गुरुवार, 10 नवंबर 2011

हजारों नौकरियों पर छंटनी की तलवार

दुनिया भर में आर्थिक मंदी के हालात बन रहे हैं। अमेरिका, यूरोप से लेकर एशिया तक की इकोनॉमी पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। ऐसे में सबसे बड़ी मार एविएशन इंडस्ट्री पर पड़ने वाली है।
...फिर बनेंगे २००८ जैसे हालात
किंगफिशर और जेट एयरवेट ने अपने यहां छंटनी की तलवार चलाने के संकेत दे दिए हैं। एयलाइंस उद्योग के बड़े खिलाड़ी विजय माल्या ने किंगफिशर में नौकरियां घटाने का फैसला किया है। भारत में भी लोग सहमे हुए हैं और सोच रहे हैं कि क्या एक बार फिर २००८ जैसे हालात बनेंगे।
थम सकती है किंगफिशर की उड़ान
दरअसल किंगफिशर एयरलाइंस पर करीब ७,००० करोड़ रुपए का कर्ज है। कंपनी को वित्त वर्ष २०११ में ४,३२१ करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। इसके अलावा कंपनी ने ४०० करोड़ रुपये का प्रोविडेंट फंड और टीडीएस नहीं भरा है। ऐसे में माना जा रहा है कि किंगफिशर की उड़ान जल्द ही थम सकती है। हालांकि कंपनी ने किसी भी खतरे से साफ इनकार किया है।
१००० कर्मचारियों की जाएगी नौकरी
इधर बढ़ते ईंधन खर्च और लो-कॉस्ट प्रतिद्वंद्वियों के चलते जेट एयरवेज कर्मचारियों की तादाद में १० फीसदी की कटौती कर सकती है। १० फीसदी कटौती का साफ मतलब है कि करीब १००० कर्मचारियों की नौकरी जानी तय है। मैनेजमेंट ने इस बारे में फैसला अक्टूबर में हुई बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों को बता दिया था।
जेट को १२३ करोड़ का नुकसान
देश की सबसे बड़ी प्राइवेट एयरलाइंस यानी जेट एयरवेज को जून २०११ तिमाही में १२३ करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। जेट एयरवेज का फ्यूल खर्च बीते एक साल के दौरान ४७त्न बढ़ा है। कंपनी १३,००० करोड़ रुपए के कर्ज को कम करने में कामयाब नहीं रही।
एयर इंडिया पर ४२,००० करोड़ का कर्ज
इधर एयर इं‌डिया की हालत खस्ताहाल हो चुकी है। एक अनुमान के मुताबिक इस वक्त एयर इंडिया का कुल घाटा १६,००० करोड़ रुपए है और ४२,००० करोड़ रुपए का कर्ज चढ़ा हुआ है। कर्ज और घाटे से उबरने के लिए एयर इंडिया ने सरकार से कम से कम ६,००० करोड़ रुपए के अग्रिम शेयर की मांग की है। इसके अलावा अगले दस सालों में करीब ६,००० करोड़ रुपए की मांग भी सरकार से की गई है।

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