रविवार, 16 अक्तूबर 2011

कहां है बेरोजगारी! दस लाख सरकारी पद है खाली

आर्थिक सुधारों के आलोचकों की शिकायत रही है कि पांच साल तक तेज ग्रोथ के बावजूद पर्याप्त संख्या में नई नौकरियों के अवसर पैदा नहीं हुए हैंए लेकिन भारत में रोजगारविहीन ग्रोथ के पीछे चौंकाने वाली कहानी है। भारत में सबसे ज्यादा प्रतिष्ठित माने जाने वाली केंद्र सरकार की नौकरियों में 10 लाख से ज्यादा पद खाली हैं।
इनमें पुलिस और रक्षा बल की रिक्तियां भी शामिल हैं। इनमें करीब 7ए00ए000 पद खाली पडे हुए हैं। रोजगार सुरक्षाए विश्वसनीयता व मुदास्फीति से जुडी सैलरी और पेंशन स्कीम के चलते इन नौकरियों को बेहतर माना जाता है। डॉक्टरए वैज्ञानिक और अर्थशास्त्री जैसे पेशेवरों के कई पद खाली हैं। अगर इन्हें भरा नहीं गया तो निकट भविष्य में भारत की ग्रोथ संभावनाओं को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। एनएसएसओ के हालिया सर्वे के मुताबिकए 2004.05 और 2009.10 के बीच भारत के वर्कफोर्स ;आबादी में काम करने वाले लोगों की संख्याद्ध में सिर्फ 20 लाख बढोतरी हुई है। इससे कहा जा रहा है कि ग्रोथ के मुताबिक जॉब मार्केट का विस्तार नहीं हुआ है। अगर सरकार ने खाली पडे इन 10 लाख जगहों को भरा होता तो यह आंकडा 50 फीसदी बेहतर दिखता। सही जॉब के लिए सही व्यक्ति पाने में नाकाम रहने की एक वजह कौशल की कमी भी है।
नौकरी करने वाले योग्य लोगों की कमी के चलते भारत के सबसे बडे एंप्लॉयर यानी सरकार मानव संसाधन संकट की तरफ बढ रही है। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि ज्यादातर मंत्रालयों और विभागों में जरूरत से कम लोग हैं। नियुक्ति की कोशिशों के बावजूद खाली जगहों को भरने की रफ्तार पर्याप्त नहीं है। स्पेशलाइज्ड नॉलेज वाले लोग कम हैं और निजी क्षेत्र से ज्यादा सैलरी की पेशकश की जाती है। उन्होंने कहा कि हमने जरूरत पूरी करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर निजी क्षेत्र के लोगों की भर्ती करने पर ध्यान दिया हैए लेकिन यह भी बहुत मुश्किल है। भारत में उच्च शिक्षा की व्यवस्था हांफ रही है। यह उम्मीदवारों की जरूरतें पूरी नहीं कर पा रही है। शिक्षा का स्तर गिर रहा है। वहींए सरकार उन नौकरियों के लिए ऊंची योग्यता और गैर.जरूरी शतेंü थोप देती हैए जिनके लिए ज्यादा कौशल की जरूरत नहीं है। वरीयतात्म को लेकर सख्ती है और निजी क्षेत्र के मुकाबले सरकारी नियुक्ति के नियमों पर लालफीताशाही हावी है।
1970 और 1980 के दशकों के उलट निजी क्षेत्र बहुत बडा हो चुका है। ग्लोबल जॉब मार्केट नौकरी के लिए लोगों को आकर्षित करने में सरकार से काफी आगे है। हाल में खाली पदों को भरने में सरकार के नाकाम रहने के बारे में संसद में पूछे जाने पर स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद और रक्षा मंत्री एके एंटनी ने लोगों को भर्ती करने में विफलता को इसका बडा कारण बताया। योजना आयोग के तहत आने वाले ऑफ इंस्टिट्यूट ऑफ एप्लायड मैनपावर रिसर्च के डायरेक्टर जनरल संतोष मेहरोत्रा का मानना है कि कुशल पेशेवरों के अभाव ने राष्ट्रीय संकट का रूप ले लिया है।

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