सोमवार, 17 अक्तूबर 2011

आने वाली हैं १० करोड़ नौकरियां

मुल्क एक मजबूत अर्थव्यवस्था खड़ी करने जा रहा है। इसके लिए उसे एक-दो नहीं पूरे २० करोड़ अतिरिक्त हाथों की जरूरत पड़ेगी। हाल ही में मंत्रियों के समूह ने जिस राष्ट्रीय विनिर्माण नीति (नेशनल मेन्यूफेक्चिरिंग पॉलिसी) के मसौदे को मंजूरी दी है उसपर काम होना शुरू होगा तो १० करोड़ नौकरियां पैदा होंगी। यह दावा उद्योग जगत के एक प्रमुख संगठन सीआईआई ने रविवार को किया। यही नहीं, बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए २० से २५ फीसदी अस्थायी नौकरियां पैदा होंगी। यह दावा रोजगार दिलाने के काम से जुड़ी कंपनी टीम लीड सर्विसेज का है। अगर यह दोनों दावे खरे उतरे तो नौकरी, झक मारकर झोली में आएगी।

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने रविवार को कहा, च्मंत्रियों के समूह द्वारा नीति को मंजूरी दिए जाने से उद्योग जगत को आशा बंधी है कि २०२५ तक देश के सकल घरेलू उत्पादन में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान बढ़कर २५ फीसदी तक हो जाएगा।ज् सीआईआई के मुताबिक, यदि अर्थव्यवस्था में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान २५ फीसदी तक बढ़ जाए, तो यह ३० फीसदी लोगों को रोजगार देने लगेगा। नीति में राष्ट्रीय निवेश और विनिर्माण क्षेत्र बनाने की बात है।

अब बात करते हैं अस्थायी नौकरियों की, जिसे भारत में ठेके पर नौकरी करना कहा जाता है। टीम लीड सर्विसेज के मुताबिक, इस साल बैंकिंग, एफएमसीजी, दूरसंचार, निर्माण, बुनियादी ढांचा और फार्मा क्षेत्रों में इस तरह की नौकरियों में २० से २५ प्रतिशत का इजाफा होगा। कंपनी की सह संस्थापक और उपाध्यक्ष रितुपर्णा चक्रवर्ती ने कहा, च्अर्थव्यवस्था में तेजी के साथ बैंकिंग, एफएमसीजी जैसे महत्वूपर्ण क्षेत्र तेजी से बढ़ रहे हैं। वे परियोजना या व्यस्त सीजन के दौरान अस्थायी नियुक्तियां करते हैं।ज्

क्षेत्र, कामकाज और स्थान के हिसाब से इन कर्मियों को ८,००० से २०,००० रुपये तक का मासिक वेतन मिलता है। चक्रवर्ती की बात से सहमति जताते हुए अस्थायी कर्मचारियों को मुहैया कराने वाली फर्म जीआई स्टाफिंग सर्विसेज की क्षेत्रीय प्रमुख कुमकुम अग्रवाल ने कहा कि इस वर्ष त्योहारी सीजन में अस्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति में २५ से ३० प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

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