शुक्रवार, 18 नवंबर 2011

मेडिकल में 50ः अंक जरूरी नहीं

इंजीनियरिंगए होटल मैनेजमेंटए एमबीए की तर्ज पर अब मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेना पहले से आसान होगा। छात्र चाहे कितने भी पिछड़े इलाके का हो या किसी भी बोर्ड से पढ़ाई की होए उसके पास डॉक्टर बनने का बराबरी का मौका होगा। सरकार ने मेडिकल एंट्रेंस में बैठने के लिए 12वीं में 50 फीसदी अंक लाने की अनिवार्यता को खत्म करने का फैसला किया है। इसकी जगह पर्सेटाइल प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
इससे होगा यह कि कोई छात्र बोर्ड परीक्षा में कम अंक होने की वजह से एंट्रेंस देने से वंचित नहीं रह जाएगा। होता यह है कि कोई बोर्ड काफी ज्यादा नंबर देता है तो किसी बोर्ड में कम नंबर आते हैं।
पर्सेटाइल फामरूले में यह अंतर खत्म हो जाएगा। अगले साल से देश के 335 मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस में दाखिले के लिए नेशनल एलिजिबिलिटी एंड एंट्रेस टेस्ट ;एनईईटीद्ध होने जा रहा है।
इसमें 10 लाख छात्रों के बैठने की संभावना है। कई राज्य सरकारों ने विरोध जताया था कि टेस्ट चूंकि सीबीएसई ले रही है तो सिलेबस पर उसका असर रहेगा। सीबीएसई बोर्ड में ज्यादा नंबर आते हैंए जबकि कई राज्य बोर्डों की पढ़ाई बेहद कठिन है और नंबर कम आते हैं। खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार में। इसी वजह से 12वीं में 50 फीसदी अंक सीमा को खत्म करने का फैसला किया गया।

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