में पहले भारतीय सेना प्रमुख बने 1922 में भारतीय छात्रों को इंग्लैंड के मिल्रिटी कॉलेज में दाखिला देने से पहले शुरुआती ट्रेनिंग के लिए इंडियन मिल्रिटी कॉलेज की स्थापना की गयी उस दौर का भारतीय नेतृत्व भारतीय सेना के भारतीयकरण के लिए उठाये गये कदमों से संतुष्ट नहीं था इसके मद्देनजर तत्कालीन सेना प्रमुख लार्ड रावलिंग ने घोषणा की कि 8 इन्फैंट्री और कैवलरी यूनिट मुख्यत भारतीय अधिकारियों के अधीन होगा इसके बाद भारतीय सैंडर्स कमिटी का गठन किया गया कमिटी ने सिफ़ारिश की कि 1933 तक इंग्लैंड में मौजूद मिल्रिटी ट्रेनिंग कॉलेज की स्थापना भारत में की जाये हालांकि भारतीय नेताओं की लगातार मांग के बावजूद सेना के भारतीयकरण की गति काफ़ी धीमी थी दबाव बढ़ने पर भारत में ब्रिटिश सेना के प्रमुख जनरल सर फ़िलिप चेटवोड की अध्यक्षता में इंडियन मिल्रिटी कॉलेज कमिटी का गठन किया गया 1931 में इस कमिटी ने कॉलेज की स्थापना के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की ताकि प्रतिवर्ष 60 कमीशंड अधिकारी तैयार हो सकें इसके लिए देहरादून का चयन किया गया आखिरकार यह सपना 1932 में पूरा हुआ जब ब्रिगेडियर एलपी कोलिंस को इंडियन मिल्रिटी एकेडमी का पहला कमांडेंट बनाया गया उन्होंने आठ महीने में इस संस्थान को तैयार किया और सितंबर 1932 में 40 कैडेट ट्रेनिंग के लिए पहुंचे इस एकेडमी का औपचारिक उद्घाटन फ़ील्ड मार्शल सर फ़िलिप चेटवुड ने किया यहां शुरुआत में 200 कैडेट को ट्रेनिंग देने की व्यवस्था थी जिसके तहत 40 कैडेट 6 महीने की ट्रेनिंग लेते थे आजादी के बाद ब्रिगेडियर ठाकुर महादेव सिंह इसके पहले कमांडेंट बने
1974 में इंडियन मिलिट्री एकेडमी में दाखिला लेने वाले कैडेट का रेगुलर कोर्स डिग्री लेवल का कर दिया गया और ट्रेनिंग की अवधि ढाई साल से घटाकर डेढ़ साल कर दी गयी इंडियन मिलिट्री एकेडमी आज भी सैन्य अधिकारियों की प्रतिभाशाली फ़ौज तैयार करने में पूरी शिद्दत से जुटा है इस संस्थान से निकले अधिकारियों ने सेना और देश की पूरी लगन से सेवा की है
समय के साथ बदलाव
शुरुआत में आइएमए में थल जल और वायु सेना तीनों विंग के अधिकारियों को ट्रेनिंग दी जाती थी लेकिन समय के साथ बदलती चुनौतियों के मद्देनजर नेशनल डिफेंस एकेडमी की स्थापना की गयी आइएमए में एनडीए आर्मी कैडेट कॉलेज एवं अन्य कॉलेजों के ग्रेजुएट पहुंचते हैं ट्रेनिंग का मकसद कैडेट को पहले जेंटलमैन और फ़िर अधिकारी बनाना होता है यहां कैडेट को सिखाया जाता है पहले देश की सुरक्षा फ़िर अपनी सुरक्षा ट्रेनिंग में कैडेट को यह भी बताया जाता है कि आप अपनी सहूलियत को अंतिम पायदान पर रखें
ट्रेनिंग का मकसद कैडेट में नेतृत्व का गुण और आत्मविश्वास पैदा करना होता है आइएमए का पूरा माहौल ट्रेनिंग को पूरे जोश के साथ खत्म कराने वाला होता है ट्रेनिंग खत्म होने के बाद पासिंग आउट परेड कैडेट को एक पूर्ण इंसान में तब्दील कर देता है यही कैडेट जंग के मैदान में जी जान से देश की रक्षा करते हैं
सेना में अधिकारियों की कमी
हालांकि विश्व की चौथी सबसे बड़ी सेना पिछले कुछ वर्षो से अधिकारियों की कमी से जूझ रही है खासकर थल सेना अधिकारियों की कमी का असर सेना की क्षमता पर पड़ रहा है सेना में अधिकारियों के कमी की वजह शहरी युवाओं में सेना को कॅरियर बनाने के प्रति अनिच्छा होना है स्थिति ऐसी हो गयी है कि आइएमए जैसे संस्थान की सीटों के लायक भी युवा नहीं मिल पा रहे हैं

शुक्रवार, 9 दिसंबर 2011

नौकरियां ही नौकरियां

अगले साल ३ लाख नए रोजगार
अगले साल जनवरी-मार्च तिमाही में करीब ३ लाख नए रोजगार मिलेंगे। इनमें से ज्यादातर नौकरियां आईटी, बीपीओ, हेल्थकेयर, एजुकेशन, बैंकिंग-फाइनैंशल सर्विसेज, इंश्योरेंस (बीएफएसआई) और एनर्जी सेक्टर में मिलेंगी। जनवरी-मार्च २०११ में संगठित क्षेत्र में करीब ३.९९ लाख नए रोजगार पैदा हुए थे। ऑटो, कंस्ट्रक्शन, इंजीनियरिंग, एफएमसीजी और टेलिकॉम सेक्टर भर्तियों को लेकर सावधानी बरत सकते हैं। आईटी उद्योग की संस्था नैस्कॉम का कहना है कि सिर्फ आईटी-बीपीओ में अगले साल २.५ लोगों को रोजगार मिलेगा। इनमें से ज्यादातर नौकरियां अगले साल मार्च तक मिलेंगी। बेंगलुरु की प्लेसमेंट ऐंड सर्च फर्म आईकया ह्यूमन कैपिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर अजीत आइजैक का कहना है, 'आर्थिक सुस्ती का रोजगार बाजार पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। हमारे ज्यादातर क्लाइंट भर्ती योजना पर आगे बढ़ रहे हैं।' नैस्कॉम के प्रेजिडेंट सोम मित्तल ने कहा कि छोटे शहरों में आईटी उद्योग का विस्तार हो रहा है। ज्यादातर नई नौकरियां वहीं से आएंगी। भारतीय आईटी-बीपीओ कंपनियां जो भर्तियां करती हैं, उनमें ६५-७० फीसदी फ्रेशर होते हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपनी भारतीय इकाइयों में ९० फीसदी तक फ्रेशर रखती हैं। फिक्की के प्रेजिडेंट हर्ष मारीवाला ने कहा, 'जीडीपी ग्रोथ में कमी आने की आशंका को देखते हुए सरकार से आर्थिक सुधार जारी रखने की उम्मीद है। इससे निवेश बढ़ सकता है। इससे नए रोजगार पैदा होंगे और अच्छे टैलेंट की होड़ तेज हो सकती है।' मारीवाला एफएमसीजी कंपनी मैरिको के मैनेजिंग डायरेक्टर भी हैं। मा फोई रैंडस्टैड्स के मुताबिक, २०१२ के पहले तीन महीनों में इस साल की पहली तिमाही जितनी नौकरियां मिल सकती हैं। कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ ई बालाजी ने कहा, 'इस साल मार्केट स्थिर रहने वाला है। वैश्विक हालात को देखें तो यह एक तरह से बुरी खबर नहीं है।' जनवरी-मार्च २०१० में संगठित क्षेत्र में २.५ लाख नई नौकरियां मिली थीं। हालांकि, इस साल के पहले तीन महीनों में ३.९९ लाख नए रोजगार पैदा हुए। बालाजी का कहना है, 'इस साल की शुरुआत में सेंटीमेंट बहुत अच्छा था। हालांकि अप्रैल-मई में यूरोपीय संकट के चलते सेंटीमेंट खराब हो गया।' एग्जेक्युटिव सर्च फर्म ग्लोबलहंट के डायरेक्टर सुनील गोयल ने बताया कि इंफ्रास्ट्रक्चर, पावर-एनर्जी, ऑयल और गैस, एग्रो-बिजनेस जैसे क्षेत्रों में नए रोजगार पैदा हो रहे हैं। वहीं, बालाजी का कहना है, 'बड़ी आईटी, आईटीईएस और एनर्जी कंपनियां खाली पदों को भरने के लिए आवेदन मंगा रही हैं। एक और दमदार क्षेत्र हेल्थकेयर है।' आईटी के बाद नए रोजगार के लिहाज से दूसरा महत्वपूर्ण क्षेत्र हेल्थकेयर होगा। फोर्टिस, अपोलो, मैक्स और मणिपाल जैसी हॉस्पिटल चेन देश भर में बिस्तरों की संख्या बढ़ा रही हैं। फोटिर्स हेल्थकेयर के ग्लोबल सीईओ विशाल बाली ने बताया, 'प्राइवेट हेल्थकेयर सेक्टर में हर तिमाही में ७,०००-८,००० बिस्तर जुड़ रहे हैं। एक बिस्तर जुड़ने से औसतन चार से पांच रोजगार मिलते हैं। अगली तिमाही में निजी अस्पताल ३५,००० नए रोजगार दे सकते हैं।'

गुरुवार, 8 दिसंबर 2011

बैंकों में नौकरियों की बहार,

४५ हजार लोग रखे जाएंगे
पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) बड़े पैमाने पर नए कर्मचारियों की भर्ती करने की तैयारी में हैं। ये दोनों सरकारी बैंक रिटायरमेंट की वजह से खाली हुए पदों को भरने और मजबूत प्रतिस्पर्धा के लिए भर्तियां कर रहे हैं। दोनों बैंक अगली कुछ तिमाही में संयुक्त रूप से करीब २१,५०० कर्मचारियों की भर्ती की प्रक्रिया में हैं। एक अधिकारी ने बताया कि दिल्ली का पंजाब नेशनल बैंक अकेले १०,५०० लोगों की भर्ती कर रहा है। भर्ती किए जाने वाले कर्मचारियों की यह संख्या इस साल अप्रैल से अब तक रिटायर हुए लोगों की तुलना में दोगुने से ज्यादा है। इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में करीब ४५,००० लोग सरकारी बैंकिंग क्षेत्र से जुड़ेंगे। इन पदों का बड़ा हिस्सा इंस्टिट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सेलेक्शन (आईबीपीएस) द्वारा आयोजित लिखित परीक्षा में चयनित छात्रों के द्वारा भरा जाएगा।
कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया को आसान बनाने की खातिर भारतीय स्टेट बैंक और इसके सहयोगी बैंकों को छोड़कर सभी सार्वजनिक बैंकों ने आईबीपीएस को लिखित परीक्षा आयोजित करने की इजाजत दे दी थी। पीएनबी के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर के. आर. कामत ने ईटी बताया कि उनका बैंक इस वित्त वर्ष में करीब ६,५०० क्लर्क और ४,००० अधिकारियों की नियुक्ति करने जा रहा है। ३,८०० क्लर्क की भर्ती पहले ही कर ली गई है। उन्होंने कहा कि हम बाकी के लोगों की भर्तियां कॉमन सेलेक्शन टेस्ट से करेंगे।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के प्रमुख एम. वी. नायर ने बताया कि सितंबर २०१२ तक हमारी १०,००० कर्मचारियों की भर्ती करने की योजना है। आईबीपीएस साल में दो बार लिखित परीक्षा का आयोजन करेगी और परीक्षा में बैठने वाले प्रत्येक छात्र को एक स्कोर दिया जाएगा। यह स्कोर जारी होने की तारीख से लेकर एक साल तक वैध होगा। हालांकि, बैंक अलग अलग कट ऑफ मार्क तय कर सकते हैं और वे वैध स्कोर कार्ड वाले प्रतिभागियों से आवेदन आमंत्रित करेंगे।
आईबीपीएस के डायरेक्टर एम. बालचंद्रन का कहना है, ' नया सिस्टम पहले की व्यवस्था की तुलना में ज्यादा बेहतर और पारदर्शी है। पुराने सिस्टम में प्रत्येक बैंक भर्तियों के लिए अलग से टेस्ट का आयोजन करते हैं, जिससे प्रतिभागियों का काफी दिक्कत होती थी। '
बैंक ऑफ बड़ौदा के एग्जेक्युटिव डायरेक्टर आर. के. बख्शी ने बताया कि उनके बैंक की योजना मार्च २०१२ तक २,००० अधिकारी और इतनी ही संख्या में क्लर्कों की भर्ती करने की योजना है। बैंक ने इस वित्त वर्ष में पहले ही १,४०० अधिकारियों को नामांकन कर लिया है और बाकी के अधिकारियों का चयन सफल अभ्यर्थियों में से किया जाएगा।
इलाहाबाद बैंक की १,२०० अधिकारियों की भर्ती करने की योजना है, जबकि यूको बैंक चालू वित्त वर्ष में १,१०० अधिकारियों को एनरॉल करना चाहता है। दोनों ही बैंक १,०००-१,००० क्लर्कों की भर्ती करेंगे। इलाहाबाद बैंक के एग्जेक्युटिव डायरेक्टर देबब्रत सरकार ने बताया, ' आईबीपीएस के सफल प्रतिभागियों के अलावा हम भर्तियों के लिए कैंपस रिक्रूटमेंट भी करेंगे। '
बैंक ऑफ महाराष्ट्र के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर ए . एस . भट्टाचार्य ने कहा कि उनके बैंक की १,२०० अधिकारियों और ६७० क्लर्कों को भर्ती करने की योजना है।

बुधवार, 7 दिसंबर 2011

ट्रैक्टर की मरम्मत करेंगी महिलाएं

उत्तर प्रदेश सरकार ने गरीब तबके की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने और स्वरोजगार को अपनाने के लिए एक विशेष योजना चलायी है, जिसके तहत उन्हें मोबाइल और ट्रैक्टर की मरम्मत करना सिखाया जायेगा. राज्य के हर जिले में महिलाएं खेती- बाड़ी में ही पुरुषों का सहयोग करती हैं.लेकिन सरकार का प्रयास है कि कृषि में सहयोग करनेवाली महिलाओं को ट्रैक्टर मैकेनिक का कार्य भी सिखाया जाये, ताकि समय आने पर वे उसेठीक कर सकें या यथासंभव उससे अपना रोजगार भी चला सकें. राज्य सरकार ने इसका जिम्मा अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम लिमिटेड को सौंपा है.
मोबाइल के बढ़ते चलन का देखते हुए सरकार का प्रयास है कि इसकी मरम्मत के काम में महिलाओं को भी शामिल किया जाये. मोबाइल के बढ़ते प्रचलन के कारण आज हर गली चौराहे पर इसकी मरम्मत को लेकर रोजगार सृजित हो रहे हैं. ऐसे में अगर महिलाएं इसकी मरम्मत की कला में पारंगत हो जायें तो स्व रोजगार करके अपना परिवार चला सकती हैं. इस खबर से महिलाओं में अच्छा-खासा उत्साह है. महिलाएं स्व रोजगार से अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती हैं.

मंगलवार, 6 दिसंबर 2011

बीमा कंपनियों ने दी ५,४०० नौकरियां

देश के जीवन बीमा उद्योग ने इस साल ३० सितंबर को समाप्त छमाही में ५४०० नये कर्मचारियों की नियुक्ति की तथा २६,००० नए एजेंट जोड़े। हालांकि इस दौरान बीमा कंपनियों की शाखाओं की संख्या में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। बीमा कंपनियों की फिलहाल ११,४४६ शाखाएं है। बीमा कंपनियों के संगठन लाइफ इंश्यूरेंस काउंसिल द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक २०१०-११ में स्थिरता के बाद वित्त वर्ष २०११-१२ की प्रथम छह माह में प्रीमियम संग्रह में १७ फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह ७३,५७५ करोड़ रुपये हो गया। हालांकि आलोच्य अवधि के दौरान जीवन बीमा कंपनियों द्वारा संग्रहित कुल प्रीमियम संग्रह में २ फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और यह एक वर्ष पूर्व इसी अवधि के१,२५,१७९ करोड़ रुपये से घटकर १,२२,६६१ करोड़ रुपये रह गई। यह गिरावट नये व्यावसायिक प्रीमियम संग्रह में कमी की वजह से आई। इस काउंसिल में सरकारी क्षेत्र की कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम सहित कुल २४ कंपनियां सदस्य है।

गुरुवार, 1 दिसंबर 2011

सफ़लता की कहानियां पढ़ना ही काफ़ी नहीं

तेरह वर्ष की उम्र में मैसचुसेट इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में नामांकित हो चुके थे गोदरेज ग्रुप के चेयरमैन आदी गोदरेज बाद में उन्होंने एमआइटी स्लोन स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट,कैंब्रिज यूनाइटेड स्टेट्स से एमबीए किया.आदी ने गोदरेज ग्रुप स्थापित नहीं किया था. यह उनका पारिवारिक व्यवसाय था, लेकिन गोदरेज ग्रुप को नयी ऊंचाई तक पहुंचाने में आदी का ही नाम लिया जाता है. एमबीए की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने अपने पारिवारिक व्यवसाय में कदम रखने को प्राथमिकता दी. पारिवारिक व्यवसाय में आने के बाद उन्होंने सबसे पहले उसका आधुनिकीकरण कर उसे व्यवस्थित किया. इसके बाद उन्होंने सारी सीमाओं को तोड़ते हुए अपने कदम आगे बढ़ाने शुरू किये. आदी के नेतृत्व में ही गोदरेज भारत में वर्ल्ड वाइल्डलाइफ़ फ़ंड का मुख्य समर्थक बना था. उन्होंने कंपनी के कर्मचारियों के बच्चों के लिए स्कूल खुलवाया जिससे उन्हें अपने बच्चों के भविष्य की चिंता न करनी पड़े और वे अपना सौ प्रतिशत कंपनी को दे सकें.यह उनकी प्रभावी और प्रसंशनीय रणनीति मानी जाती है. वे कहते हैं कि उनके अंदर साधारण परिवार की परवरिश के गुण उनकी मां की देन थी, जिसके कारण वे अपने जीवन में बड़े कामों को करने में सफ़ल हो पाये. आदी कहते हैं ष्मेरी मां स्कूल शिक्षिका थीं और उन्होंने मुझे जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण पाठ पढ़ाया, वह पाठ है दीनता और नम्रता का.
आदी गोदरेज का मानना है कि काम किसी भी क्षेत्र में करें, सफ़लता किसी भी क्षेत्र में हासिल करनी हो, उसके लिए जरूरी है अपनी फ़िटनेस पर पूरा ध्यान देना, खुद को काम में व्यस्त रखा जाये तो सफ़लता हासिल करना आसान हो जाता है.
वे कहते हैं ष्मुझे लगता है कि युवाओं के विचारों को हमेशा तवज्जो देनी चाहिए क्योंकि उन्हीं से अनोखे और नये विचार मिल सकते हैं. इन विचारों को अनुभवों के साथ मिलाने से ही नवरचना होती है. आदी का मानना है कि आप अपने कर्मचारियों के साथ जितने खुले होंगे, काम के लिए उन्हें उतना ही प्रोत्साहित कर पायेंगे. इसीलिए गोदरेज ग्रुप के ऑफ़िस में ओपन डोर पॉलिसी को अपनाया जाता है. अगर ऑफ़िस में सीनियर्स समय पर नहीं होंगे, तो जूनियर में भी लेट लतीफ़ी की आदत होना तय है, अगर कोई जूनियर असाधारण है तो भले वह समय पर आ जाये इसलिए वे हमेशा सुबह समय पर ऑफ़िस पहुंच जाते हैं.
आदी कहते हैं प्रोफ़ेशनलिज्म किसी का विशेष गुण नहीं है महत्वपूर्ण यह है कि सभी लोग सफ़लता की कहानियों को पढ़ें समङों लेकिन केवल इन कहानियों को पढ़ने से ही काम नहीं चलता, इसके बाद मुकाम हासिल करने के लिए नया ढंग अपनाएं.

रविवार, 27 नवंबर 2011

अभी तक क्यों नहीं मिली जॉब?

आप काफी दिनों से जॉब की तलाश में जुटे हैं और लगातार इंटरव्यू भी दे रहे हैं। बावजूद इसके आपको जॉब नहीं मिल पा रही है। जाहिर है, कोई न कोई वजह जरूर है, जिस वजह से आपको जॉब नहीं मिल पा रही है। आइए जानते हैं कि आपकी परेशानी का सल्यूशन कैसे हो:
नेटवर्किंग का सहारा एक्सर्पट्स की मानें, तो जॉब सर्च भी करना भी डेटिंग से कुछ कम नहीं है। यहां भी आपको अपने प्रिंस या प्रिंसेज को तलाशने के लिए काफी मेहनत करनी होगी। अगर आप सोच रहे हैं कि सिर्फ इंटरनेट पर जॉब सर्च करने से आपको नई जॉब मिल जाएगी, तो आप निश्चित तौर पर कुछ मिस कर रहे हैं। अगर वाकई सीरियसली जॉब सर्च करना चाहते हैं, तो अपने रिज्यूमे को जॉब साइट्स पर रजिस्टर कीजिए और अपने सोशल नेटवर्किंग अकाउंट्स को उससे ऐड कीजिए।
दरअसल, आजकल एचआर मैनेजर कैंडिडेट के बारे में ज्यादा जानकारी लेने के लिए सोशल साइट्स पर उसके अकाउंट को चेक करते हैं। इसलिए आपको पहले से ही सावधान रहना चाहिए। जाहिर है, रिज्यूमे में सोशल साइट्स का अड्रेस ऐड करने और अपने रिज्यूमे को सोशल साइट्स अकाउंट से ऐड करने से आप खुद को हायरिंग मैनेजर्स की नजर में लाने में कामयाब होंगे।
परोसिए खूबियां अक्सर देखने में आता है कि कई लोग काफी टैलेंटिड होते हैं, बावजूद इसके वे इंटरव्यूअर के सामने अपने टैलंट को शो नहीं कर पाते। दरअसल, इंटरव्यूअर के सामने आपको खुद को बेहद प्रभावशाली तरीके से पेश करने की जरूरत होती है। उसको आपकी डे टु डे वर्क हिस्ट्री की डिटेल से कोई मतलब नहीं है। हायरिंग मैनेजर सिर्फ आपकी खूबियों के बारे में जानना चाहता है और उसे यह पता लगाना है कि आप कंपनी के किस तरह काम आ सकते हैं। यानी कि अगर आप अपनी उन खूबियों पर फोकस करें, जो कंपनी में जॉब के लिए जरूरी हैं, तो आप अपना बेहतर इंप्रेशन डाल सकते हैं।
फॉलोअप फर्स्ट बहुत अच्छी बात है कि आपको लगातार इंटरव्यूज की कॉल आ रही हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इंटरव्यू देकर भूल जाने का फॉर्म्यूला अपना लें। ध्यान रखिए कि इंटरव्यू देने के लिए साथ उसे फॉलो करना भी बेहद जरूरी है। वरना आप इंटरव्यू ही देते रह जाएंगे!
दरअसल, हायरिंग मैनेजर्स काफी बिजी रहते हैं। उन्हें रोजाना तमाम लोगों के इंटरव्यू लेने होते हैं। इसलिए आपको उन्हें थैंक्यू नोट भेजकर अपनी याद को ताजा रखना है। जरूरी नहीं कि हर कहीं आपका सिलेक्शन हो जाए, लेकिन इसके बाद भी आपको हायरिंग मैनेजर से कॉन्टेक्ट बनाकर रखना है। माना कि आज उसके पास वेकेंसी नहीं है, लेकिन जरूरी नहीं कि कल भी ऐसा ही होगा। अगर आप फॉलोअप करते हैं, तो इसका इंटरव्यूअर पर पॉजिटिव इंप्रेशन पड़ता है कि आप जॉब को लेकर सीरियस हैं।
ऑल्टरनेट करियर अगर आपको बार-बार इंटरव्यू में सिर्फ इसलिए सफलता नहीं मिल पा रही है कि आपमें कोई खास स्किल नहीं है, तो अपना टाइम कतई वेस्ट मत कीजिए। आपको तुरंत खुद को एक ट्रेनिंग प्रोग्राम में रजिस्टर करना चाहिए और बतौर वॉलेंटियर काम करके उसका एक्सपीरियंस लेना चाहिए। आप चाहें, तो ऑनलाइन कोर्स भी कर सकते हैं।
साथ ही, आपको करियर फील्ड चेंज करने के बारे में भी सोचना चाहिए। हालांकि यह इतना आसान नहीं है, लेकिन अगर तमाम कोशिशों के बावजूद आप खुद में वह स्किल डिवेलप नहीं कर पाए, तो आपके पास कोई और ऑप्शन नहीं होगा। जाहिर है, यह आपसे बेहतर और कोई नहीं जानता कि आप क्या काम बेहतर तरीके से कर सकते हैं। इसलिए अपने आपसे ही ऑल्टरनेटिव करियर के बारे में पूछें। यकीनन आपको कोई बेहतर राह मिलेगी।

शनिवार, 26 नवंबर 2011

चीवनिंग रॉल्स रॉयल साइंस एंड इनोवेशन लीडरशिप

चीवनिंग रॉल्स रॉयस साइंस एंड इनोवेशन लीडरशिप प्रोग्राम ऑक्सफ ोर्ड विश्वविद्यालय स्थित सैद बिजनेस स्कूल में अकादमिक, व्यावहारिक एवं निजी दृष्टिकोण से नव प्रवर्तन और विज्ञान नीति के अन्वेषण के लिए एक उत्कृष्ट तथा चुनौतीपूर्ण अवसर प्रदान करता है। ऑक्सफ र्ड विश्वविद्यालय युवा भारतीय अध्येताओं एवं पेशेवर लोगों के लिए चीवनिंग रॉल्स रॉयस साइंस एंड इनोवेशन लीडरशिप प्रोग्राम की मेजबानी करता है। भारत के साथ ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के संबंध 400 साल पुराने हैं। अध्ययन के विविध क्षेत्रों में अधुनातन अनुसंधान साझेदारियां, कला एवं कलाकृतियों के उत्कृष्ट संग्रह, पांडुलिपियां एवं शीर्ष भारतीय अध्येता शामिल होते हैं। चीवनिंग रॉल्स रॉयस साइंस एंड इनोवेशन लीडरशिप प्रोग्राम एक उत्प्रेरक एवं व्यापक रेंज का कार्यक्रम हैे। चीवनिंग रॉल्स रॉयस साइंस एंड इनोवेशन लीडरशिप प्रोग्राम के अकादमिक वर्ष 2012 में प्रवेश के लिए आवेदन 5 दिसंबर 2011 तक जमा कराए जा सकते हैं।
अध्ययन के क्षेत्र
विदेश एवं राष्ट्रकुल मंत्रालय और रॉल्स रॉयस भारत में ग्यारह महीने की पूरी तरह वित्तीय सहायता प्राप्त छात्रवृत्ति की पेशकश करते हैं। इस सिलसिले में ऐसे आदर्श प्रत्याशी को चुना जाता है युवा सरकारी, विज्ञान या मीडिया पेशेवर हो साथ ही नेतृत्व क्षमता रखने वाला हो और इनमें से किसी भी विषय में अनुभव रखता हो। अनुसंधान, टेक्नोलॉजी मैन्यूफैक्चरिंग, बिजनेस डेवलपमेंट या बिजनेस और लोक प्रशासन।
चीवनिंग छात्रवृत्तियां
चीवनिंग छात्रवृत्तियां विश्व में शीर्ष छात्रवृत्ति योजनाओं में से एक है और प्रतिवर्ष ब्रिटेन में अध्ययन के लिए 130 से भी अधिक देशों के लगभग 600 अग्रणी लोगों को छात्रवृत्तियां प्रदान की जाती हैं।
विदेश एवं राष्ट्रकुल मंत्रालय का चीवनिंग छात्रवृत्ति कार्यक्रम पिछले 26 सालों के दौरान 1800 से अधिक भारतीयों को ब्रिटेन में अध्ययन के लिए भेज चुका है। नया कार्यक्रम लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में एडवांस्ड लीडरशिप में मौजूदा चीवनिंग गुरुकुल कार्यक्रम के तहत तीन माह के पाठ्यक्रमों की सफलता की बुनियाद पर आगे बढ़ रहा है।
सैद बिजनेस स्कूल
सैद बिजनेस स्कूल यूरोप के आधुनिक एवं सर्वाधिक उद्यमशील बिजनेस स्कूलों में से एक है। ऑक्सफ ोर्ड विश्वविद्यालय के अंग के रूप में यह स्कूल उस अकादमिक दृढ़ता और प्रगतिशीलता का प्रतीक है जिसने ऑक्सफ ोर्ड विश्वविद्यालय को शिक्षा के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी बनाया है।
रॉल्स रॉयस के बारे में
रॉल्स रॉयस कंपनी छात्रों,ग्रेजुएट्स और पेशेवर एग्जीक्यूटिव्स के लिए शैक्षिक अवसर ढूंढऩे और उन्हें समर्थन देने में सक्रिय रही है। यह जमीन, समुद्र एवं आकाश में पॉवर सिस्टम्स एवं सेवाएं प्रदान करने में विश्व में एक अग्रणी कंपनी है। उसने विश्व के सिविल एयरोस्पेस, प्रतिरक्षा, एयरोस्पेस, मैरिन और ऊर्जा के क्षेत्रों में अपनी मजबूत स्थिति कायम की है।
कहां करें संपर्क
माक्र्स विन्स्ले,डायरेक्टर, प्रेस तथा कम्युनिकेशन,ब्रिटिश उच्‍चायोग,चाणक्यपुरी, नई दिल्ली110021

शिक्षक पात्रता परीक्षा की तैयारी

यकीनन शिक्षक नई पीढ़ी का पथ प्रदर्शकऔर राष्ट्र निर्माता होता है। बड़ी संख्या में युवाओं का लक्ष्य शिक्षक बनना होता है। शिक्षक पात्रता परीक्षा श्रेणी.1ए 2 तथा 3 तीनों में 150 वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे जाएँगे। प्रश्नों को हल करने के लिये ढाई घंटे का समय दिया जाएगा। शिक्षक पात्रता परीक्षा श्रेणी.1 के प्रश्नपत्र के दो भाग हैं। भाग.अ सभी के लिए अनिवार्य है। भाग.ब के अंतर्गत शामिल विषयों में से एक विषय का चयन करना होता है। भाग.अ में सामान्य मानसिक योग्यताए सामान्य अध्ययनए शैक्षिक अभिरुचिए हिन्दी तथा अंग्रेजी के प्रश्न पूछे जाएँगे। शिक्षक पात्रता परीक्षा श्रेणी.2 में बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्रए भाषा.1ए भाषा.2ए गणित विज्ञान सामाजिक विज्ञान मुख्य भाषा के प्रश्न पूछे जाएँगे। शिक्षक श्रेणी.3 पात्रता परीक्षा में बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र भाषा.1ए भाषा.2ए गणित तथा पर्यावरण अध्ययन के प्रश्न पूछे जाएँगे।
यह सर्वविदित तथ्य है कि जो विद्यार्थी सुनियोजित रूप से तथा अच्छे अध्ययन संदर्भों को आधार बनाकर तैयारी करते हैंए वे सफल होते हैं। शिक्षक श्रेणी.1ए 2 तथा 3 पात्रता परीक्षा में सफलता के लिए एनसीईआरटी की संबंधित विषय की पुस्तकेंए नवीनतम पाठयक्रमानुसार बनी शिक्षक पात्रता परीक्षा की नोट्स फाइल तथा प्रतियोगी परीक्षाओं की स्तरीय मासिक पत्रिकाएँ प्रथम अध्ययन संदर्भ के रूप में होनी चाहिए। शिक्षक पात्रता परीक्षा की तैयारी के लिये गणित एवं सामान्य मानसिक योग्यता खंड पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इन खंडों में संख्यात्मक गणनाओंए तार्किक शक्ति आदि के प्रश्नों में गति एवं शुध्दता अति आवश्यक है इसलिए इस प्रकार के मॉडल प्रश्नों का बारम्बार अभ्यास करें। अभ्यास से ही आत्मविश्वास आता है। परीक्षा में प्रश्नपत्र हल करने के दौरान गणित एवं सामान्य मानसिक योग्यता का जो प्रश्न कठिन लगता है उसे छोड़कर अगला प्रश्न हल करना चाहिए। क्योंकि बीच.बीच में प्रश्न.पत्र में कुछ प्रश्न ऐसे दिए जाते हैं जिससे परीक्षार्थी हल करते समय दुविधापूर्ण स्थिति में आ जाए। उल्लेखनीय है कि प्रथम प्रयास में ही शीघ्रतापूर्वक बिना त्रुटि के जोड़.गुणा.भाग करने की दक्षता आदि में समर्थ रहने वालों को पहचान लेने के लिए थोड़े कठिन प्रश्नों का भी चयन किया जाता है।
शिक्षक पात्रता परीक्षा श्रेणी.1 के सामान्य अध्ययन के खंड में इस बात की जाँच की जाती है कि परीक्षार्थी में सामान्य ज्ञान का स्तर कितना है। समाजए देश और विश्व से जुड़ी प्रमुख घटनाओं के प्रति परीक्षार्थी की जागरूकता का पता इसी परीक्षा से लगाया जाता है। सामान्य अध्ययन में प्रायरू सामान्य ज्ञान के प्रश्नों के साथ पिछले कुछ समय में हुई घटनाओं पर भी प्रश्न पूछे जाते हैं। इसके लिए यह बहुत जरूरी है कि पूरे नवीनतम घटनाक्रम पर नजर रखी जाए। इस खंड की तैयारी के लिए राष्ट्रीय स्तर के समाचार पत्र में दिया जा रहा इस हफ्ते का खबरनामा तथा सम.सामयिकीए प्रतियोगी परीक्षाओं की सामान्य ज्ञान केंद्रित पत्रिकाएंए कॉम्पीटिशन सक्सेस रिव्यू तथा सामान्य ज्ञान दर्पण बहुत उपयोगी है।शिक्षक पात्रता परीक्षा श्रेणी.1ए 2 तथा 3 के हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा के खंड का उद्देश्य भाषा ज्ञान की परीक्षा करना है। व्याकरणए शब्दावलीए वाक्य पूर्ण करनाए समानार्थीए विरुध्दार्थीए अनुच्छेद की समझ आदि संबंधी प्रश्नों से अंग्रेजी तथा हिन्दी भाषा संबंधी ज्ञान की परीक्षा की जाती है। विज्ञान एवं पर्यावरण अध्ययन खंड की तैयारी के लिये भौतिकी में प्रयुक्त होने वाले विभिन्न सूत्रों को कंठस्थ कर लें। मापनए गति एवं बलए कार्यए ऊर्जा एवं शक्तिए ध्वनिए प्रकाशए विद्युत ऊर्जा आदि से संबंधित सूत्रों एवं अवधारणाओं को याद कर लें। इसी प्रकार रसायन शास्त्र के तहत द्रव्य की प्रकृतिए बंधए रासायनिक अभिक्रियाएँए आवर्त सारणीए कार्बनिक रसायन पर विशेष ध्यान दें। जीव विज्ञान के अंतर्गत कोशिकाए वनस्पति क्रिया विज्ञानए परिसंचरण तंत्रए श्वसन तंत्रए उत्सर्जन तंत्रए तंत्रिका तंत्रए अंतरूस्त्रावी तंत्रए आनुवांशिकीए पोषणए स्वास्थ व रोग महत्वपूर्ण टॉपिक हैं। इन टॉपिक्स से संबंधित प्रश्नों को अच्छे से तैयार कर लें।सामाजिक विज्ञान खंड में इतिहासए भूगोलए राजनीति शास्त्र तथा अर्थशास्त्र से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। इतिहास को तीन भागों यथा प्राचीन भारतए मध्यकालीन भारत तथा आधुनिक भारत में बाँटा जा सकता है। प्राचीन भारतीय इतिहास को तीन कालावधियों में बाँटा जाता है. प्रागैतिहासिक काल तथा ऐतिहासिक काल व आद्य ऐतिहासिक काल से प्रश्न प्रायरू महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थलों एवं वहाँ प्राप्त वस्तुओं पर आधारित होते हैं। ऐतिहासिक काल में मुख्यतरू सामाजिकए सांस्कृतिक पहलू पर ध्यान देना चाहिए। मध्यकालीन भाग से इतिहास के साथ.साथ संस्कृति से भी अधिक प्रश्न पूछे जाते हैं। इस काल के साहित्यए चित्रकला व स्थापत्य शैली तथा तकनीकी उपलब्धि की विस्तृत सूची बनाकर अध्ययन करना चाहिए। इतिहास खंड में आधुनिक इतिहास सबसे महत्वपूर्ण तथा सर्वाधिक अंकदायी भाग हैए अतरू इस पर विशेष ध्यान केंद्रित करना चाहिए। स्वतंत्रता संग्राम की महत्वपूर्ण घटनाओं का विस्तार से गहन अध्ययन बहुत लाभप्रद होता है।राजव्यवस्था की तैयारी में संविधान संशोधन के महत्वपूर्ण तथ्यों एवं उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए महत्वपूर्ण निर्णयों का अध्ययन लाभप्रद होता है। परीक्षा की दृष्टि से भारतीय राजव्यवस्था को दो भागों में बाँट सकते हैं। संवैधानिक पक्ष एवं राजव्यवस्था से संबंधित सामयिक विकास। संवैधानिक पक्ष को पुनरू दो भागों में बाँटा जा सकता है यथा भारतीय संविधानए संसदीय कार्यवाही एवं प्राविधिकता। राजव्यवस्था के अंतर्गत राज्य के नीति निदेशक तत्वए मूल कर्तव्यए कार्यपालिकाए बजटए न्यायपालिकाए केंद्र.राज्य संबंधए चुनावए आपातकालीन प्रावधान तथा संविधान संशोधन सम्मिलित हैं। इन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। भूगोल खंड में अधिकांश प्रश्न भारत के भूगोल से संबंधित होते हैं। इनमें भूकंप के बुनियादी लक्षणए भारत के जलवायु क्षेत्रए बंदरगाहए ज्वार.भाटाए नदियाँए बहुउद्देश्यीय परियोजनाएँए सिंचाईए फसलें आदि मुख्य होते हैं। भूगोल की तैयारी के संबंध में एक विशेष बात है मानचित्र की जानकारी। मोटे तौर पर परीक्षार्थियों को मानचित्र पर विभिन्न महत्वपूर्ण स्थानोंए पर्वतोंए नदियोंए झीलों की स्थिति के बारे में जानकारी होनी चाहिए। अर्थव्यवस्था खंड की तैयारी के लिये भारतीय एवं विश्व अर्थव्यवस्था में हुई पहल तथा विकास का समीक्षात्मक विश्लेषण करना चाहिए। इसके अंतर्गत अर्थव्यवस्था की प्रकृतिए पूँजी निर्माणए राष्ट्रीय आयए आय वितरणए भारत में नियोजनए संरचनात्मक सुधारए खाद्य सुरक्षाए सार्वजनिक वितरण प्रणालीए औद्योगिक नीतिए औद्योगिक रुग्णताए मुद्रास्फीतिए भुगतान संतुलनए बैंकिंग प्रणाली तथा राजकोषीय ढाँचे के अध्ययन पर विशेष ध्यान देना चाहिए। शिक्षाशास्त्र तथा बाल विकास खंड की तैयारी के लिए बाजार में उपलब्ध स्तरीय अध्ययन सामग्री का उपयोग करते हुए इस खंड पर अपनी पकड़ बनाएँ

एक परीक्षा से पचास हजार भर्तियां

छह अर्धसैनिक बलों  के लिए  एक परीक्षा
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक क्रांतिकारी सिफारिश में अर्धसैनिक बलों के ५० हजार जवानों की भर्ती का रास्ता आसान कर दिया है। मंत्रालय के तहत आने वाले छह अर्धसैनिक बलों में भर्ती के लिए अब एक ही परीक्षा होगी। पहले इन बलों में भर्तियों के लिए अलग-अलग परीक्षाएं होती थीं। कर्मचारी चयन आयोग ३ दिसंबर को इस आशय की सूचना जारी करेगा। गृह मंत्रालय की सिफारिश पर कार्मिक मंत्रालय ने यह फैसला लिया है।
कार्मिक मंत्रालय के अनुसार इस समय छह अर्धसैनिक बलों सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी तथा असम राईफल्स में जवानों के करीब पचास हजार पद रिक्त पड़े हैं। ये पद ३१ अक्तूबर २०१२ तक भरे जाने हैं। ये पद कांस्टेबल (जनरल ड्यूटी) तथा राइफलमैन के हैं।इन पर भर्ती के लिए कर्मचारी चयन आयोग कॉमन भर्ती योजना का प्रारूप आगामी तीन दिसंबर को जारी करेगा। इसके बाद उम्मीदवार आवेदन की प्रक्रिया शुरू कर सकेंगे। नई भर्ती से जहां रोजगार के द्वार खुलेंगे वहीं, सरक्षा बलों में मजबूती भी आएगी। इसके अलावा भारतीय खाद्य निगम के लिए कर्मचारी चयन आयोग अगले दो सालों में श्रेणी-३ के आठ हजार कार्मिकों की भर्ती करेगा। जबकि इसी साल अक्तूबर में उसने ३७५५ कार्मिकों की भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू की है। इसी साल कर्मचारी चयन आयोग ने असम राइफल्स और आईटीबीपी में जवानों की भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की थी जिसके रिजल्ट जल्द घोषित किए जाएंगे।

रिटेल में एक करोड़ नौकरियों का दावा

१० करोड़ डॉलर का निवेश
केंद्र सरकार का दावा है कि रिटेल कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को मंजूरी मिलने से एक करोड़ लोगों को नौकरी मिलेगी। सहयोगी दल तृणमूल कांग्रेस और विपक्ष की आशंकाओं को सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया है। सरकार के मुताबिक इस फैसले से तीन साल के भीतर रिटेल क्षेत्र में बड़ी तादाद में नौकरियां पैदा होंगी। इससे किसानों को भी उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिल सकेगा और उपभोक्ता भी उचित मूल्य पर वस्तुएं हासिल कर सकेंगे।
वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों के इस क्षेत्र में प्रवेश से मझोले कारोबारियों को कोई नुकसान नहीं होगा। विदेशी कंपनियों को १० करोड़ डॉलर का निवेश करना होगा, जिसमें से आधी धनराशि ग्रामीण क्षेत्रों में भंडारण तथा अन्य मूलभूत ढांचागत सुविधाओं के विकास पर खर्च की जाएगी। आनंद शर्मा ने कहा कि बड़े स्टोर अपना सामान सीधे किसानों से खरीदेंगे, जिससे उन्हें उपज का बेहतर मूल्य मिलेगा। अभी बिचौलियों के चलते किसानों को रिटेल बाजार में १० से १२ फीसदी कम मूल्य मिलता है। इसी कारण किसानों का नकदी फसलों के प्रति रुचि भी कम हो रही है। मगर, एफडीआई से उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होना सुनिश्चित है। उन्होंने कहा कि समुचित भंडारण व्यवस्था बनने से बड़ी मात्र में खाद्यान्न की बरबादी रोकी जा सकेगी। फिलहाल ३५ से ४० प्रतिशत फल और सब्जियां तथा १० प्रतिशत अनाज बरबाद हो जाता है। इसके चलते सालाना लगभग एक खरब रुपये का नुकसान होता है। हालांकि, सरकार की ओर से भी खाद्यान्न और फल-सब्जियों के भंडारण की व्यवस्था को विस्तार देने के प्रयास किए जा रहे हैं।

गुरुवार, 24 नवंबर 2011

बदलेगी आईआईटी की सूरत

अगर सब कुछ ठीक रहा तो बहुत जल्द दुनिया के सर्वश्रेष्ठ इंजीनियर तैयार करने वाले भारतीय प्रोद्यौगिकी संस्थानों (आईआईटी) का कायाकल्प हो जाएगा। मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय द्वारा आईआईटी की दशा सुधारने के लिए परमाणु वैज्ञानिक अनिल काकोदकर की अध्यक्षता में गठित आयोग ने अपनी सिफारिशें सौंप दी हैं। अब मंत्रालय ने सुधारों को लागू करने के तौर-तरीकों को सुझाने के लिए काकोदकर की अध्यक्षता में ही एक नई समिति बनाई। पैनल की रिपोर्ट आईआईटी परिषद स्वीकार कर चुकी है।
 अनुसंधान केन्द्र बनाएंगे
रिपोर्ट में कुछ महत्वपूर्ण सिफारिशें दी गई हैं, जिसमें प्रमुख सिफारिश आईआईटी को अनुसंधान हब बनाने की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि समय के मुताबिक आईआईटी एक्ट में बदलाव जरूरी हो गया है। इसमें प्रशासन से जुड़ी कुछ सिफारिशों पर अगले छह महीनों में अमल हो जाएगा। काकोदकर ने प्रशासनिक और शुल्क संरचना में भी बदलाव की वकालत की है।
2020 की जरूरतें पूरी होंगी
समिति की रिपोर्ट वर्ष 2020 में पैदा होने वाली जरूरतों के आधार पर तैयार की गई है। इसके मुताबिक आईआईटी को अब प्रारम्भिक अनुसंधान संस्थान के रूप में परिवर्तित कर देना चाहिए। ताकि वर्ष 2020 तक प्रत्येक दस हजार छात्रों में कम से कम एक हजार छात्र पीएचडी धारक हों। सभी आईआईटी में एक रिसर्च पार्क बनाने की भी अनुशंसा की गई है।
अनुदान की बढ़ोतरी
समिति ने आईआईटी के अनुदान को बढ़ाने की भी सिफारिश की है। आईआईटी को प्रति छात्र 1.5 लाख रुपए के हिसाब से अनुदान दिया जाए, साथ ही नए आईआईटी को पचास करोड़ रुपए का विशेष अनुदान देने की भी सिफारिश की गई है। समिति ने प्रति अतिरिक्त छात्र के लिए 20 लाख रुपए अलग से मुहैया कराने को भी कहा है। मंत्रालय को छात्रवृत्ति के साथ साथ पीएचडी, एमटेक के छात्रों और आर्थिक रूप से कमजोर बीटेक के छात्रों की शिक्षा का पूरा खर्च भी उठाने की सिफारिश की गई है। गौरतलब है कि देश में इस समय 16 आईआईटी हैं। जिसमें से नौ हाल ही में खोले गए हैं।

सोमवार, 21 नवंबर 2011

देश में कहीं से भी दें ऑनलाइन परीक्षा

अब कोई भी छात्र देश के किसी दूरदराज इलाके में बैठकर कोई भी परीक्षा ऑनलाइन दे सकेगा। मानव संसाधन विकास एवं सूचना प्रोद्यौगिकी मंत्री कपिल सिब्बल ने राष्ट्रीय ऑनलाइन परीक्षा प्रणाली की शुरुआत कर दी है। यह परीक्षा एक सॉफ्टवेयर के जरिए संपन्न होगी, जिसे नोएडा स्थित सीडैक कंपनी ने तैयार किया है।
30,000 की परीक्षा एक साथ 
सॉफ्टवेयर के जरिए 30,000 छात्रों की परीक्षा एक साथ पूरे देश में ली जा सकेगी। सीडैक इस साफ्टवेयर को और विकसित करेगा ताकि यह सारी परीक्षाओं के लिए उपयोगी हो सके। इस सॉफ्टवेयर से कोई भी छात्र परीक्षा के लिए अपना पंजीकरण करा सकता है और परीक्षा दे सकता है। इस ऑनलाइन परीक्षा प्रणाली के लागू होने से देश में सभी परीक्षाएं पारदर्शी हो जाएंगी और प्रश्नपत्र लीक होने की घटनाएं नहीं हो पाएंगी। एक परीक्षा आयोजित करने में कम से कम ५० टन कागज खर्च होता है। आनलाइन परीक्षा सें कागज भी बच जाएगा और पर्यावरण की भी रक्षा हो पाएगी।

मार्च तक ५० हजार सरकारी नौकरियां

खाली आरक्षित पदों को भरेगी सरकार
बेरोजगारों के लिए खुशखबरी। केंद्र सरकार मार्च २०१२ तक विभिन्न विभागों में ५० हजार भर्तियां करने जा रही है। केंद्रीय विभागों में काफी समय से खाली चल रहे बैकलाग कोटे को पूरा करने के लिए यह भर्ती अभियान चलाया जाएगा। इन पदों पर अनुसूचित जाति, जन जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों को नौकरी मिलेगी।
एक अनुमान के अनुसार केंद्रीय विभागों में 50,000 हजार से ज्यादा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणियों में पद खाली पड़े हैं। इन्हें भरने के लिए सरकार भर्ती और पदोन्नति अभियान चलाएगी। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अनुसार रिक्त पदों में 40 प्रतिशत पद आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को प्रोन्नति करके भरे जाएंगें। केंद्रीय विभागों, संबंधित संस्थाओं और प्रतिष्ठानों में खाली पड़े पदों की स्थिति की समीक्षा के बाद यह पता चला है। एक अनुमान के मुताबिक रेलवे में भी 15,000 से अधिक आरक्षित पद खाली हैं। अभी कई और विभागों में बैकलाग कोटा की स्थिति स्पष्ट नहीं है। लेकिन, सभी विभागों के रिक्त पदों को मिलाकर कुल ५० हजार के करीब भर्तियां की जानी हैं जिन्हें मार्च २०१२ तक भर लिया जाएगा।
भर्ती अभियान के बाद भी पद खाली
नवंबर २००८ में केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में कुल 77,487 पद बैकलाग कोटे के थे। इनमें 25,560 अनुसूचित जाति, 28,542 अनुसूचित जनजाति और 23,385 ओबीसी के लिए आरक्षित थे। इन्हें भरने के लिए विशेष अभियान चलाया गया। लेकिन, जून 2011 तक चले अभियान के बाद भी बड़ी संख्या में पद खाली रह गए हैं। भर्ती अभियान के दौरान पता चला कि कई पदों के लिए बार-बार विज्ञापन निकालने के बावजूद कोई योग्य उम्मीदवार नहीं मिले।

रविवार, 20 नवंबर 2011

बीटेक में नहीं है भूकंप से जुड़ा विषय, इंजीनियरों की कमी दे सकती है झटका

भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा से निपटने के मुद्दे पर भले ही केंद्र और राज्य सरकारें गंभीर है, मगर इस मुहिम में अब एक बड़ा पेच फंस गया है। देश में भूकंपरोधी निर्माण तकनीक की जानकारी रखने वाले इंजीनियरों की संख्या मुट्ठीभर है।
दूसरी तरफ बीटेक में भूकंप इंजीनियरिंग से संबंधित कोई विषय भी नहीं है, इसलिए एक-दो वर्ष में नए इंजीनियर मिलेंगे, यह उम्मीद भी नहीं की जा सकती। इस समस्या का हल निकालने के लिए अब राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने बीटेक में अनिवार्य रूप से भूकंप इंजीनियरिंग विषय शामिल करने बाबत नई पॉलिसी तैयार की है।
बता दें कि एनडीएमए ने भूकंप की संभावना वाले दिल्ली सहित कई अन्य राज्यों को च्स्ट्रक्चरल डिजाइन बेसिस रिपोर्टज् लागू करने की सलाह दी है। इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए केवल इंजीनियर ही अधिकृत है। जब तक इंजीनियर द्वारा निर्माणकार्य की विस्तृत रिपोर्ट संबंधित एजेंसी को नहीं सौंपी जाती, तब तक बिल्डिंग मालिक को कब्जा नहीं मिलेगा। इतना ही नहीं, मकान का विस्तार करना है तो फिर से यही पैटर्न अपनाना होगा। फिलहाल जो सिविल इंजीनियर हैं, उन्हें भूकंपरोधी निर्माण तकनीक की कोई ठोस जानकारी नहीं है। रुड़की, चेन्नई व कानपुर जैसी चुनींदा आईआईटी को छोड़कर अन्य किसी संस्थान में भूकंप इंजीनियरिंग विषय नहीं पढ़ाया जाता। आईआईटी में भी इस विषय के लिए १५-१६ सीट निर्धारित की गई हैं। एमटेक के स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग विषय में ही इस बाबत थोड़ी-बहुत पढ़ाई कराई जाती है।
मांगी गई जानकारी
एनडीएमए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस बाबत सभी राज्यों से जानकारी मांगी गई है। चूंकि इस विषय को पढ़ाने के लिए पर्याप्त फैकल्टी भी नहीं है, इसलिए नई पॉलिसी के तहत टीचर ट्रेनिंग पर विशेष जोर रहेगा। इस विषय को न केवल बीटेक, बल्कि डिप्लोमा और आर्किटेक्ट के कोर्स में भी अनिवार्य रूप से शामिल करने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।

शुक्रवार, 18 नवंबर 2011

मेडिकल में 50ः अंक जरूरी नहीं

इंजीनियरिंगए होटल मैनेजमेंटए एमबीए की तर्ज पर अब मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेना पहले से आसान होगा। छात्र चाहे कितने भी पिछड़े इलाके का हो या किसी भी बोर्ड से पढ़ाई की होए उसके पास डॉक्टर बनने का बराबरी का मौका होगा। सरकार ने मेडिकल एंट्रेंस में बैठने के लिए 12वीं में 50 फीसदी अंक लाने की अनिवार्यता को खत्म करने का फैसला किया है। इसकी जगह पर्सेटाइल प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
इससे होगा यह कि कोई छात्र बोर्ड परीक्षा में कम अंक होने की वजह से एंट्रेंस देने से वंचित नहीं रह जाएगा। होता यह है कि कोई बोर्ड काफी ज्यादा नंबर देता है तो किसी बोर्ड में कम नंबर आते हैं।
पर्सेटाइल फामरूले में यह अंतर खत्म हो जाएगा। अगले साल से देश के 335 मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस में दाखिले के लिए नेशनल एलिजिबिलिटी एंड एंट्रेस टेस्ट ;एनईईटीद्ध होने जा रहा है।
इसमें 10 लाख छात्रों के बैठने की संभावना है। कई राज्य सरकारों ने विरोध जताया था कि टेस्ट चूंकि सीबीएसई ले रही है तो सिलेबस पर उसका असर रहेगा। सीबीएसई बोर्ड में ज्यादा नंबर आते हैंए जबकि कई राज्य बोर्डों की पढ़ाई बेहद कठिन है और नंबर कम आते हैं। खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार में। इसी वजह से 12वीं में 50 फीसदी अंक सीमा को खत्म करने का फैसला किया गया।

मंगलवार, 15 नवंबर 2011

अब एक साथ पढि़ए दो विश्वविद्यालयों में

मेटा यूनिवर्सिटी में होगा दोहरा पाठ्यक्रम
कॉलेज या विश्वविद्यालय में पढऩे वाले छात्रों के लिए खुशखबर। अब वे दोहरा पाठ्यक्रम यानी एक विषय के साथ समानांतर रूप से दूसरे विषय की भी पढ़ाई कर सकेंगे । सरकार इसके लिए एक मेटा यूनिवर्सिटी स्थापित करने जा रही है। यह प्रस्तावित संस्थान उदाहरण के लिए आईआईटी कानपुर के किसी छात्र के लिए यह संभव बनाएगा कि वह इसके साथ ही जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्राचीन इतिहास के अध्ययन के लिए प्रवेश ले सकें या फि र भारतीय विज्ञान संस्थान में पढ़ रहा कोई छात्र इसके साथ-साथ जाधवपुर विश्वविद्यालय से साहित्य की पढ़ाई कर सके।
पहले परखी जाएगी छात्रों की क्षमता
दूसरे विश्वविद्यालय में खास पाठ्यक्रम में प्रवेश से पहले छात्रों की क्षमता की परख की जाएगी और फि र उन्हें उपाधियां प्रदान की जाएंगी । यह विचार छात्रों को इस काबिल बनाने के लिए है कि वे आईआईटीज द्वारा तैयार सामग्री को सीखने सहित समूचे विश्व से सामग्री सीखने के लिए खुले स्रोत का इस्तेमाल करें ।
अगले साल से काम शुरू करेगा विश्वविद्यालय
मेटा यूनिवर्सिटी अगले साल से काम करने लगेगी। यह एक सहयोगपूर्ण और बहु पाठ्यक्रम सीखने का मंच होगी। मेटा यूनिवर्सिटी में राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क कार्यक्रम पर जोर होगा जिसमें पहले से ही उच्च गति वाली फ ाइबर आधारित ब्राडबैंड कनेक्टिविटी के जरिए देशभर के बड़े संस्थान जुड़े हैं। देश में सीमित संसाधनों और अपेक्षित राष्ट्रीय नेटवर्क के बीच विश्वविद्यालय उत्तम कोटि की शिक्षा की मांग को पूरा करने के पर्याप्त अवसर प्रदान करेगा। अन्य विश्वविद्यालयों से पाठ्यक्रम करते समय छात्रों के पास सीखने के व्यापक विकल्प होंगे। इसके साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने स्कूल स्तर पर प्रतिभाओं को पुरस्कृत करने के लिए एक नवोन्मेष छात्रवृत्ति लाने का भी प्रस्ताव रखा है। नवोन्मेष पाठ्यक्रमों की स्थापना के लिए दो समूहों के साथ दिल्ली विश्वविद्यालय और एमएस यूनिवर्सिटी बड़ौदा के साथ हस्ताक्षर किए जा चुके हैं। दिल्ली के छात्र इससे सबसे पहले लाभ उठाने वालों में शामिल होंगे। हाईस्कूल स्तर के विद्यार्थियों को स्थानीय इतिहास, पारिस्थितिकी और स्थानीय सांस्कृतिक धरोहरों से अवगत कराने का प्रस्ताव भी रखा है ताकि वे अपने तात्कालिक वातावरण के बारे में सचेत हो सकें।

ब्रिटेन में भारतीयों के लिए नौकरियां घटीं

भारत समेत गैर यूरोपीय देशों के लोगों के लिए ब्रिटेन में नौकरियां अब और घट गई हैं। ब्रिटिश सरकार ने और कई तरह के प्रफेशन को शॉर्टेज ऑक्युपेशन लिस्ट में डाल दिया है। मतलब, इन श्रेणियों के माहिर लोग अगर गैर यूरोपीय देशों के हैं, तो वे इनके लिए अप्लाई नहीं कर पाएंगे। इसका असर हर साल करीब ४० हजार लोगों पर पड़ेगा।
जिन पेशों को लिस्ट से हटाया गया 
सेकंडरी एजुकेशन बायॉलजी टीचर, स्पीच ऐंड लैंग्वेज थेरपिस्ट, फार्मेसिस्ट, वेटनरी सर्जन और ऑर्केस्ट्रा म्यूजिशियन। हालांकि लिस्ट में एक्चुअरीज, उच्च श्रेणी के पाइप वेल्डर, इन्वाइरनमेंट साइंटिस्ट और जियोकेमिस्ट जैसे प्रफेशंस को जोड़ा गया है। डेविड कैमरन सरकार ने माइग्रेशन अडवाइजरी काउंसिल (मैक) की सिफारिशों को मंजूर करते हुए तुरंत प्रभाव से लागू करने का आदेश दिया है।
शॉर्टेज ऑक्युपेशन लिस्ट में शामिल नौकरियों के लिए गैर यूरोपीय देशों के नागरिकों को ब्रिटेन आने की छूट मिलती है। यूरोप के अलावा बाकी देशों के अति कुशल पेशेवरों को इसी लिस्ट के आधार पर टियर-२ वीजा दिया जाता है। ब्रिटिश कंपनियों का कहना है कि इन श्रेणियों की नौकरियों के लिए स्वदेश में ही तमाम प्रफेशनल उपलब्ध हैं। इसी के बाद सरकार ने लिस्ट में यह तब्दीली की। इमिग्रेशन मिनिस्टर डेमियन ग्रीन का कहना है कि यूरोपीय यूनियन के बाहर के देशों से हम ऐसे बेस्ट लोगों को नौकरी देना चाहते हैं, जिनकी काबिलियत का हम फायदा उठा सकें।

रविवार, 13 नवंबर 2011

भौतिकी, रसायन, गणित पढऩे का युग समाप्त

प्रधानमंत्री के सूचना तकनीकी सलाहकार एवं राष्ट्रीय ज्ञान आयोग के पूर्व अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था पर तल्ख टिप्पणी की है। उनका कहना है कि भौतिकी, रसायन, गणित जैसे पारम्परिक विषयों को पढऩे का युग अब समाप्त हो गया है। वे कहते हैं, आज रचनात्मकता, समन्वय, लीडरशिप, ग्लोबल तथा प्रोफेशनल विषयों को पढऩे तथा सूचना तकनीक के जरिए पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। पित्रोदा, राष्ट्रीय नवोन्मेष परिषद के अध्यक्ष हैं। वे भारत में कंप्यूटर क्रांति के  पितामह रहे हैं। सैम कुछ बोलते हैं, कहते हैं तो इनकी बातों में दम होता है। पित्रोदा सच कह रहे हैं कि आज इंटरनेट, वेबसाइट व सोशल नेटवर्किंग का जमाना है। हमारी दुनिया पूरी तरह बदल चुकी है। अब साठ साल पहले की तरह पढ़ाई नहीं हो सकती। पूरी शिक्षा प्रक्रिया उलट गई है। लेकिन, हमारे स्कूल, कालेज और विश्वविद्यालय आज भी बाबू ही पैदा कर रहे हैं।
अध्यापक शोध नहीं करते, शोध करने वाले पढ़ाते नहीं
देश के अध्यापक शोध नहीं करते और जो शोध करते हैं, वे पढ़ाते नहीं हैं। हमें पूरी सोच को बदलना है, तभी उच्च शिक्षा का विकास होगा। हमें विश्वविद्यालय आज के लिए नहीं, बल्कि कल के बच्चों के लिए खोलना है। लेकिन, अफसोस। आज जितने भी विश्वविद्यालय खुल रहे हैं वे अमरीका और पाश्चात्य देशों की नकल कर रहे हैं। जबकि, देश में उच्चशिक्षा के विकास के लिए पश्चिमी मॉडल कभी भी कारगर नहीं रहा है। आज यहां के अधिकतर विश्वविद्यालयों में प्रतिवर्ष चालीस हजार डॉलर के करीब फीस है। इतनी अधिक फीस हमारे यहां के अभिभावक नहीं दे सकते। वैसे भी पिछले २५ सालों से हम अमीर लोगों की ही समस्याएं सुलझा रहे हैं। अब हमें गरीबों की समस्या सुलझाने का नैतिक दायित्व निभाना चाहिए। इसलिए हमें अपने विश्वविद्यालयों का नया मॉडल विकसित करना होगा।
नौकरी और प्रशिक्षण का मॉडल तलाशें
'पाठ्यक्रमों पर केंद्रित, डिग्रियां और सॢटफिकेटÓ देने वाली शिक्षा व्यवस्था सिर्फ और सिर्फ बेरोजगारों की ही फौज को खड़ी कर रही है। आज देश में २५ वर्ष से कम आयु के करीब ५५ करोड़ लोग हैं। हमें सोचना यह है कि आखिर, हम उन्हें नौकरी और प्रशिक्षण कैसे देंगे? लेकिन, यह विडंबना है कि आज तक हमने ऐसी कोई प्रणाली विकसित नहीं की, जिससे यह पता चल सके कि अमुक वर्ष में देश को इतने इंजीनियर, डॉक्टर, वकील और पत्रकार चाहिए। हमारे विश्वविद्यालय हर साल इतिहास, भूगोल, हिंदी, संस्कृत जैसे परंपरागत विषयों के स्नातक और परास्नातक पैदा करते हैं। लेकिन इन्हें कहां रोजगार मिलेगा, इस बात को जानने की कोशिश न तो विश्वविद्यालय करता है न सरकारें।
विषय केंद्रित खुलें विश्वविद्यालय
आखिर, हर विश्वविद्यालय में इतिहास, भूगोल और अन्य मानविकी विषय क्यों पढ़ाए जा रहे हैं। जबकि मानविकी विषयों के लिए किसी भी राज्य में हर साल हजार,दो हजार से ज्यादा नौकरियां सृजित नहीं होती। क्यों न हर राज्य में किसी एक विषय इतिहास, भूगोल आदि को पढ़ाने वाली ही यूनीवर्सिटी खुले। हिंदी विश्वविद्यालय हिंदी की हर विधा की पढ़ाई हो। इससे स्पेशलाइज्ड लोग शिक्षा ग्रहण कर निकलेंगे। तब नौकरियों की मारामारी नहीं होगी। आज प्रतिस्र्पधा का युग है। महज,सर्टिफिकेट और डिग्रियों के भरोसे बेरोजगारी की जंग नहीं लड़ी जा सकती। आज कौशल और तकनीक का जमाना है। यही समय की तकाजा है। हुक्मरानों को यह बात कब समझ में आएगी।

शनिवार, 12 नवंबर 2011

समस्याएं तो आयेंगी, आप अपना ध्यान टारगेट पर रखें

च्जीवन चलने का नाम, चलते रहो सुबह-ओ शाम, फ़िल्म शोर का यह गीत ऊर्जा से भर देती है. एक बार जीवन में थम गये, तो जीवन ही खत्म हो जाता है, फ़िर चाहे हमारी सांसें चलती ही क्यों न रहें. यहां बात केवल शरीर के चलने की नहीं, चेतना के चलने की है. शरीर तो मृत्यु से पहले तक चलता रहता है, लेकिन चेतना चलती रहे, यह हम पर निर्भर है.
हम ऐसे चलने की बात कर रहे हैं, जहां हम कहीं भी न तो थक कर बैठते हैं और न ही घबरा कर अपना रास्ता छोड़ देते हैं. यह वह चलना है, जब जीवन के हर पल को हम पूरे उल्लास से जीने की कोशिश करते हैं और यहां तक कि तब भी, जबकि हमें मालूम है कि अगले ही पल मृत्यु होनेवाली है. इतिहास की एक ऐसी सच्ची घटना है, जिस पर सहसा विश्वास करना थोड़ी मुश्किल है, लेकिन यह सच है.सनाका रोम के महान दार्शनिक और सम्राट नीरो के गुरु थे. उन्होंने नीरो को सम्राट बनाने में उसकी मां की मदद भी की थी. नीरो को शक हो गया कि उसके राजगुरु सनाका उसके विरुद्ध षडयंत्र कर रहे हैं. नीरो ने सनाका को राजदरबार में नस काट कर बूंद-बूंद रक्त के बहने से होनेवाली मौत की सजा दी. सनाका ने घर जा कर परिवार से विदा लेना चाहा, लेकिन नीरो ने इसकी इजाजत तक नहीं दी. सनाका ने कहा च्दर्शन की पुस्तकें मंगवा दो.उनकी यह इच्छा भी ठुकरा दी गयी.तब उन्होंने अपने शिष्यों को बुला कर कहा-आ जाओ! हम दर्शन पर यहीं चर्चा करेंगे. इससे अच्छा अवसर भला और क्या होगा सचमुच, मुझे विश्वास ही नहीं होता ऐसे लोगों के बारे में सुन कर कि ये सब किस धातु के बने हुए होंगे? कैसा होगा इनका मन और इनकी आत्मा कितनी अधिक शक्तिशाली होगी. ये वे लोग थे, जिन्हें यमराज तक नहीं डरा सका, फ़िर भला जीवन की अन्य परेशानियां इन्हें क्या डरा पातीं.
महान दार्शनिक सुकरात और सनाका जैसे लोगों में यह जो शक्ति आती है, यह मूलत उनके चरित्र की दृढ़ता और अपने विचारों की प्रतिबद्धता के कारण आती है. यदि हम अपने उद्देश्यों के प्रति संकल्पबद्ध हो जाते हैं, और संकल्पबद्ध होकर उसमें अपने-आपको पूरी तरह झोंक देते हैं, तो हमारे लिए कोई भी भय, भय नहीं रह जाता. हम अभय हो जाते हैं. तभी तो प्रेम दीवानी मीरा के लिए जहर का प्याला भी अमृत का प्याला बन गया था.
मुझे लगता है कि हमें भी अपने जीवन में आत्मा की इस शक्ति को पाने के लिए प्रयास करने चाहिए. ऐसा हो सकता है, इसमें कतई संदेह नहीं है. यह तुरंत नहीं होगा. इसमें समय लगेगा. हां, इसकी शुरुआत आपको अभी से करनी है. सबसे पहले अपना टारगेट तय कर लें.आपको राह से भटकाने के लिए समस्याएं तो आयेंगी, लेकिन आपका ध्यान समस्या पर नहीं आपके टारगेट पर होना चाहिए. रुकना नहीं है. टारगेट की तरफ़ आपको बढ़ते रहना है. मंजिल जरूर मिलेगी.

शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

HSBC, Nokia, Barclays Plan Huge Job Cuts

1,35,000 job cuts have been announced
As companies battle the economic slowdown, the employees at large companies in the U.S. and Europe seem to be facing the axe in a major way. More than 1,35,000 job cuts have been announced by just about a dozen multi-national companies in past few months in their efforts to slash costs and those from the financial services space are among the worst hit.However, the employees in India have largely been spared of these layoffs, although most of these companies have significant presence in the country.
Those having announced massive job cuts, running into thousands at each of these companies, include financial service giants like HSBC, Bank of America, Barclays, Credit Suisse and Lloyds Banking Group, as also consumer goods majors such as Whirlpool and Royal Philips Electronics. Besides, mobile handset giant Nokia, BlackBerry maker Research In Motion, drugmaker Merck & Co, aircraft and defense giant Boeing and networking technology major Cisco have also announced large-scale job cuts in their operations.
Together, these companies have announced job cuts totalling more than 1,35,000 in their operations across the world, but the impact on India is estimated to be for less than 1,000 employees. Individually, home appliance maker Whirlpool last week said it plans to reduce its workforce by more than 5,000 people in North America as part of its efforts to save annually $400 million by the end of 2013. Consumer electronics giant Royal Philips Electronics, which has reported a slump in third quarter earnings as a result of loss at its TV division, has said it would cut 4,500 jobs globally as part of a cost saving programme.
Announcing the job cuts earlier this month, it did not rule out the possibility of this exercise affecting employees in India. Philips, which employed about 1,20,582 people globally at the end of September including about 9,000 in India, said job cuts are part of a plan to save $1.1 billion.
Earlier in August, UK-based HSBC said it would trim its workforce by 30,000 people globally. Although, it had already cut 5,000 jobs following restructuring of operations in Latin America, the U.S., Britain, France and the Middle East and that it would cut another 25,000 between now and 2013. However, the bank ruled out job cuts in India, saying the country is a strategic market and one of the key profit centres and that it is in fact finding it difficult to offset the high attrition rates.

Five websites for the DIY learner

The internet is an amazing resource for leaners and autodidacts the world over. Whether you want to find out what makes the universe tick, how to use social media, or just how to crochet a hat, someone somewhere on the internet can teach you. We take a look at five sites that can guide you through the complexities of a whole host of subjects.
Khan Academy
The Khan Academyis not-for-profit organisation that provides free educational materials covering a variety of subjects, mainly maths and science. It has over 2,600 videos, each about ten minutes long, and a series of exercises that you can do to put your newly gained knowledge into practice. The site also tracks your activity and gives you stats on what you’re learning and whether you are hitting your goals. And, if you need a bit of an incentive, you can earn badges as you complete various learning tasks.
The Khan Academy. Image courtesy The Khan Academy
Level: Beginner upwards
Cost: Free
MIT Open Courseware
The Massachusetts Institute of Technology began sharing its free courses via its OpenCourseware project in April 2001. There are now over 2,000 courses to choose from, including computer science, maths, humanities and science courses. The site provides materials and assignments for courses that are actually taught at MIT, including some videos, but doesn’t necessarily provide everything that their students would get. For enthusiastic and self-directed students, it’s a goldemine.
Level: Undergraduate and Graduate
Cost: Free
Grovo
Grovo is a relative newcomer to the online learning space, but it fills an important niche: Explaining the internet itself. Grovo provides Courses that explain specific websites and tools like Amazon or the Chrome browser. Courses are then arranged into Subjects such as social media, productivity or shopping, and Tracks such as Find a Job Online or Grow Your Business with Social Media. Users can learn on their own or in a team with colleagues, friends and family. Businesses can customise their own Tracks and access a dashboard which track everyone’s progress. With over 1000 short videos, quizzes, certificates available, and new lessons being added every month, Grovo is one to watch.
Level: Beginner
Cost: Free or Premium ($9 per month, $99 annually)
Instructables
Instructables has a more creative and practical bent than the other sites, helping people to learn how to make, do and cook things. Step by step instructions are given via photos and text, available either online or in a downloadable PDF. Instructions are created by the website’s members, so quality can vary, but there are a lot of useful and interesting suggestions to be found if you’re willing to dig.
Level: Beginner upwards
Cost: Free
Open University
The UK’s Open University is provides academic courses via its Learning Space programme, covering a very wide variety of subjects from Business and Management to Health and Social Care to Law. Each course takes between one and 50 hours of study and provides activities with sample answers so you can test your progress. The site teaches through games, videos, blogs, podcasts as well as tradiational printed materials. As with MIT’s OpenCourseware, you do need to have good self-motivation to get the best out of the site, but there’s a lot to get your teeth into.
Level: Introductory to advanced
Cost: Free
YouTube: Honourable mention
It’s surprising sometimes just how much you can learn from YouTube, particularly when it comes to crafting and practical arts. YouTube is my first port of call when I’m looking for explanations of, say, a new crochet stitch or bookbinding technique. You do have to know what you’re looking for, but there are some very helpful videos in amongst all the cat movies and music videos.

TATA-owned Land Rover to create 1,000 new jobs in UK

The TATA-owned car giant Jaguar Land Rover has announced that it will be creating 1,000  new jobs as part of its drive to boost production over the next five years.The company said it expected thousands of applications for production staff and skilled tradesmen and women at its Land Rover plant in Solihull, West Midlands.According to The Mirror, the jobs are being created in support of the business’s ambition to deliver 40 “significant product actions” over the next five years under a multibillion-pound investment in product creation, likely to include a new Range Rover model.The government, unions and business leaders welcomed the news, saying it demonstrated the commitment of global investors to the UK.Jaguar Land Rover employs almost 20,000 workers in the UK, including 5,000 in Solihull, and Thursday’s move is the latest in a series of job creation announcements this year.The carmaker said in September it was to create up to 750 jobs at a new factory on a site near Wolverhampton.Des Thurlby, human resources director at Jaguar Land Rover, said: “This is great news for Solihull. We shall be increasing the plant workforce by more than 25%. We have a loyal and committed workforce at Solihull. These jobs are well paid with great benefits. We provide high-quality training and development for all our employees and we expect to receive many thousands of applications.”British Business Secretary Vince Cable said: “This is fantastic news for Solihull that Jaguar Land Rover is recruiting more than 1,000 jobs. This is a positive story of growth for the plant that was once under threat of closure. It is now expanding and has ambitious product plans.”

छंटनी क्या है

जब कंपनियां कर्मचारियों को अस्थाई या स्थाई तौर पर इस वजह से निकाल देती हैं क्योंकि उनके पास उन्हें भुगतान करने के लिए या तो पैसा नहीं होता है या उन कर्मचारियों के लिए कोई काम नहीं होता है तो इसे डाउनसाइजिंग (कर्मचारी कम करना) वर्कफोर्स का पूरा इस्तेमाल और री डिप्लॉयमेंट(दोबारा से तैनाती) के तौर पर जाना जाता है। बैंक और वित्तीय संस्थानों समेत पूरी दुनिया की कई कंपनियों को सितंबर 2008 में लीमैन ब्रदर्स के धराशायी होने के बाद आई मंदी की वजह से छंटनी का सहारा लेना पड़ा था।
नौकरियां जाने से पहले क्या कोई चेतावनी का संकेत होता है
छंटनी कारोबारी सेंटीमेंट का एक अंग है। ऐसे में मंदी के दौरान नौकरियां जाती हैं और अमूमन इसे ऊंची मंहगाई की वजह से जोर मिलता है। मंदी के दौरान नौकरियों का बाजार सूख जाता है क्योंकि कंपनियां अपने तमाम खर्चों को कम करने के लिए कोशिशें करने लगती हैं। अमूमन कड़े कदमों का अगला चरण सही आकार करने की कोशिशों का होता है। ऐसे में इस चरण में नौकरियों की बलि चढ़ती है।
क्या छंटनी रोकने का कोई तरीका है
कई बार कंपनियां मंदी की स्वाभाविक प्रतिक्रिया के तौर पर छंटनी का सहारा लेती हैं। लेकिन इस तरह के कड़े कदमों को उठाने के बजाय कंपनियां कई दूसरे कदम उठा सकती हैं। वर्कफोर्स की सही प्लानिंग, लागत नियंत्रण पर लगातार फोकस, मल्टिस्किलिंग और एक सकारात्मक वर्क कल्चर पैदा करना इन उपायों में शामिल है, जिनका इस्तेमाल कंपनियां लोगों को नौकरी से निकालने के बजाय इस्तेमाल कर सकती हैं।
इससे किस तरह से निपटना चाहिए
एक अच्छा बायोडाटा बनाइए इसे अपने प्रफेशनल नेटवर्क पर सर्कुलेट करिए और हेडहंटर्स से संपर्क करिए जो कि आपके टारगेट सेक्टर या आपके स्पेशलाइजेशन वाले फील्ड में काम करते हैं। अपने परिवार से पिंक.स्लिप (नौकरी जाने) की बात को छिपाइए मत। उनके साथ यह चीज साझा कीजिए ताकि वे आपको भावनात्मक समर्थन दे सकें।
कोई नए करियर के लिए कैसे खुद को तैयार कर सकता है
कर्मचारियों को अपने स्किल्स में पारंगत होना चाहिए। हालिया महीनों में भारत में टेलिकॉम और वित्तीय सेवा सेक्टरों में छंटनी और वर्कफोर्स डिप्लॉयमेंट देखी गई है। अगर कोई खास सेक्टर ठीक प्रदर्शन नहीं कर रहा है तो इसी तरह के दूसरे विकल्पों पर गौर कीजिए। वित्तीय सेवा सेक्टर में मौजूद लोग ऐसा कोई भी काम कर सकते हैं जो उन्हें बी2सी से कनेक्ट कर सके, इसमें सोशल नेटवर्कए ईकॉमर्स, टेक्नोलॉजी कंपनियां आती हैं। ऐसी कंपनियों से संपर्क कीजिए जहां आपके काम से मिलते जुलते प्रोफाइल हों। संभावित नियोक्ताओं से अनौपचारिक बातचीत शुरू कर दीजिए। लगातार स्किलिंग और सीखना जरूरी है।

गुरुवार, 10 नवंबर 2011

हजारों नौकरियों पर छंटनी की तलवार

दुनिया भर में आर्थिक मंदी के हालात बन रहे हैं। अमेरिका, यूरोप से लेकर एशिया तक की इकोनॉमी पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। ऐसे में सबसे बड़ी मार एविएशन इंडस्ट्री पर पड़ने वाली है।
...फिर बनेंगे २००८ जैसे हालात
किंगफिशर और जेट एयरवेट ने अपने यहां छंटनी की तलवार चलाने के संकेत दे दिए हैं। एयलाइंस उद्योग के बड़े खिलाड़ी विजय माल्या ने किंगफिशर में नौकरियां घटाने का फैसला किया है। भारत में भी लोग सहमे हुए हैं और सोच रहे हैं कि क्या एक बार फिर २००८ जैसे हालात बनेंगे।
थम सकती है किंगफिशर की उड़ान
दरअसल किंगफिशर एयरलाइंस पर करीब ७,००० करोड़ रुपए का कर्ज है। कंपनी को वित्त वर्ष २०११ में ४,३२१ करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। इसके अलावा कंपनी ने ४०० करोड़ रुपये का प्रोविडेंट फंड और टीडीएस नहीं भरा है। ऐसे में माना जा रहा है कि किंगफिशर की उड़ान जल्द ही थम सकती है। हालांकि कंपनी ने किसी भी खतरे से साफ इनकार किया है।
१००० कर्मचारियों की जाएगी नौकरी
इधर बढ़ते ईंधन खर्च और लो-कॉस्ट प्रतिद्वंद्वियों के चलते जेट एयरवेज कर्मचारियों की तादाद में १० फीसदी की कटौती कर सकती है। १० फीसदी कटौती का साफ मतलब है कि करीब १००० कर्मचारियों की नौकरी जानी तय है। मैनेजमेंट ने इस बारे में फैसला अक्टूबर में हुई बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों को बता दिया था।
जेट को १२३ करोड़ का नुकसान
देश की सबसे बड़ी प्राइवेट एयरलाइंस यानी जेट एयरवेज को जून २०११ तिमाही में १२३ करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। जेट एयरवेज का फ्यूल खर्च बीते एक साल के दौरान ४७त्न बढ़ा है। कंपनी १३,००० करोड़ रुपए के कर्ज को कम करने में कामयाब नहीं रही।
एयर इंडिया पर ४२,००० करोड़ का कर्ज
इधर एयर इं‌डिया की हालत खस्ताहाल हो चुकी है। एक अनुमान के मुताबिक इस वक्त एयर इंडिया का कुल घाटा १६,००० करोड़ रुपए है और ४२,००० करोड़ रुपए का कर्ज चढ़ा हुआ है। कर्ज और घाटे से उबरने के लिए एयर इंडिया ने सरकार से कम से कम ६,००० करोड़ रुपए के अग्रिम शेयर की मांग की है। इसके अलावा अगले दस सालों में करीब ६,००० करोड़ रुपए की मांग भी सरकार से की गई है।

बुधवार, 9 नवंबर 2011

आईआईएम को वर्ल्ड क्लास बनाया जाएगा

सरकार ने आईआईटी के बाद अब आईआईएम को वर्ल्ड क्लास इंस्टिट्यूट बनाने के लिए कमर कस ली है। सरकार ने तय किया है कि हर तीन साल में देश के सभी आईआईएम संस्थानों की बाहरी समीक्षा की जाएगी। इसके अलावा आईआईएम में बिजनेस प्रबंधन के साथ सोशल सेक्टर से जुड़े प्रबंधन के प्रोग्राम भी शुरू किए जाएंगे। आईआईएम ऊर्जा प्रबंधन, शैक्षिक संस्थान प्रबंधन, स्वास्थ्य प्रबंधन, कृषि प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में करिकुलम तैयार करने में अपना योगदान देंगे। ऐसे प्रोग्राम को संचालित करने के लिए एक टास्क फोर्स बनाने का फैसला किया गया है। मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार आईआईएम में स्टूडेंट्स की तादाद बढ़ाने और विदेशी स्टूडेंट्स को आकर्षित करने के लिए आईआईएम मिलकर रोड शो कर सकते हैं। आईआईएम की योजना एक र्ल्ड क्लास जर्नल निकालने की भी है जिसकी जिम्मेदारी कोलकाता और कोझीकोड को संयुक्त रूप से सौंपी गई है। नए आईआईएम के बीच परस्पर समन्वय के लिए एक स्थायी समिति का गठन भी किया गया है। साथ ही सरकार ने आईआईएम में रिसर्च व पीएचण्डी कार्यों को बढ़ावा देने के मकसद से एक योजना बनाई है जिसके तहत आईआईएम से 100 अतिरिक्त पीएचण्डी के लिए 95 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।

मंगलवार, 8 नवंबर 2011

इंजीनियर बनने के लिए 35 फीसदी ही काफी

हाईस्कूल में 35 फीसदी अंक हैं तो क्या हुआ। यदि मन में इंजीनियर बनने का सपना पाले हुए हैं तब भी निराश होने की जरूरत नहीं। अब ऐसे छात्र भी साकार कर सकते हैं पेशेवर शिक्षा का सपना। दरअसर देश विदेश में पेशेवरों की बढ़ती मांग के मद्देनजर ऐसा बदलाव किया जा रहा है। अगले शैक्षणिक सत्र से 35 फीसदी अंकों के साथ हाईस्कूल पास करने वाले छात्र इंजीनियरिंगए फार्मेसीए आर्किटेक्चरए होटल मैनेजमेंट या अप्लाइड आर्ट्स और क्राफ्ट्स के तीन वर्षीय डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश ले सकेंगे। अभी तक अंक सीमा 50 फीसदी थी। इसके साथ ही पेशेवर कोर्स में प्रवेश मिलने की राह आसान होगी। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद एआईसीटीई ने पेशेवर शिक्षा में प्रवेश के लिए न्यूनतम अंक सीमा में और छूट देने का फैसला किया है। एआईसीटीई ने तकनीकी कॉलेजों में वर्ष 2012.13 सत्र में प्रवेश के लिए नए दिशा निर्देश जारी करते हुए डिप्लोमा कोर्स में न्यूनतम अंक सीमा में 15 और डिग्री कोर्स में 5 फीसदी की कमी की है। ज्यादा से ज्यादा लोग तकनीकी शिक्षा हासिल कर सकें और सीटें खाली नहीं रहें इस वजह से ऐसा किया जा रहा है। अभी लगभग ढाई लाख सीटें हर साल खाली रह जाती हैं।

सोमवार, 7 नवंबर 2011

वफादारी के मामले में भारतीय कर्मचारी सबसे आगे

भारतीय कर्मचारी निष्ठा और वफादारी के मामले में दुनिया में सबसे आगे हैं। ये बात एक सर्वे से और पुख्ता हो गई है। ग्लोबल एम्पलाई इंगेजमेंट इंडेक्स में भारतीय कर्मचारी 7 .3 अंकों के साथ टॉप पर हैं जबकि दुनिया का औसत स्कोर 6 .6 है।
वफादारी के मामले में पड़ोसी देश चीन के कर्मचारियों का स्कोर 5 .8 है हालांकि नौकरी बदलने के मामले में भी 7ण्8 अंकों के साथ भारतीय ही सबसे आगे हैं। इस मामले में चीन के कर्मचारियों ने 6ण्8 स्कोर किया है। मानव संसाधन से जुड़े जानकारों का कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है इसीलिए यहां के कर्मचारी अधिक वफादारी हैं जबकि चीन के कर्मचारी काम करने की बेहतर स्थिति और ज्यादा सैलरी की मांग करते हैं।

शनिवार, 5 नवंबर 2011

उनकी जुबां से

अनुभव का दीपक
 च्मेरे पास एक दीपक है, जो मुझे राह दिखाता है और वह है मेरा अनुभव।
- पैट्रिक हेनरी 
जिंदगी की उम्मीद
इस दुष्ट दुनिया में कुछ भी स्थाई नहीं है, यहां तक कि हमारी समस्याएं भी।
- चार्ली चैप्लिन 
इच्छा शक्ति से आत्मविश्वास
आपके कार्य की नींव आपका आत्मविश्वास है। आप अमुक कार्य कर सकते हैं, इस विचार में ही शक्ति है।
- स्वेट मार्टेन 
अच्छा व्यक्ति कौन?   
च्सबसे अच्छा व्यक्ति वह है जो अपनी प्रगति के लिए सबसे अधिक परिश्रम करता है।
- सुकरात  
आत्म-अनुशासन
आत्मसंयम, अनुशासन और बलिदान के बिना राहत या मुक्ति की आशा नहीं की जा सकता। अनुशासहीन बलिदान से काम नहीं चलेगा।
- महात्मा गांधी
बुद्धिमान
च्जो लोग सचमुच बुद्धिमान हैं, वे असफलताओं से कभी नहीं घबराते।
-  शेक्सपीयर 


शुक्रवार, 4 नवंबर 2011

Career in Automobile Industry

No one in India would have ever dreamt of seeing millions of automobiles in the tier 2 cities, let alone the metropolitan ones in the 1980s! Automobile industry in India has seen fast development in the last number of years and then in the past few years has additionally attracted focus from around the globe with many modern Automobile products. Consists of the production of automobiles in two wheelers like bikes, scooters, cycles and production of automobiles in fours wheelers like cars, vans, trucks, tractors and buses. The rising and consistently growing economy of the country enable most of the population as well as ensure them to get a higher standard of living. Apart from own house, every one demands their own vehicle to move on and show the world their worth. This resulted in accumulating of millions of vehicles on the Indian roads consequently. And this has also made the automobile industry one of the most cash rich as well as promising industry to make a stable career in.
Opening of various call centers gave a chance to thousands of people to by their cars and get them converted as a taxi! Automobile is one of the leading industries in india as of date and has been growing irrespective of the ups and downs in the economy. Various Automobile Companies in India set-up their corporate offices and manufacturing unit. There are lots of job vacancies in these multinational companies for experienced people and these people can choose a career in the automobile industry, which results in a bright future in automobile. As an automobile engineer in india anyone can works in manufacturing unit, not only with the major companies but also with smaller automobile companies who supplying various automobile components like suspension systems or steering systems to car makers.
A career in automobile industry also means that one gets to apply their engineering skills, marketing skills, and administrative skills to grow a company and industry rapidly to ensure thousands of more jobs for the next generation. The automobile industry is responsible to create and manufacture the two-wheelers such as scooters, motorcycles, bicycles, four wheelers like cars, tractors, buses, trucks, among others. It also is divided in to various divisions like the light carrier vehicles as well as the heavy commercial vehicles and this requires a lot of skilled as well as trained labor to apply their knowledge in to practice at the company to make a bright future.
Automobiles companies in India
The impressive factor about the career in automobile engineering is that there's truly nobody thing known as an automobile engineer. Major Automobiles companies in India are Maruti, Ford, Toyota, Fiat, Skoda, Honda, Hyundai, Mahindra & Mahindra and Tata Motors are making the dreams of millions of middle class people to have their own car, a reality. Students with a relevant mechanical engineering, electrical or automobile engineering degree are eligible to apply for the higher position jobs in these automobile companies in India.

गुरुवार, 3 नवंबर 2011

अमेरिका में आई नौकरियों की बहार

अमेरिका में अक्टूबर महीने में निजी क्षेत्र में ११०,००० नौकरियों की बढ़त हुई। एक रपट में यह खुलासा हुआ है। ऑटोमेटिक डाटा प्रोसेसिंग इंक. (एडीपी) का कहना है कि छोटे और मध्यम आकार वाले व्यवसायों को हर तरह से लाभ हुआ। इस क्षेत्र में कुल १११,००० नौकरियों की बढ़त हुई। वहीं बड़े आकार वाले व्यवसायों में १,००० नौकरियां कम हुईं। मुख्य रूप से सेवा क्षेत्र में नौकरियों में बढ़त हुई है। अक्टूबर में ११४,००० नौकरियां बढ़ीं जो सितम्बर में हुई बढ़त १२२,००० से थोड़ा कम है।
एडीपी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गैरी सी. बटलर कहते हैं कि परिणाम बताते हैं कि व्यवसायिक व व्यापार सेवा क्षेत्र में रोजगार बढ़ा है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि कम्पनियां निवेश और लोगों को काम पर रखने के मामले में अनिश्चितता बरत रही हैं। एडीपी नेशनल एम्प्लॉयमेंट रपट, मैक्रोइकोनॉमिक एडवाइजर्स, एलएलसी की भागीदारी से तैयार की गई है।

बुधवार, 2 नवंबर 2011

बीपीओ की नई राजधानी जयपुर

जॉब्स ही जॉब्स!
जयपुर बहुत तेजी से गुड़गांव की तरह कॉल सेंटर-बीपीओ हब के रूप में तब्दील होता जा रहा है। बड़े आईटी और बीपीओ कंपनियां अब पिंक सिटी में अपने दफ्तर बनाने लगी हैं। अगर पिछले तीन साल की बात करें तो १०० से अधिक आईटी एवं आईटीईएस-बीपीओ कंपनियों ने जयपुर से कामकाज करना शुरू कर दिया है।
सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इंडिया, राजस्थान के एडिशनल डायरेक्टर और सेंट्रल हेड संजय त्यागी कहते हैं, 'सरकार इस सेक्टर पर काफी ध्यान दे रही है क्योंकि उसे लगता है कि इसमें नौकरियों की असीम संभावनाएं हैं।'जयपुर में मौजूद आईटी कंपनियों में से अधिकतर इस पार्क में हैं और ऐसा लगता है कि कम से कम १०,००० लोगों को यहां नौकरी मिली हैं। सिर्फ इंफोसिस कैंपस की बात करें तो आने वाले दिनों में वहां १५,००० लोग काम कर सकते हैं।
हर तरह की सुविधा से लैस जयपुर अब उड़ान भरने को तैयार
 सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क में सरकार कंपनियों को टैक्स हॉलिडे देती है। छोटी कंपनियों के बीच इस वजह से ये पार्क बहुत लोकप्रिय हैं। साल २००६ तक जयपुर एक टूरिस्ट प्लेस के रूप में अधिक मशहूर था, लेकिन उसके बाद दिल्ली से नजदीक होने की वजह से अन्य टियर टू शहरों के मुकाबले ये शहर तेजी से विकसित हुआ है।
एनसीआर क्षेत्र से तीन घंटे की ड्राइव कर जयपुर पहुंचा जा सकता है, इसके अलावा यहां शिक्षित और कुशल कमिर्यों की प्रचुर उपलब्धता भी है। शहर में ६४ इंजीनियरिंग कॉलेजों समेत बड़ी संख्या में शैक्षणिक संस्थान हैं। अगर सिर्फ इंजीनियरिंग कॉलेजों की बात करें तो हर साल इनसे करीब सवा तीन लाख छात्र बाजार में प्रवेश करते हैं। इंफोसिस और जेनपैक्ट द्वारा साल २००६ में शहर में बीपीओ शुरू करने के बाद काफी कंपनियों ने अपने कारोबार शुरू किए हैं।
अच्छे प्रोफेशनल्स की जयपुर में कमी नहीं
 महिंदा एंड महिंदा द्वारा विकसित ७५० एकड़ के सेज में विप्रो, टेक महिंदा, डोएचे बैंक, न्यूक्लियस सॉफ्टवेयर, नगारो सॉफ्टवेयर, ट्रूवर्थ और कनेक्शन जैसी कंपनियां इस सेज में इकाई स्थापित करने की योजना बना रही हैं। शहर में सिर्फ यातायात के बेहतर साधन ही नहीं है, बल्कि कोटा से आईआईटी करने वाले लड़कों की बड़ी फौज भी शामिल है।
महिंद्रा समूह द्वारा जयपुर एवं चेन्नई में सेज स्थापित करने वाले और कंपनी के ईडी अरुण नंदा कहते हैं कि शहर में चार्टर्ड आकउंटेंट भी भारी संख्या में मौजूद हैं जो बैंकों के लिए हाई एंड के अकाउंटिंग जॉब में मददगार साबित हो सकते हैं। भारत में अगर कुल कॉमर्स प्रोफेशनल (सीए, कॉस्ट एवं वर्क अकाउंटेंट्स आदि) की बात करें तो इनमें से ३६ फीसदी सिर्फ राजस्थान से हैं।
 सिर्फ इंफोसिस में काम कर पाएंगे १५,००० लोग
 डोएचे बैंक ने महिंदा र्वल्ड सिटी में जुलाई २००८ से बैंक के ट्रांजेक्शन प्रोसेस के लिए कैप्टिव ऑपरेशन शुरू किया है। अब आईसीआईसीआई और एसबीआई जैसे बैंक भी यहां कामकाज शुरू करने पर विचार कर रहे हैं। इंफोसिस बीपीओ के पास सेज के अंदर ४२ एकड़ का कैंपस है और भारत में यह अपनी तरह का इकलौता बीपीओ है जिसके पास इतना बड़ा कैंपस हो। कंपनी के पास साल २०१२ तक १५,००० लोगों के लिए काम करने की क्षमता होगी।
कंपनी भविष्य में अपने कामकाज के लिए स्थानीय कॉमर्स स्नातकों की नियुक्ति पर भी विचार कर रही है। जयपुर से इस समय जीई और नेशनल ऑस्ट्रेलिया बैंक को सेवा देने वाली जेनपैक्ट के पास दो सेंटर पर साढ़े तीन हजार कमीर् हैं। कंपनी अपने सेज के विकास पर १५० करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है जो अगले साल से काम करना शुरू कर देगा। यह सच है कि पिंक सिटी से होने वाला सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट निर्यात देश के कुल के एक परसेंट से भी कम है, लेकिन राज्य सरकार इस सेक्टर की संभावनाओं को देखते हुए इस पर ध्यान दे रही है।

मंगलवार, 1 नवंबर 2011

ऑनलाइन होगी कर्नाटक में पीयू प्रवेश प्रक्रिया!

पीयू बोर्ड का प्रस्ताव पेशेवर पाठ्यक्रमों में सरकारी कोटे की सीटों की व्यवस्था अपनाने के बाद अब कर्नाटक में प्री-यूनिवर्सिटी (पीयू) कॉलेजों की बारी है। यदि सब कुछ योजनानुसार चला तो अगले शैक्षणिक सत्र से दसवीं की पढ़ाई पूरा करने के बाद पहली पीयूसी में प्रवेश के लिए विद्यार्थियों को न तो आवेदन पत्र खरीदने के लिए लम्बी कतार में लगना पड़ेगा और न ही चयन सूची की बाट जोहनी पड़ेगी। इसके स्थान पर अपनी पसंद के कॉलेज तथा पाठ्यक्रम के लिए वे पीयू बोर्ड की वेबसाइट पर जा सकते हैं और अपने आवेदन की वर्तमान स्थिति को ऑनलाइन ही जांच सकते हैं।
राज्य सरकार केन्द्रीकृत प्रवेश प्रक्रिया के माध्यम से निजी कॉलेजों में उपलब्ध करीब ५० फीसदी सीटों को भरने के प्रदेश पीयू विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी देने की योजना बना रही है। विद्यार्थियों के हितों के मद्देनजर बोर्ड खुद की शुल्क संरचना निर्धारित करने पर भी विचार कर रहा है।
सामान्य प्रवेश परीक्षा (सीईटी) की वर्तमान सीट चयन प्रक्रिया की तर्ज पर चार माह पूर्व ही पहली पीयूसी में प्रवेश के लिए केन्द्रीकृत प्रक्रिया शुरू करने के लिए पीयू बोर्ड ने सरकार के समक्ष एक प्रस्ताव दाखिल किया है। इसके अनुसार बोर्ड पीयू कॉलेजों में उपलब्ध ५० फीसदी सीटों को भरने की योजना बना रहा है। शेष ५० फीसदी सीटें प्रबंधन कोटा की होंगी।
ऑनलाइन आवेदन
नई व्यवस्था के अंतर्गत विद्यार्थियों को आवेदन पत्र सीधे कॉलेजों में जमा करने की बजाय ऑनलाइन ही आवेदन करना होगा। वरीयता के अनुसार वे इंटरनेट पर ही पसंद के कॉलेजों को चुन सकते हैं। उनके प्राप्तांकों तथा आरक्षण के अनुसार पीयू बोर्ड उन्हें सीट आवंटित करेगा। पीयू विभाग प्रस्तावित योजना के लिए पृथक सॉफ्टवेयर तैयार करने के लिए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (एनआईसी) से संपर्क साधने पर विचार कर रहा है।

एसआरसीसी से करें जीबीओ

श्री राम कॉलेज ऑफ कामर्स श्री राम कॉलेज ऑफ कामर्स, नई दिल्ली ने ग्लोबल बिजनेस ऑपरेशंस में दो साल के फुलटाइम कोर्स के लिए ऐप्लीकेशन आमंत्रित किए हैं। ऐप्लीकेंट का काम से कम ५० फीसदी अंकों के साथ ग्रेजुएट होना चाहिए। अंतिम वर्ष के स्टूडेंट्स भी आवेदन कर सकते हैं। फॉर्म २४ दिसंबर तक लिए और भरे जा सकते हैं। लिखित परीक्षा २९ जनवरी, २०१२ को आयोजित की जाएगी। चयन प्रक्रिया में इंटरव्यू और जीडी भी शामिल है। ऐप्लीकेशन फॉर्म कॉलेज से या फिर डाक के जरिए मंगाए जा सकते हैं। ऑनलाइन फॉर्म भरने की भी सुविधा है। इंटरनेट से डाउनलोड किए गए फॉर्म के साथ कैटेगरी के अनुसार डिमांड ड्राफ्ट लगना जरूरी है। अधिक जानकारी वेबसाइट http://www.srcc.edu/ or admissionhelp.com/srcc से ली जा सकती है। सीएसआईआर-नैशनल बॉटनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट सीएसआईआर-नैशनल बॉटनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट, लखनऊ ने पीएचडी प्रोग्राम, २०१२ सेशन के लिए विभिन्न विषयों में ऐप्लीकेशन मंगाए हैं। ऐडमिशन के लिए मिनिमम क्वालिफिकेशन जेआरएफ/एसआरएफ के साथ एमएससी या एमटेक में ५५ फीसदी मार्क्स है। ऑन लाइन ऐप्लीकेशन फॉर्म http://www.csir-phd.csio.res.in/ पर उपलब्ध हैं। ऑनलाइन ऐप्लीकेशन ११ नवंबर तक भरे जा सकते हैं। टेस्ट/इंटरव्यू-१६ दिसंबर, २०११ को लिया जाएगा।
लिंक:: http://www.nbri.res.iselection/
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ, नई दिल्ली ने लॉ में पीएचडी के लिए ऐडमिशन की घोषणा की है। मिनिमम क्वालिफिकेशन एलएलएम में ५५ फीसदी मार्क्स है। किसी संस्थान में कम से कम पांच बरसों से पढ़ा रहे टीचर्स, एससी-एसटी कैंडिडेट्स और विकलांगों के लिए इसमें ५ फीसदी की छूट है। ऐडमिशन १० दिसंबर, २०११ को होने वाले टेस्ट के आधार पर दिया जाएगा। नेट/जेआरएफ, एसएलईटी और एम. फिल क्वालिफाइड स्टूडेंट्स को टेस्ट में शामिल नहीं होना होगा। ऐप्लीकेशन फॉर्म इंस्टीट्यूट की वेबसाइट से डाउनलोड किए जा सकते हैं। ऐप्लीकेशन फॉर्म एक हजार के डिमांड ड्राफ्ट के साथ २८ नवंबर तक इंस्टीट्यूट में पहुंच जाना चाहिए।
लिंक:  http://www.ilidelhi.org/
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स २०११-१२ सेशन के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ने पीएचडी के विभिन्न कोर्सेज में ऐडमिशन की घोषणा की है। इंडिग्रेटेड पीएचडी कोर्स के लिए स्टूडेंट का मैथ्स या फिजिक्स में ग्रेजुएट होना चाहिए। वहीं अन्य पीएचडी प्रोग्राम्स के लिए ऐप्लीकेंट का एमएससी, एमटेक या एम. फिल होना चाहिए। फॉर्म सिर्फ ऑनलाइन तरीके से भरे जा सकते हैं। अंतिम तिथि ६ नवंबर है। स्क्रीनिंग टेस्ट १० दिसंबर, २०११ को निर्धारित है।
लिंक:http://www.iiap.res.in/
वीएनआईटी
वीएनआईटी, नागपुर ने २०१२-१३ सत्र में साइंस के क्षेत्र में पीएचडी के लिए ऐप्लीकेशन मंगवाए हैं। ये कोर्स फुल टाइम और पार्ट टाइम, दोनों प्रकार के हैं। फॉर्म १४ नवंबर तक भरे जा सकते हैं। योग्य उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के लिए २८ नवंबर को बुलाया जाएगा। ज्यादा जानकारी वेबसाइट http://vnit.ac.in/ से ली जा सकती है।
लिंक: फुलटाइम
http://vnit.ac.in/images/phdmtech/applformphdfulltime.pdf
पार्टटाइम
http://vnit.ac.in/images/phdmtech/applphdpartime2012.pdf
 

सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

FOR GOVT. JOBS

www.govtjobs.co.in

Best Job Sites In India

With the advent of the internet, searching for a job that best suits you is no longer a difficult task. You can find out the job that matches your academic background and professional experience, if any, by just a click of the mouse. There are several top job sites in India like Naukri, Monster India, Times Jobs, Careerjet, Naukri Hub, Career India, Bixee, ClickJobs, CareerAge, and Freshersworld that provide you information on various openings and also on other relevant topics.
                                                          Job Sites
Naukri Since its inception in the year 1997, Naukri has earned a good name among the job seekers. It is regarded as one of the best job sites in India. The group operates across three verticals, namely, real estate, jobs and matrimony.
Monster India Like Naukri, Monster India is also one of the top job sites in India. The main objective of this site is to enable the job seekers find out about a new career avenue, and discover the job opportunities that exactly match your profile.
Times Jobs The site contains all types of jobs and helps an individual to find out the job of his or her choice relevant to his or her area of study.
Jobstreet The site list jobs of different categories like Accounts,Finance,IT,Sales,Manufacturing and many other sectors..Check out the site for more jobs.
Careerbuilder.co.in Get Marketing Jobs,Fresher Jobs, Delhi Jobs, Delhi Jobs,Mumbai Jobs and many more on this site.
Careerjet Careerjet is one of the popular job search engines which have been specially designed to make the entire process of finding a job on the internet much easier for the users. It lists down the job oppenings available on the internet in one extensive database by referencing originate from recruitment agency websites, company websites and large specialist recruitment sites.
Naukri Hub Naukri Hub is regarded as one of the best job sites in India. Naukri Hub is a popular web portal committed towards guiding millions of job aspirants to find the correct way. The website believes that there is no shortcut to quality and always inspire people to set their dreams sky high. The way Naukri Hub executes all the relevant and best sorted job information, places it at a bench mark position. The site indeed leaves a mark to tremendous teamwork, provides an innovative approach, and leads to an excellently well built customer relationship.
Career India Career India is also one of the popular sites in India. It features sections like Walkins, Walk-in-interviews, Post your Seekers and Resumes, IT Jobs in Pune, Change Location, Bangalore, Delhi and Coimbatore.
Bixee Bixee is also one of the most popular job sites in India. It was launched during the latter part of 2005. In this site, you can find lots of information on Jobs in India, Chennai, Delhi, Pune, Mumbai, Hyderabad and Bangalore over the internet.
ClickJobs ClickJobs is a career site which gives you the option of keeping your profile in the site’s database. The site allows you to keep some of your information confidential if you desire to do so. If a potential employer is interested to view your full profile, you will de directly contacted via email and will be given the name of the potential employer.
CareerAge CareerAge was created in the year 1996 and the portal was officially launched in December 1999. Careerage was launched for the purpose of making available the various types of jobs and career information over the internet. It is regarded as one of the most comprehensive job portals in India which help the students as well as the career builders by providing detailed information on various career options.
Freshersworld This is a portal catering to the jobs for freshers in India. It features sections like Hot Jobs, Govt/Technical Jobs, Defense, Soft Jobs, Careers, Placementweek, Company List and Interview Tips.
Placement India This website provides jobs in India in the fields of IT,Computers,Financial Services,Legal/Law,Sales & Marketing,Insurance,Medical,HR,Hospital and many more categories.
Shine This site provides information on the job openings in various sectors and companies.Also it gives details on consultants that can help in getting a good job.
ApnaCircle This site gives immense information on jobs. Also it gives the facility of sending the SMS to the contacts and be in touch with colleagues.There are online communities also that are rich in information.

Top 15 Most Popular Job Websites

Here are the 15 Most Popular Job Sites as derived from our eBizMBA Rank which is a constantly updated average of each website's Alexa Global Traffic Rank, and U.S. Traffic Rank from both Compete and Quantcast.
1. Yahoo! HotJobs
2. careerbuilder
3. monster
4. indeed
5. simplyhired
6. Aol Jobs
7.snagajob
8.USAJobs
9.Job
10.theLadders
11. Dice
12 . JobBankUSA
13. EmploymentGuide
14.vault
15. jobster

स्टीव जॉब्स की सोच को अपनाएं युवा

ऐपल के पूर्व सीईओ स्टीव जॉब्स की कैंसर से मौत वाकई दुखद है। स्टीव प्रेरणा के स्रोत रहे हैं। स्टीव बहुत क्रिएटिव शख्स रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह थी कि वह अपने ही बनाए प्रॉडक्ट की कद्र खूब करते थे। जब वह अपने ही किसी प्रॉडक्ट पर लिख रहे होते तो अक्सर कहा करते कि क्या मैं खुद इस मशीन के काबिल हूं अपनी मौत के कुछ दिनों पहले ही उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में अपना आखिरी लेक्चर दिया। उसे सुनकर.पढ़कर किसी के भी जीवन का नजरिया बदल सकता है। कम ही लोग जानते होंगे कि वह एक बिनब्याही मां की संतान थे जिसने उन्हें सिर्फ इसलिए गोद दे दिया था कि पैसों की कमी की वजह से वह उन्हें पाल नहीं सकती थीं। लेकिन उनकी मां ने यह शर्त रखी थी कि स्टीव को गोद लेने वाले पैरंट्स कम.से.कम ग्रैजुएट होने चाहिए। स्टीव को जिस कपल ने अडॉप्ट किया उसने वादा किया कि वह स्टीव को यूनिवर्सिटी जरूर भेजेंगे। हालांकि बाद में स्टीव का मन यूनिवर्सिटी में नहीं लगा। तब उन्होंने कलीग्रफी सीखी। उन्होंने अपने मन का काम चुना। उन्हें नहीं पता था कि जब वह ऐपल का फॉन्ट बनाएंगे तो उनकी यही कला उस प्रॉडक्ट की पहचान बन जाएगी। ऐपल के फॉन्ट्स पर स्टीव की कलीग्रफी कला की छाप साफ दिखती है। उनका यही कहना था कि आपको लगातार उस काम की खोज करते रहना चाहिए जिसमें आपकी दिलचस्पी हो। उनकी जिंदगी की यह फिलॉसफी रही है कि हर दिन को ऐसे जीओए जैसे वह जिंदगी का आखिरी दिन हो। जब माइक्रोसॉफ्ट मार्केट पर राज कर रहा था तो किसी ने नहीं सोचा होगा कि एक दिन ऐपल इससे आगे निकल जाएगा। लोगों ने कहा कि कंप्यूटर का कोई रीटेल नहीं हो सकता। लेकिन उन्होंने यह चुनौती ली और साबित कर दिया कि टेक्नॉलजी का भी रीटेल हो सकता है। न्यू यॉर्क के ऐपल आउटलेट पर खचाखच भीड़ देखकर उनकी सफलता का अनुमान लगाया जा सकता है। उन्होंने न सिर्फ पर्सनल बल्कि प्रफेशनल लाइफ में भी चुनौतियां लीं और साबित कर दिखाया कि कोई काम नामुमकिन नहीं होता। इससे बड़ी कामयाबी की कहानी दुनिया में दूसरी नहीं है।
क्लाइंट ने जब अपनी मांग रखी कि ऐसा आइफोन होना चाहिएए जो बहुत ज्यादा सिंपल हो और उसमें एक से ज्यादा बटन न हों तो स्टीव के साथ काम करने वालों को भी यही लगा था कि ऐसा मुमकिन नहीं है। मगर स्टीव ने इसे भी मुमकिन बना दिया। अनगिनत कंपनियां ऐसी थींजिन्होंने ऐपल के आइफोन की कॉपी बाजार में उतारी। उनका यही मानना था कि जो दिल कहे वही काम करना चाहिए। उन्होंने काम को कभी काम नहीं समझा। वह कहते थे कि आप जिस काम को करते हैंए जब तक उससे प्यार नहीं करेंगे तो कैसे उसमें ज्यादा समय दे पाएंगे और कैसे कामयाब हो पाएंगेघ् वह कॉर्पोरेट वर्ल्ड को भी बहुत कुछ सिखा कर गए। उनका कोई भी प्रॉडक्ट छूकर देखेंगे तो लगेगा जैसे इसे गढ़ा गया है। वह मानते थे कि अगर आप अच्छे स्तर की चीज बनाएंगे तो मुनाफा अपने आप कमाया जा सकता है। सिलिकन वैली की एक कहावत है कि श्हव योर लंच बिफोर समवन है इटश् अपनी टेक्नॉलजी पर उन्होंने इसे लागू किया। आईपॉड बहुत सक्सेसफुल प्रॉडक्ट था फिर भी उन्होंने आईफोन बनाया जो आइपॉड को खत्म कर देने वाला था। अपनी सबसे बिकाऊ चीज को बंद कर देने की हिम्मत रखना भी बहुत बड़ी बात है। लेकिन उन्होंने ऐसा किया क्योंकि उन्हें दुनिया को और अडवांस और सुविधाजनक प्रॉडक्ट देना था। यह बात एक क्रिएटिव इंसान ही सोच सकता हैए बिजनेसमैन कभी नहीं। मौत को भी उन्होंने बहुत सहजता से स्वीकार किया। उन्होंने कहा था कि मरना कोई नहीं चाहता मैं भी नहीं। लेकिन मौत सबसे अच्छी चीज है। इंसान को यह दो बातें सिखाती है. एक सबका अंत एक ही होता है। दूसरी यह जीवन के प्रति आपको विनम्र बनाती है। यह इंसान में घमंड नहीं आने देती। अपनी बीमारी के बारे में जानने के बाद वह और ज्यादा विनम्र हो गए। उनकी कथनी और करनी में कोई फर्क नहीं था। अगर उनकी सोच का एक भी अंश युवा अपना लें तो अपने लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं। एक महान इंसान के तौर पर स्टीव जॉब्स को हमेशा याद किया जाएगा।