भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा से निपटने के मुद्दे पर भले ही केंद्र और राज्य सरकारें गंभीर है, मगर इस मुहिम में अब एक बड़ा पेच फंस गया है। देश में भूकंपरोधी निर्माण तकनीक की जानकारी रखने वाले इंजीनियरों की संख्या मुट्ठीभर है।
दूसरी तरफ बीटेक में भूकंप इंजीनियरिंग से संबंधित कोई विषय भी नहीं है, इसलिए एक-दो वर्ष में नए इंजीनियर मिलेंगे, यह उम्मीद भी नहीं की जा सकती। इस समस्या का हल निकालने के लिए अब राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने बीटेक में अनिवार्य रूप से भूकंप इंजीनियरिंग विषय शामिल करने बाबत नई पॉलिसी तैयार की है।
बता दें कि एनडीएमए ने भूकंप की संभावना वाले दिल्ली सहित कई अन्य राज्यों को च्स्ट्रक्चरल डिजाइन बेसिस रिपोर्टज् लागू करने की सलाह दी है। इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए केवल इंजीनियर ही अधिकृत है। जब तक इंजीनियर द्वारा निर्माणकार्य की विस्तृत रिपोर्ट संबंधित एजेंसी को नहीं सौंपी जाती, तब तक बिल्डिंग मालिक को कब्जा नहीं मिलेगा। इतना ही नहीं, मकान का विस्तार करना है तो फिर से यही पैटर्न अपनाना होगा। फिलहाल जो सिविल इंजीनियर हैं, उन्हें भूकंपरोधी निर्माण तकनीक की कोई ठोस जानकारी नहीं है। रुड़की, चेन्नई व कानपुर जैसी चुनींदा आईआईटी को छोड़कर अन्य किसी संस्थान में भूकंप इंजीनियरिंग विषय नहीं पढ़ाया जाता। आईआईटी में भी इस विषय के लिए १५-१६ सीट निर्धारित की गई हैं। एमटेक के स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग विषय में ही इस बाबत थोड़ी-बहुत पढ़ाई कराई जाती है।
मांगी गई जानकारी
एनडीएमए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस बाबत सभी राज्यों से जानकारी मांगी गई है। चूंकि इस विषय को पढ़ाने के लिए पर्याप्त फैकल्टी भी नहीं है, इसलिए नई पॉलिसी के तहत टीचर ट्रेनिंग पर विशेष जोर रहेगा। इस विषय को न केवल बीटेक, बल्कि डिप्लोमा और आर्किटेक्ट के कोर्स में भी अनिवार्य रूप से शामिल करने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।
दूसरी तरफ बीटेक में भूकंप इंजीनियरिंग से संबंधित कोई विषय भी नहीं है, इसलिए एक-दो वर्ष में नए इंजीनियर मिलेंगे, यह उम्मीद भी नहीं की जा सकती। इस समस्या का हल निकालने के लिए अब राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने बीटेक में अनिवार्य रूप से भूकंप इंजीनियरिंग विषय शामिल करने बाबत नई पॉलिसी तैयार की है।
बता दें कि एनडीएमए ने भूकंप की संभावना वाले दिल्ली सहित कई अन्य राज्यों को च्स्ट्रक्चरल डिजाइन बेसिस रिपोर्टज् लागू करने की सलाह दी है। इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए केवल इंजीनियर ही अधिकृत है। जब तक इंजीनियर द्वारा निर्माणकार्य की विस्तृत रिपोर्ट संबंधित एजेंसी को नहीं सौंपी जाती, तब तक बिल्डिंग मालिक को कब्जा नहीं मिलेगा। इतना ही नहीं, मकान का विस्तार करना है तो फिर से यही पैटर्न अपनाना होगा। फिलहाल जो सिविल इंजीनियर हैं, उन्हें भूकंपरोधी निर्माण तकनीक की कोई ठोस जानकारी नहीं है। रुड़की, चेन्नई व कानपुर जैसी चुनींदा आईआईटी को छोड़कर अन्य किसी संस्थान में भूकंप इंजीनियरिंग विषय नहीं पढ़ाया जाता। आईआईटी में भी इस विषय के लिए १५-१६ सीट निर्धारित की गई हैं। एमटेक के स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग विषय में ही इस बाबत थोड़ी-बहुत पढ़ाई कराई जाती है।
मांगी गई जानकारी
एनडीएमए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस बाबत सभी राज्यों से जानकारी मांगी गई है। चूंकि इस विषय को पढ़ाने के लिए पर्याप्त फैकल्टी भी नहीं है, इसलिए नई पॉलिसी के तहत टीचर ट्रेनिंग पर विशेष जोर रहेगा। इस विषय को न केवल बीटेक, बल्कि डिप्लोमा और आर्किटेक्ट के कोर्स में भी अनिवार्य रूप से शामिल करने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।
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