सोमवार, 24 अक्टूबर 2011

स्टीव जॉब्स की सोच को अपनाएं युवा

ऐपल के पूर्व सीईओ स्टीव जॉब्स की कैंसर से मौत वाकई दुखद है। स्टीव प्रेरणा के स्रोत रहे हैं। स्टीव बहुत क्रिएटिव शख्स रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह थी कि वह अपने ही बनाए प्रॉडक्ट की कद्र खूब करते थे। जब वह अपने ही किसी प्रॉडक्ट पर लिख रहे होते तो अक्सर कहा करते कि क्या मैं खुद इस मशीन के काबिल हूं अपनी मौत के कुछ दिनों पहले ही उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में अपना आखिरी लेक्चर दिया। उसे सुनकर.पढ़कर किसी के भी जीवन का नजरिया बदल सकता है। कम ही लोग जानते होंगे कि वह एक बिनब्याही मां की संतान थे जिसने उन्हें सिर्फ इसलिए गोद दे दिया था कि पैसों की कमी की वजह से वह उन्हें पाल नहीं सकती थीं। लेकिन उनकी मां ने यह शर्त रखी थी कि स्टीव को गोद लेने वाले पैरंट्स कम.से.कम ग्रैजुएट होने चाहिए। स्टीव को जिस कपल ने अडॉप्ट किया उसने वादा किया कि वह स्टीव को यूनिवर्सिटी जरूर भेजेंगे। हालांकि बाद में स्टीव का मन यूनिवर्सिटी में नहीं लगा। तब उन्होंने कलीग्रफी सीखी। उन्होंने अपने मन का काम चुना। उन्हें नहीं पता था कि जब वह ऐपल का फॉन्ट बनाएंगे तो उनकी यही कला उस प्रॉडक्ट की पहचान बन जाएगी। ऐपल के फॉन्ट्स पर स्टीव की कलीग्रफी कला की छाप साफ दिखती है। उनका यही कहना था कि आपको लगातार उस काम की खोज करते रहना चाहिए जिसमें आपकी दिलचस्पी हो। उनकी जिंदगी की यह फिलॉसफी रही है कि हर दिन को ऐसे जीओए जैसे वह जिंदगी का आखिरी दिन हो। जब माइक्रोसॉफ्ट मार्केट पर राज कर रहा था तो किसी ने नहीं सोचा होगा कि एक दिन ऐपल इससे आगे निकल जाएगा। लोगों ने कहा कि कंप्यूटर का कोई रीटेल नहीं हो सकता। लेकिन उन्होंने यह चुनौती ली और साबित कर दिया कि टेक्नॉलजी का भी रीटेल हो सकता है। न्यू यॉर्क के ऐपल आउटलेट पर खचाखच भीड़ देखकर उनकी सफलता का अनुमान लगाया जा सकता है। उन्होंने न सिर्फ पर्सनल बल्कि प्रफेशनल लाइफ में भी चुनौतियां लीं और साबित कर दिखाया कि कोई काम नामुमकिन नहीं होता। इससे बड़ी कामयाबी की कहानी दुनिया में दूसरी नहीं है।
क्लाइंट ने जब अपनी मांग रखी कि ऐसा आइफोन होना चाहिएए जो बहुत ज्यादा सिंपल हो और उसमें एक से ज्यादा बटन न हों तो स्टीव के साथ काम करने वालों को भी यही लगा था कि ऐसा मुमकिन नहीं है। मगर स्टीव ने इसे भी मुमकिन बना दिया। अनगिनत कंपनियां ऐसी थींजिन्होंने ऐपल के आइफोन की कॉपी बाजार में उतारी। उनका यही मानना था कि जो दिल कहे वही काम करना चाहिए। उन्होंने काम को कभी काम नहीं समझा। वह कहते थे कि आप जिस काम को करते हैंए जब तक उससे प्यार नहीं करेंगे तो कैसे उसमें ज्यादा समय दे पाएंगे और कैसे कामयाब हो पाएंगेघ् वह कॉर्पोरेट वर्ल्ड को भी बहुत कुछ सिखा कर गए। उनका कोई भी प्रॉडक्ट छूकर देखेंगे तो लगेगा जैसे इसे गढ़ा गया है। वह मानते थे कि अगर आप अच्छे स्तर की चीज बनाएंगे तो मुनाफा अपने आप कमाया जा सकता है। सिलिकन वैली की एक कहावत है कि श्हव योर लंच बिफोर समवन है इटश् अपनी टेक्नॉलजी पर उन्होंने इसे लागू किया। आईपॉड बहुत सक्सेसफुल प्रॉडक्ट था फिर भी उन्होंने आईफोन बनाया जो आइपॉड को खत्म कर देने वाला था। अपनी सबसे बिकाऊ चीज को बंद कर देने की हिम्मत रखना भी बहुत बड़ी बात है। लेकिन उन्होंने ऐसा किया क्योंकि उन्हें दुनिया को और अडवांस और सुविधाजनक प्रॉडक्ट देना था। यह बात एक क्रिएटिव इंसान ही सोच सकता हैए बिजनेसमैन कभी नहीं। मौत को भी उन्होंने बहुत सहजता से स्वीकार किया। उन्होंने कहा था कि मरना कोई नहीं चाहता मैं भी नहीं। लेकिन मौत सबसे अच्छी चीज है। इंसान को यह दो बातें सिखाती है. एक सबका अंत एक ही होता है। दूसरी यह जीवन के प्रति आपको विनम्र बनाती है। यह इंसान में घमंड नहीं आने देती। अपनी बीमारी के बारे में जानने के बाद वह और ज्यादा विनम्र हो गए। उनकी कथनी और करनी में कोई फर्क नहीं था। अगर उनकी सोच का एक भी अंश युवा अपना लें तो अपने लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं। एक महान इंसान के तौर पर स्टीव जॉब्स को हमेशा याद किया जाएगा।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें