जॉब्स ही जॉब्स!
जयपुर बहुत तेजी से गुड़गांव की तरह कॉल सेंटर-बीपीओ हब के रूप में तब्दील होता जा रहा है। बड़े आईटी और बीपीओ कंपनियां अब पिंक सिटी में अपने दफ्तर बनाने लगी हैं। अगर पिछले तीन साल की बात करें तो १०० से अधिक आईटी एवं आईटीईएस-बीपीओ कंपनियों ने जयपुर से कामकाज करना शुरू कर दिया है।
सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इंडिया, राजस्थान के एडिशनल डायरेक्टर और सेंट्रल हेड संजय त्यागी कहते हैं, 'सरकार इस सेक्टर पर काफी ध्यान दे रही है क्योंकि उसे लगता है कि इसमें नौकरियों की असीम संभावनाएं हैं।'जयपुर में मौजूद आईटी कंपनियों में से अधिकतर इस पार्क में हैं और ऐसा लगता है कि कम से कम १०,००० लोगों को यहां नौकरी मिली हैं। सिर्फ इंफोसिस कैंपस की बात करें तो आने वाले दिनों में वहां १५,००० लोग काम कर सकते हैं।
हर तरह की सुविधा से लैस जयपुर अब उड़ान भरने को तैयार
सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क में सरकार कंपनियों को टैक्स हॉलिडे देती है। छोटी कंपनियों के बीच इस वजह से ये पार्क बहुत लोकप्रिय हैं। साल २००६ तक जयपुर एक टूरिस्ट प्लेस के रूप में अधिक मशहूर था, लेकिन उसके बाद दिल्ली से नजदीक होने की वजह से अन्य टियर टू शहरों के मुकाबले ये शहर तेजी से विकसित हुआ है।
एनसीआर क्षेत्र से तीन घंटे की ड्राइव कर जयपुर पहुंचा जा सकता है, इसके अलावा यहां शिक्षित और कुशल कमिर्यों की प्रचुर उपलब्धता भी है। शहर में ६४ इंजीनियरिंग कॉलेजों समेत बड़ी संख्या में शैक्षणिक संस्थान हैं। अगर सिर्फ इंजीनियरिंग कॉलेजों की बात करें तो हर साल इनसे करीब सवा तीन लाख छात्र बाजार में प्रवेश करते हैं। इंफोसिस और जेनपैक्ट द्वारा साल २००६ में शहर में बीपीओ शुरू करने के बाद काफी कंपनियों ने अपने कारोबार शुरू किए हैं।
अच्छे प्रोफेशनल्स की जयपुर में कमी नहीं
महिंदा एंड महिंदा द्वारा विकसित ७५० एकड़ के सेज में विप्रो, टेक महिंदा, डोएचे बैंक, न्यूक्लियस सॉफ्टवेयर, नगारो सॉफ्टवेयर, ट्रूवर्थ और कनेक्शन जैसी कंपनियां इस सेज में इकाई स्थापित करने की योजना बना रही हैं। शहर में सिर्फ यातायात के बेहतर साधन ही नहीं है, बल्कि कोटा से आईआईटी करने वाले लड़कों की बड़ी फौज भी शामिल है।
महिंद्रा समूह द्वारा जयपुर एवं चेन्नई में सेज स्थापित करने वाले और कंपनी के ईडी अरुण नंदा कहते हैं कि शहर में चार्टर्ड आकउंटेंट भी भारी संख्या में मौजूद हैं जो बैंकों के लिए हाई एंड के अकाउंटिंग जॉब में मददगार साबित हो सकते हैं। भारत में अगर कुल कॉमर्स प्रोफेशनल (सीए, कॉस्ट एवं वर्क अकाउंटेंट्स आदि) की बात करें तो इनमें से ३६ फीसदी सिर्फ राजस्थान से हैं।
सिर्फ इंफोसिस में काम कर पाएंगे १५,००० लोग
डोएचे बैंक ने महिंदा र्वल्ड सिटी में जुलाई २००८ से बैंक के ट्रांजेक्शन प्रोसेस के लिए कैप्टिव ऑपरेशन शुरू किया है। अब आईसीआईसीआई और एसबीआई जैसे बैंक भी यहां कामकाज शुरू करने पर विचार कर रहे हैं। इंफोसिस बीपीओ के पास सेज के अंदर ४२ एकड़ का कैंपस है और भारत में यह अपनी तरह का इकलौता बीपीओ है जिसके पास इतना बड़ा कैंपस हो। कंपनी के पास साल २०१२ तक १५,००० लोगों के लिए काम करने की क्षमता होगी।
कंपनी भविष्य में अपने कामकाज के लिए स्थानीय कॉमर्स स्नातकों की नियुक्ति पर भी विचार कर रही है। जयपुर से इस समय जीई और नेशनल ऑस्ट्रेलिया बैंक को सेवा देने वाली जेनपैक्ट के पास दो सेंटर पर साढ़े तीन हजार कमीर् हैं। कंपनी अपने सेज के विकास पर १५० करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है जो अगले साल से काम करना शुरू कर देगा। यह सच है कि पिंक सिटी से होने वाला सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट निर्यात देश के कुल के एक परसेंट से भी कम है, लेकिन राज्य सरकार इस सेक्टर की संभावनाओं को देखते हुए इस पर ध्यान दे रही है।
जयपुर बहुत तेजी से गुड़गांव की तरह कॉल सेंटर-बीपीओ हब के रूप में तब्दील होता जा रहा है। बड़े आईटी और बीपीओ कंपनियां अब पिंक सिटी में अपने दफ्तर बनाने लगी हैं। अगर पिछले तीन साल की बात करें तो १०० से अधिक आईटी एवं आईटीईएस-बीपीओ कंपनियों ने जयपुर से कामकाज करना शुरू कर दिया है।
सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इंडिया, राजस्थान के एडिशनल डायरेक्टर और सेंट्रल हेड संजय त्यागी कहते हैं, 'सरकार इस सेक्टर पर काफी ध्यान दे रही है क्योंकि उसे लगता है कि इसमें नौकरियों की असीम संभावनाएं हैं।'जयपुर में मौजूद आईटी कंपनियों में से अधिकतर इस पार्क में हैं और ऐसा लगता है कि कम से कम १०,००० लोगों को यहां नौकरी मिली हैं। सिर्फ इंफोसिस कैंपस की बात करें तो आने वाले दिनों में वहां १५,००० लोग काम कर सकते हैं।
हर तरह की सुविधा से लैस जयपुर अब उड़ान भरने को तैयार
सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क में सरकार कंपनियों को टैक्स हॉलिडे देती है। छोटी कंपनियों के बीच इस वजह से ये पार्क बहुत लोकप्रिय हैं। साल २००६ तक जयपुर एक टूरिस्ट प्लेस के रूप में अधिक मशहूर था, लेकिन उसके बाद दिल्ली से नजदीक होने की वजह से अन्य टियर टू शहरों के मुकाबले ये शहर तेजी से विकसित हुआ है।
एनसीआर क्षेत्र से तीन घंटे की ड्राइव कर जयपुर पहुंचा जा सकता है, इसके अलावा यहां शिक्षित और कुशल कमिर्यों की प्रचुर उपलब्धता भी है। शहर में ६४ इंजीनियरिंग कॉलेजों समेत बड़ी संख्या में शैक्षणिक संस्थान हैं। अगर सिर्फ इंजीनियरिंग कॉलेजों की बात करें तो हर साल इनसे करीब सवा तीन लाख छात्र बाजार में प्रवेश करते हैं। इंफोसिस और जेनपैक्ट द्वारा साल २००६ में शहर में बीपीओ शुरू करने के बाद काफी कंपनियों ने अपने कारोबार शुरू किए हैं।
अच्छे प्रोफेशनल्स की जयपुर में कमी नहीं
महिंदा एंड महिंदा द्वारा विकसित ७५० एकड़ के सेज में विप्रो, टेक महिंदा, डोएचे बैंक, न्यूक्लियस सॉफ्टवेयर, नगारो सॉफ्टवेयर, ट्रूवर्थ और कनेक्शन जैसी कंपनियां इस सेज में इकाई स्थापित करने की योजना बना रही हैं। शहर में सिर्फ यातायात के बेहतर साधन ही नहीं है, बल्कि कोटा से आईआईटी करने वाले लड़कों की बड़ी फौज भी शामिल है।
महिंद्रा समूह द्वारा जयपुर एवं चेन्नई में सेज स्थापित करने वाले और कंपनी के ईडी अरुण नंदा कहते हैं कि शहर में चार्टर्ड आकउंटेंट भी भारी संख्या में मौजूद हैं जो बैंकों के लिए हाई एंड के अकाउंटिंग जॉब में मददगार साबित हो सकते हैं। भारत में अगर कुल कॉमर्स प्रोफेशनल (सीए, कॉस्ट एवं वर्क अकाउंटेंट्स आदि) की बात करें तो इनमें से ३६ फीसदी सिर्फ राजस्थान से हैं।
सिर्फ इंफोसिस में काम कर पाएंगे १५,००० लोग
डोएचे बैंक ने महिंदा र्वल्ड सिटी में जुलाई २००८ से बैंक के ट्रांजेक्शन प्रोसेस के लिए कैप्टिव ऑपरेशन शुरू किया है। अब आईसीआईसीआई और एसबीआई जैसे बैंक भी यहां कामकाज शुरू करने पर विचार कर रहे हैं। इंफोसिस बीपीओ के पास सेज के अंदर ४२ एकड़ का कैंपस है और भारत में यह अपनी तरह का इकलौता बीपीओ है जिसके पास इतना बड़ा कैंपस हो। कंपनी के पास साल २०१२ तक १५,००० लोगों के लिए काम करने की क्षमता होगी।
कंपनी भविष्य में अपने कामकाज के लिए स्थानीय कॉमर्स स्नातकों की नियुक्ति पर भी विचार कर रही है। जयपुर से इस समय जीई और नेशनल ऑस्ट्रेलिया बैंक को सेवा देने वाली जेनपैक्ट के पास दो सेंटर पर साढ़े तीन हजार कमीर् हैं। कंपनी अपने सेज के विकास पर १५० करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है जो अगले साल से काम करना शुरू कर देगा। यह सच है कि पिंक सिटी से होने वाला सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट निर्यात देश के कुल के एक परसेंट से भी कम है, लेकिन राज्य सरकार इस सेक्टर की संभावनाओं को देखते हुए इस पर ध्यान दे रही है।
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