असफलताओं की सीढ़ी चढ़कर ही व्यक्ति सफलता की मंजिल प्राप्त करता है। इसलिए असफलता को लेकर कतई निराश न हों। कभी एक जगह शांति से बैठकर सोचें. क्या इस दुनिया में कोई ऐसा इंसान हैए जिसने कभी हार का सामना न किया होए जिसने कभी दुःख न देखा होए जिसके राहों में कभी कांटे न आए हों। विचार करने पर आप पाएंगे कि ऐसा एक भी इंसान नहीं है। विचार करने पर आप एक और चीज पाएंगे कि कुछ लोग तकलीफों में बिलकुल हार जाते हैंए लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं जो बार.बार असफल होने पर भी हिम्मत नहीं हारते और एक दिन अपनी मंजिल पा ही लेते हैं। छोटे बच्चों को गेंद खेलते देखा है कभी। गेंद को जब वह जोर से जमीन पर मारते हैंए वह फिर ऊपर उछल जाती है। जितना जोर से उसे जमीन पर मारते हैंए वह उतना ही जोर से और ऊपर उछलती है। यह उदाहरण जिंदगी की बहुत बड़ी सीख है। भले ही आप धड़ाम से गिरेंए पर उतनी ही तेजी से उठने की भी कोशिश करें। गिर कर भी उठना सीखेंए हार कर भी जीतना सीखें। हारने का मतलब यह नहीं होता कि आप उस काम को कर ही नहीं सकते। इसका तात्पर्य यह होता है कि उस काम कोए जिसे आपने कियाए उसे और सुधारा जा सकता हैए कोई और तरीके से भी किया जा सकता है। हर हार से कुछ सीखें। अपनी कमियों को लिखें और फिर उनको दूर करने की कोशिश करें। गलतियों को दोहराने से बचें।
कई बार हम खुद में ओवर कॉन्फिडेंट हो जाते हैं और समझने लगते हैं कि हमें सबकुछ आता है। इस कारण हमारा ध्यान उस काम से कम हो जाता है। परिणाम यह होता है कि हमें असफलता का सामना करना पड़ता है। यदि आपने 100 प्रतिशत दियाए तो हो सकता है कि दूसरे ने 101 प्रतिशत दिया हो और इसी कारण वह सफल रहा। सफलता और आपके बीच में इसी एक प्रतिशत का फर्क है। इस फर्क को पाटें।
ध्यान रखें:
आप खुद पर विश्वास बनाए रखें। इससे कठिनाई में भी आप डगमगाएंगे नहीं।
असफलता के बाद लोग चाहे कुछ भी कहेंए ध्यान मत दें। पुनः हौसले के साथ अभियान में जुट जाएं।
ऐसे लोगों के साथ रहेंए जिन्होंने मेहनत और हिम्मत से जीवन में कुछ पाया है। इससे आपको भी बाधाओं से लड़ने की प्रेरणा मिलेगी।
हर वक्त कुछ न कुछ नया सीखते रहें। यही आदत आपकी सफलता की लड़ी बन जाएगी।
यह मान कर चलें कि हर विफलता के पीछे कोई.न.कोई वजह जरूर होती है। उसे दूर करने की कोशिश करें और लक्ष्य की ओर आगे बढ़ें। जब कदम आगे बढ़ाएंगे तो पीछे कभी नहीं जाएंगे
कई बार हम खुद में ओवर कॉन्फिडेंट हो जाते हैं और समझने लगते हैं कि हमें सबकुछ आता है। इस कारण हमारा ध्यान उस काम से कम हो जाता है। परिणाम यह होता है कि हमें असफलता का सामना करना पड़ता है। यदि आपने 100 प्रतिशत दियाए तो हो सकता है कि दूसरे ने 101 प्रतिशत दिया हो और इसी कारण वह सफल रहा। सफलता और आपके बीच में इसी एक प्रतिशत का फर्क है। इस फर्क को पाटें।
ध्यान रखें:
आप खुद पर विश्वास बनाए रखें। इससे कठिनाई में भी आप डगमगाएंगे नहीं।
असफलता के बाद लोग चाहे कुछ भी कहेंए ध्यान मत दें। पुनः हौसले के साथ अभियान में जुट जाएं।
ऐसे लोगों के साथ रहेंए जिन्होंने मेहनत और हिम्मत से जीवन में कुछ पाया है। इससे आपको भी बाधाओं से लड़ने की प्रेरणा मिलेगी।
हर वक्त कुछ न कुछ नया सीखते रहें। यही आदत आपकी सफलता की लड़ी बन जाएगी।
यह मान कर चलें कि हर विफलता के पीछे कोई.न.कोई वजह जरूर होती है। उसे दूर करने की कोशिश करें और लक्ष्य की ओर आगे बढ़ें। जब कदम आगे बढ़ाएंगे तो पीछे कभी नहीं जाएंगे
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें