गुरुवार, 24 नवंबर 2011

बदलेगी आईआईटी की सूरत

अगर सब कुछ ठीक रहा तो बहुत जल्द दुनिया के सर्वश्रेष्ठ इंजीनियर तैयार करने वाले भारतीय प्रोद्यौगिकी संस्थानों (आईआईटी) का कायाकल्प हो जाएगा। मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय द्वारा आईआईटी की दशा सुधारने के लिए परमाणु वैज्ञानिक अनिल काकोदकर की अध्यक्षता में गठित आयोग ने अपनी सिफारिशें सौंप दी हैं। अब मंत्रालय ने सुधारों को लागू करने के तौर-तरीकों को सुझाने के लिए काकोदकर की अध्यक्षता में ही एक नई समिति बनाई। पैनल की रिपोर्ट आईआईटी परिषद स्वीकार कर चुकी है।
 अनुसंधान केन्द्र बनाएंगे
रिपोर्ट में कुछ महत्वपूर्ण सिफारिशें दी गई हैं, जिसमें प्रमुख सिफारिश आईआईटी को अनुसंधान हब बनाने की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि समय के मुताबिक आईआईटी एक्ट में बदलाव जरूरी हो गया है। इसमें प्रशासन से जुड़ी कुछ सिफारिशों पर अगले छह महीनों में अमल हो जाएगा। काकोदकर ने प्रशासनिक और शुल्क संरचना में भी बदलाव की वकालत की है।
2020 की जरूरतें पूरी होंगी
समिति की रिपोर्ट वर्ष 2020 में पैदा होने वाली जरूरतों के आधार पर तैयार की गई है। इसके मुताबिक आईआईटी को अब प्रारम्भिक अनुसंधान संस्थान के रूप में परिवर्तित कर देना चाहिए। ताकि वर्ष 2020 तक प्रत्येक दस हजार छात्रों में कम से कम एक हजार छात्र पीएचडी धारक हों। सभी आईआईटी में एक रिसर्च पार्क बनाने की भी अनुशंसा की गई है।
अनुदान की बढ़ोतरी
समिति ने आईआईटी के अनुदान को बढ़ाने की भी सिफारिश की है। आईआईटी को प्रति छात्र 1.5 लाख रुपए के हिसाब से अनुदान दिया जाए, साथ ही नए आईआईटी को पचास करोड़ रुपए का विशेष अनुदान देने की भी सिफारिश की गई है। समिति ने प्रति अतिरिक्त छात्र के लिए 20 लाख रुपए अलग से मुहैया कराने को भी कहा है। मंत्रालय को छात्रवृत्ति के साथ साथ पीएचडी, एमटेक के छात्रों और आर्थिक रूप से कमजोर बीटेक के छात्रों की शिक्षा का पूरा खर्च भी उठाने की सिफारिश की गई है। गौरतलब है कि देश में इस समय 16 आईआईटी हैं। जिसमें से नौ हाल ही में खोले गए हैं।

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