सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

FOR GOVT. JOBS

www.govtjobs.co.in

Best Job Sites In India

With the advent of the internet, searching for a job that best suits you is no longer a difficult task. You can find out the job that matches your academic background and professional experience, if any, by just a click of the mouse. There are several top job sites in India like Naukri, Monster India, Times Jobs, Careerjet, Naukri Hub, Career India, Bixee, ClickJobs, CareerAge, and Freshersworld that provide you information on various openings and also on other relevant topics.
                                                          Job Sites
Naukri Since its inception in the year 1997, Naukri has earned a good name among the job seekers. It is regarded as one of the best job sites in India. The group operates across three verticals, namely, real estate, jobs and matrimony.
Monster India Like Naukri, Monster India is also one of the top job sites in India. The main objective of this site is to enable the job seekers find out about a new career avenue, and discover the job opportunities that exactly match your profile.
Times Jobs The site contains all types of jobs and helps an individual to find out the job of his or her choice relevant to his or her area of study.
Jobstreet The site list jobs of different categories like Accounts,Finance,IT,Sales,Manufacturing and many other sectors..Check out the site for more jobs.
Careerbuilder.co.in Get Marketing Jobs,Fresher Jobs, Delhi Jobs, Delhi Jobs,Mumbai Jobs and many more on this site.
Careerjet Careerjet is one of the popular job search engines which have been specially designed to make the entire process of finding a job on the internet much easier for the users. It lists down the job oppenings available on the internet in one extensive database by referencing originate from recruitment agency websites, company websites and large specialist recruitment sites.
Naukri Hub Naukri Hub is regarded as one of the best job sites in India. Naukri Hub is a popular web portal committed towards guiding millions of job aspirants to find the correct way. The website believes that there is no shortcut to quality and always inspire people to set their dreams sky high. The way Naukri Hub executes all the relevant and best sorted job information, places it at a bench mark position. The site indeed leaves a mark to tremendous teamwork, provides an innovative approach, and leads to an excellently well built customer relationship.
Career India Career India is also one of the popular sites in India. It features sections like Walkins, Walk-in-interviews, Post your Seekers and Resumes, IT Jobs in Pune, Change Location, Bangalore, Delhi and Coimbatore.
Bixee Bixee is also one of the most popular job sites in India. It was launched during the latter part of 2005. In this site, you can find lots of information on Jobs in India, Chennai, Delhi, Pune, Mumbai, Hyderabad and Bangalore over the internet.
ClickJobs ClickJobs is a career site which gives you the option of keeping your profile in the site’s database. The site allows you to keep some of your information confidential if you desire to do so. If a potential employer is interested to view your full profile, you will de directly contacted via email and will be given the name of the potential employer.
CareerAge CareerAge was created in the year 1996 and the portal was officially launched in December 1999. Careerage was launched for the purpose of making available the various types of jobs and career information over the internet. It is regarded as one of the most comprehensive job portals in India which help the students as well as the career builders by providing detailed information on various career options.
Freshersworld This is a portal catering to the jobs for freshers in India. It features sections like Hot Jobs, Govt/Technical Jobs, Defense, Soft Jobs, Careers, Placementweek, Company List and Interview Tips.
Placement India This website provides jobs in India in the fields of IT,Computers,Financial Services,Legal/Law,Sales & Marketing,Insurance,Medical,HR,Hospital and many more categories.
Shine This site provides information on the job openings in various sectors and companies.Also it gives details on consultants that can help in getting a good job.
ApnaCircle This site gives immense information on jobs. Also it gives the facility of sending the SMS to the contacts and be in touch with colleagues.There are online communities also that are rich in information.

Top 15 Most Popular Job Websites

Here are the 15 Most Popular Job Sites as derived from our eBizMBA Rank which is a constantly updated average of each website's Alexa Global Traffic Rank, and U.S. Traffic Rank from both Compete and Quantcast.
1. Yahoo! HotJobs
2. careerbuilder
3. monster
4. indeed
5. simplyhired
6. Aol Jobs
7.snagajob
8.USAJobs
9.Job
10.theLadders
11. Dice
12 . JobBankUSA
13. EmploymentGuide
14.vault
15. jobster

स्टीव जॉब्स की सोच को अपनाएं युवा

ऐपल के पूर्व सीईओ स्टीव जॉब्स की कैंसर से मौत वाकई दुखद है। स्टीव प्रेरणा के स्रोत रहे हैं। स्टीव बहुत क्रिएटिव शख्स रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह थी कि वह अपने ही बनाए प्रॉडक्ट की कद्र खूब करते थे। जब वह अपने ही किसी प्रॉडक्ट पर लिख रहे होते तो अक्सर कहा करते कि क्या मैं खुद इस मशीन के काबिल हूं अपनी मौत के कुछ दिनों पहले ही उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में अपना आखिरी लेक्चर दिया। उसे सुनकर.पढ़कर किसी के भी जीवन का नजरिया बदल सकता है। कम ही लोग जानते होंगे कि वह एक बिनब्याही मां की संतान थे जिसने उन्हें सिर्फ इसलिए गोद दे दिया था कि पैसों की कमी की वजह से वह उन्हें पाल नहीं सकती थीं। लेकिन उनकी मां ने यह शर्त रखी थी कि स्टीव को गोद लेने वाले पैरंट्स कम.से.कम ग्रैजुएट होने चाहिए। स्टीव को जिस कपल ने अडॉप्ट किया उसने वादा किया कि वह स्टीव को यूनिवर्सिटी जरूर भेजेंगे। हालांकि बाद में स्टीव का मन यूनिवर्सिटी में नहीं लगा। तब उन्होंने कलीग्रफी सीखी। उन्होंने अपने मन का काम चुना। उन्हें नहीं पता था कि जब वह ऐपल का फॉन्ट बनाएंगे तो उनकी यही कला उस प्रॉडक्ट की पहचान बन जाएगी। ऐपल के फॉन्ट्स पर स्टीव की कलीग्रफी कला की छाप साफ दिखती है। उनका यही कहना था कि आपको लगातार उस काम की खोज करते रहना चाहिए जिसमें आपकी दिलचस्पी हो। उनकी जिंदगी की यह फिलॉसफी रही है कि हर दिन को ऐसे जीओए जैसे वह जिंदगी का आखिरी दिन हो। जब माइक्रोसॉफ्ट मार्केट पर राज कर रहा था तो किसी ने नहीं सोचा होगा कि एक दिन ऐपल इससे आगे निकल जाएगा। लोगों ने कहा कि कंप्यूटर का कोई रीटेल नहीं हो सकता। लेकिन उन्होंने यह चुनौती ली और साबित कर दिया कि टेक्नॉलजी का भी रीटेल हो सकता है। न्यू यॉर्क के ऐपल आउटलेट पर खचाखच भीड़ देखकर उनकी सफलता का अनुमान लगाया जा सकता है। उन्होंने न सिर्फ पर्सनल बल्कि प्रफेशनल लाइफ में भी चुनौतियां लीं और साबित कर दिखाया कि कोई काम नामुमकिन नहीं होता। इससे बड़ी कामयाबी की कहानी दुनिया में दूसरी नहीं है।
क्लाइंट ने जब अपनी मांग रखी कि ऐसा आइफोन होना चाहिएए जो बहुत ज्यादा सिंपल हो और उसमें एक से ज्यादा बटन न हों तो स्टीव के साथ काम करने वालों को भी यही लगा था कि ऐसा मुमकिन नहीं है। मगर स्टीव ने इसे भी मुमकिन बना दिया। अनगिनत कंपनियां ऐसी थींजिन्होंने ऐपल के आइफोन की कॉपी बाजार में उतारी। उनका यही मानना था कि जो दिल कहे वही काम करना चाहिए। उन्होंने काम को कभी काम नहीं समझा। वह कहते थे कि आप जिस काम को करते हैंए जब तक उससे प्यार नहीं करेंगे तो कैसे उसमें ज्यादा समय दे पाएंगे और कैसे कामयाब हो पाएंगेघ् वह कॉर्पोरेट वर्ल्ड को भी बहुत कुछ सिखा कर गए। उनका कोई भी प्रॉडक्ट छूकर देखेंगे तो लगेगा जैसे इसे गढ़ा गया है। वह मानते थे कि अगर आप अच्छे स्तर की चीज बनाएंगे तो मुनाफा अपने आप कमाया जा सकता है। सिलिकन वैली की एक कहावत है कि श्हव योर लंच बिफोर समवन है इटश् अपनी टेक्नॉलजी पर उन्होंने इसे लागू किया। आईपॉड बहुत सक्सेसफुल प्रॉडक्ट था फिर भी उन्होंने आईफोन बनाया जो आइपॉड को खत्म कर देने वाला था। अपनी सबसे बिकाऊ चीज को बंद कर देने की हिम्मत रखना भी बहुत बड़ी बात है। लेकिन उन्होंने ऐसा किया क्योंकि उन्हें दुनिया को और अडवांस और सुविधाजनक प्रॉडक्ट देना था। यह बात एक क्रिएटिव इंसान ही सोच सकता हैए बिजनेसमैन कभी नहीं। मौत को भी उन्होंने बहुत सहजता से स्वीकार किया। उन्होंने कहा था कि मरना कोई नहीं चाहता मैं भी नहीं। लेकिन मौत सबसे अच्छी चीज है। इंसान को यह दो बातें सिखाती है. एक सबका अंत एक ही होता है। दूसरी यह जीवन के प्रति आपको विनम्र बनाती है। यह इंसान में घमंड नहीं आने देती। अपनी बीमारी के बारे में जानने के बाद वह और ज्यादा विनम्र हो गए। उनकी कथनी और करनी में कोई फर्क नहीं था। अगर उनकी सोच का एक भी अंश युवा अपना लें तो अपने लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं। एक महान इंसान के तौर पर स्टीव जॉब्स को हमेशा याद किया जाएगा।

2020 तक विदेशी नहीं देसी नौकरियां ललचाएंगी

आने वाले सालों में एक नया ही ट्रेंड जोर पकड़ेगाए जिसका नाम होगा रिवर्स ब्रेन ड्रेन। विदेशी नागरिक और विदेशों में जाकर काम कर रहे देसी लोग वापस अपने देशों को लौटेंगे। ये लोग अपने देश में सीनियर लेवल की पोस्ट पर बड़े पैमाने पर आएंगे। ये अनुमान एक लेटेस्ट स्टडी में निकाले गए हैं।
फ्रॉस्ट एंड सुलीवन नाम की कंपनी की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले वक्त में भारत जैसे मुल्कों में सीईओ पद के लिए बड़े पैमाने पर वेकेंसी रहेंगी। इनमें से ज्यादातर पोस्ट को न सिर्फ नॉन रेजिडेंट इंडियन एनआरआई भरेंगेए बल्कि अमेरिकी और यूरोपियन लोग भी बेहतर विकल्प के रूप में इन्हें देखेंगे। रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिक देशों ब्राजील, रूस, इंडिया, चीन के अलावा पोलैंड और फिलिपीन जैसे देशों में विदेशी नागरिकों के लिए करीब 20 लाख बीपीओ,केपीओ जॉब पैदा होंगी। ये उन्हें विकसित देशों की तर्ज पर ही सैलरी और बाकी सुविधाएं देंगे। वर्ल्ड टॉप ग्लोबल मेगा ट्रेंड्स टु 2020 नाम की इस रिपोर्ट का मकसद कंपनियों को नए उभरते ट्रेंड्स की जानकारी देना और उनसे निपटने में मदद देगा है।
रिवर्स ब्रेन ड्रेन के अलावा कुछ और ट्रेंड भी रहेंगे जैसे . शहरीकरण। रिपोर्ट के मुताबिक 2020 तक करीब 30 बड़े शहर, 15 बड़े इलाके और कम से कम 10 बड़े कॉरिडोर बनेंगे। इस कारण विभिन्न संगठनों को शहरी बिजनेस मॉडल पर ध्यान देने की जरूरत है। एक और बड़ा ट्रेंड ई.मोबिलिटी का रहेगा। तब 4 करोड़ से ज्यादा इलेक्ट्रिक वीइकल होंगे, जिनमें इलेक्ट्रिक साइकल, स्कूटर, कार और बसें शामिल होंगी।
सोशल नेटवर्किंग में भी नया दौर आ चुका होगा। इसमें जिओ कोडिंग और जिओ टैगिंग जैसे ट्रेंड होंगे। यह जिओ नेटवर्किंग विभिन्न बाजारों, बिजनेस और लोगों को आपस में मिलने, विज्ञापन करने और प्रमोट करने का मौका देगी। इसी तरह जीरो का ट्रेंड रहेगा। मसलन ए जीरो एमिशन ए जीरो एक्सिडेंट ए जीरो डेथ ए जीरो डिफेक्ट ए जीरो सिक्युरिटी ब्रीच। महिला सशक्तिकरण भी नई ऊंचाइयां छुएगा। हर तीन में से एक वर्कर महिला होगी और कुछ देशों में 2020 तक बोर्ड रूम में महिलाओं का प्रतिशत 40 पर्सेंट तक रहेगा।

रविवार, 23 अक्तूबर 2011

तरक्की के लिए करें जॉब चेंज

कॉर्परट वर्ल्ड का पहला नियम है जॉब चेंज। यहां जो जॉब जल्दी नहीं बदलता उसे कंपनी का मैनिजमंट तक यूजलेस मान लेता है। यह नियम बदल रहा है। अब ऐसे एंप्लॉइज भी दुलारे हो गए हैं जो अपनी जॉब से संतुष्ट हैं। वे कहीं जाना नहीं चाहते इसलिए दूसरी कंपनियां उन्हें अपने पास बुलाना चाहती हैं।
क्या आप अपनी जॉब से संतुष्ट और खुश हैं क्या आपको कंपनी के किसी नियम से कोई खीझ नहीं है क्या आपने काफी समय से जॉब बदलने के बारे में नहीं सोचा है अगर इनमें से ज्यादातर प्रश्नों का जवाब हां में है तो आप निश्चित रूप से एक  पैसिव कैंडिडेटश् हैं। आजकल पैसिव कैंडिडेट्स ही रिक्रूटर्स और एचआर के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं पर सच यह भी है कि पैसिव कैंडिडेट की पहचान करना काफी मुश्किल है।
पहचान
पर्सनल डिसिजन इंटरनैशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के एमडी राज बोवन बताते हैं  श्तकनीकी भाषा में कहें तो पैसिव कैंडिडेट वह है जो अपनी मौजूदा जॉब में बहुत अच्छा कर रहा है और निकट भविष्य में जॉब बदलने की सोच भी नहीं रहा। इसके लिए उसे कहीं से कोई प्रेरणा नहीं मिल रही। पैसिव कैंडिडेट की पहचान का सबसे आसान तरीका रिफरल नेटवर्क होता है। इसके अंतर्गत कंपनी के एंप्लॉइज दूसरी कंपनियों में अपने सर्कल को बतौर रिक्रूटिंग सोर्स एचआर के साथ शेयर करने के लिए तैयार होते हैं।
ई.रेव मैक्सश् टेक्नॉलजी के सीईओ रियूएल घोष कहते हैं कि पैसिव कैंडिडेट की पहचान तभी हो सकती है जब आपको पता हो कि पैसिव कैंडिडेट कौन होते हैं सिर्फ टेक्नॉलजी के भरोसे यह काम नहीं किया जा सकता क्योंकि इसमें पर्सनल इन्वॉलवमेंट बहुत जरूरी होता है। यहां रिक्रूटर्स को सेल्स पर्सन की भूमिका निभानी पड़ती है। कह सकते हैं कि पैसिव कैंडिडेट की पहचान और उससे संपर्क करने के लिए स्पेशल ट्रेनिंग की जरूरत होती है।
पहुंच
किसी पैसिव कैंडिडेट की पहचान करना अलग बात है और उसके निकट पहुंचना अलग। ऐसे में सवाल यह उठता है कि पैसिव वर्कर्स को संस्थान में लाने का सबसे अच्छा तरीका क्या है ऐसा कौन.सा ऑफर होगा जिससे किसी पैसिव कैंडिडेट के माइंड को बदला जा सके। ऑल इंडिया मैनिजमंट असोसिएशन के प्रोग्राम डाइरेक्टर योगी श्रीराम इस बारे में कहते हैं श्कैंडिडेट के बारे में पूरा होमवर्क करना होगा। कॉन्फिडंशियलिटी की कैंडिडेट की जरूरत पूरी करें और उसे इनक्वायरी के लिए भरपूर स्पेस और टाइम दें। करियर एयर.कंडिशनिंग एंड रेफ्रिजरेशन लिमिटेड की एचआर डाइरेक्टर पूनम शर्मा कहती हैं श्पैसिव वर्कर्स की पहचान और उसकी नियुक्ति के लिए जरूरी है कि इस काम को प्रफेशनल्स ही अंजाम दें। एक बेहतर रिक्रूटर ही पैसिव वर्कर के माइंड को चेंज कर सकता है। वह उसे नए किरदार की खासियतों के बारे में बता सकेगा।
पसंद
सच्चाई यह है कि जॉब मार्किट में ऐक्टिव कैंडिडेट्स की उपलब्धता काफी है। ऐक्टिव कैंडिडेट्स यानी जो जॉब चेंज के बारे में सोचते रहते हैं यानी नए रोल के लिए वे हमेशा उपलब्ध होते हैं। ऐसे में अहम सवाल यह भी है कि फिर क्यों कोई कंपनी ऐक्टिव की जगह पैसिव वर्कर्स को चुनना पसंद करती है बोवन कहते हैं श्पैसिव कैंडिडेट से डील करना ऐक्टिव के मुकाबले ज्यादा आसान और गंभीर होता है क्योंकि वह सिर्फ एक ही दिशा में सोचता है अलग.अलग अवसरों के बारे में नहीं। अगर बात फाइनल हो जाती है तो पैसिव कैंडिडेट ज्यादा निष्ठावान एंप्लॉई साबित होगा। कोलाबेरा के प्रेजिडंट और सीओओ मोहन शेखर कहते हैं श्जॉब मार्किट में योग्य प्रफेशनल्स की जरूरत हमेशा रहती है। पैसिव कैंडिडेट्स ज्यादा स्थिर करियर के प्रति सचेत और लॉयल होते हैं। इस तरह के कैंडिडेट कंपनी के लिए एसेट की तरह होते हैं जबकि ऐक्टिव कैंडिडेट के फिर आगे बढ़ जाने के चांस ज्यादा होते हैं। ऐक्टिव कैंडिडेट के साथ रिस्क और कॉस्ट दोनों ज्यादा जुड़े होते हैं।

शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2011

positive-attitude-tips.com

आज की टॉप वेबसाइट
सकारात्मक सोच जिंदगी बदलने की क्षमता रखती है। वर्कप्लेस पर सकारात्मक रवैया न सिर्फ काम में सफलता दिलाता है, बल्कि आप अपने आसपास भी काम का अच्छा माहौल तैयार कर पाते हैं। यहां दिए लेख १० श्योर टिप्स फॉर क्रिएटिंग ए पॉजिटिव एटीट्यूड इन द वर्कप्लेस में  कुछ उपयोगी कदम बताए गए हैं। लेख के अनुसार किसी को भी हर समय शिकायत करने वाला व्यक्ति पसंद नहीं होता। अब यदि आप खुद को ऐसी किसी स्थिति में पाते हैं तो शिकायत करने की जगह बॉस को अपनी चुनौती बताते हुए समाधान रखने की इच्छा रखें। इससे मुद्दों पर बात नहीं अटकेगी और आप अपनी समस्या का समाधान भी कर लेंगे।

गुरुवार, 20 अक्तूबर 2011

जॉब सर्च में टेकनीक से कामयाबी!

प्रफेशनल्स के लिए डिजिटल टेक्नॉलजी वरदान साबित हुई है। सोशल नेटवर्किंग साइट्स, ई-मेल और स्मार्ट फोन से भी आपको जॉब की तलाश में काफी मदद मिलती है, लेकिन स्मार्ट फोन 'ब्लैकबेरी' उठाने और किसी कंपनी के मैनेजर को कोई मेसेज भेजने से पहले दो मिनट सोचिए क्योंकि राइट जॉब तलाश करने के लिए राइट स्किल्स की जरूरत होती है। लेकिन अपनी मनपसंद जॉब पाने के लिए नई टेक्नॉलजी का सहारा लेने वाले लोग अक्सर कुछ गलतियां कर देते हैं। आप कुछ तरीके अपनाकर इससे बच सकते हैं।
ई-मेल ब्लास्ट नहीं
अपनी फील्ड की हर ऑनलाइन जॉब के लिए अप्लाई करने से बचें। केवल उसी जॉब पर ध्यान दीजिए, जो आपके लिए बेस्ट हो। नेट पर अलग-अलग साइट्स विजिट करके अपने फील्ड के एंप्लायर्स की तलाश कर सकते हैं और उनके बारे में अहम जानकारी जुटा सकते हैं, जो बाद में आपके काम आएगी।
स्नेल मेल
अगर आप अपने फील्ड की हर जॉब के लिए ई-मेल भेजते हैं और उसके साथ आपका सीवी भी अटैच होता है तो किसी भी मैनेजर के लिए उसे डिलीट करना बेहद आसान होता है। अगर आप पोस्ट से अप्लीकेशन भेजते हैं तो उसका इफेक्ट दूसरा होता है।
गेट पर्सनल
ई-मेल भेजते समय जहां तक हो सके, उसे पर्सनल बनाएं। अगर आप अपने किसी साथी के जरिए किसी कंपनी के मैनेजर से रूबरू हो रहे हों तो उस साथी का नाम सब्जेक्ट लाइन में जरूर टाइप करें। इससे मैनेजर उस मेल को डिलीट करने से पहले दो बार जरूर सोचेगा।
सीमा में रहिए
अगर आपको किसी कंपनी के मैनेजर का मोबाइल नंबर मिल भी गया है, तो उसे बिना इजाजत कॉल मत कीजिए।
लैंडलाइन फोन
किसी कंपनी में अपॉइंटिंग अथॉरिटी से कॉन्टेक्ट करने के लिए हमेशा लैंड लाइन फोन इस्तेमाल कीजिए। हो सकता है, सेल फोन ठीक ढंग से कनेक्ट न हो पाए। बीच में ही लाइन कट जाए या बेवजह डिस्टर्बेन्स हो।
स्मार्ट नेटवर्क
अगर नेटवर्किंग साइट्स से आप जिस व्यक्ति तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं। उनसे आप पर्सनली पहचान बनाना चाहते हैं, तो उसे बिना किसी कारण इलेक्ट्रॉनिक इन्विटेशन न भेजे।
डिजिटल फुटप्रिंट
मैनेजर रिज्यूमे और रेफरेंस से आगे जाकर भी आपके बारे में तहकीकात कर सकते है और ऑनलाइन आपका बैकग्राउंड भी चेक कर सकते हैं। इसलिए सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर कुछ भी पोस्ट करने से पहले समझदारी से काम लें। इसी तरह ब्लॉग और ऑनलाइन फोरम में पर्सनल इंफर्मेशन देने से पहले अच्छी तरह सोच लें।

जब तलाश रहे हों जॉब

कई बार ऐसा होता है कि पर्याप्त योग्यता होने के बावजूद हमें हमारी ड्रीम जॉब नहीं मिल पाती। इसके चलते कई युवा फ्रस्ट्रेशन के शिकार भी हो जाते हैं। इस स्थिति से बचने के लिए यह जरूरी है कि कुछ सावधानियों का ध्यान रखा जाए। इससे जॉब पाने की राह कुछ आसान हो जाती है।
नेटवर्क में फैला दें बात
अगर आप जॉब की तलाश में हैं, तो इसे इगो इशू नहीं बनाएं। इसके लिए जितने लोगों से कह सकते हों, जरूर कहें। शायद आप इस तथ्य से अनजान न हों कि आजकल मल्टीनैशनल कंपनियों के एचआर डिपार्टमंट्स तक रिफरल रिक्रूटमंट को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिसमें किसी एम्प्लॉयी के जानकार को शॉर्टलिस्ट किया जाता है। संभव है कि आपको किसी के रिफ्रेंस से ही इंटरव्यू का बुलावा आ जाए। इस उम्मीद में अपने परिवार के सदस्यों और दोस्तों को भी बता दें कि आप नई जॉब तलाश कर रहे हैं। कई बार बेहतरीन जॉब सिर्फ रिफ्रेंस से ही मिल जाती हैं और उनके लिए कहीं कोई विज्ञापन भी नहीं दिया जाता। कुल मिलाकर, आपका नेटवर्क जितना बड़ा होगा, मौके भी उतने ही अधिक होंगे।
इंटरव्यू से पहले करें रिसर्च
माना जाता है कि जो लोग इंटरव्यू में जाने से पहले उस कंपनी के बारे में काफी जानकारियां इकट्ठा कर लेते हैं, उन्हें जॉब मिलने की संभावना काफी बढ़ जाती है। इसका कारण यह है कि आप उस कंपनी की पोलिसीज और काम करने के तरीके से पहले ही वाकिफ हो जाते हैं और इंटरव्यू बोर्ड को यह विश्वास दिला पाते हैं कि आप कंपनी के लिए फायदेमंद रहेंगे। कंपनी के बारे में जानकारी जुटाने के लिए आप वहां के एम्प्लॉइज, बिजनस मैग्जींस या एक्स-एंप्लॉइज की मदद ले सकते हैं।
रिज्यूमे को अपडेट करते रहें
जरूरी नहीं है कि आपका रिज्यूमे हर कंपनी में एक जैसा कारगर साबित हो। हर जॉब की जरूरत के अनुसार इसमें बदलाव करते रहें। हर बार कंपनी को ध्यान में रखकर इसे अपडेट करना सही रहता है। दरअसल, कई कंपनियां अनुभव को अधिक महत्व देती हैं, तो कुछ एजुकेशनल बैकग्राउंड पर खासा जोर देती हैं।
कवर लेटर पर ध्यान दें
सिर्फ रिज्यूमे ही नहीं, कवर लेटर का भी इंप्रेशन पड़ता है। कई बार इसे नजरअंदाज करने का मतलब मौका गंवाना होता है। कवर लेटर के माध्यम से आप यह बताते हैं कि आप किस तरह उस ऑर्गनाइजेशन के फायदे के लिए काम करेंगे? इसमें स्पेलिंग और ग्रामर की गलतियों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।

बुधवार, 19 अक्तूबर 2011

JUNIOR CLERK VACANCY

Parliament of India  (Joint Recruitment Cell) Lok Sabha Secretariat

Applications are invited from eligible Indian citizens for filling up vacancies for the post of Junior Clerk in Lok Sabha Secretariat  :

    * Junior Clerk : 22 posts (UR-22), Pay Scale : Rs. 5200-20200 Grade Pay: Rs. 2400, Age : 27 years, Qualification : Bachelor’s degree in any discipline from a recognised university and a minimum typing speed of 40 words per minute. Preference will be given to persons having typing speed of 40 words per minute both in English and Hindi.

How to Apply : Applications complete in all respects in the prescribed format should be sent by post only to:
The Joint Recruitment Cell, Room No. 521, Parliament House Annexe, New Delhi -110001

The last date for receipt of applications is 08/11/2011. (7 days more for candidates from far-flung areas)

Complete information along with application format is available at  http://164.100.47.132/JRCell/Module/Notice/advt.5-2011.pdf

एमबीए के प्रति घटा रुझान

आईआईएम भी नहीं लुभा पा रहा
कुछ साल पहले तक प्रबंधन पाठ्यक्रमों (एमबीए) के प्रति भारतीय छात्रों में जबरदस्त क्रेज था। नब्बे के दशक के बाद  तो प्रबंधन शिक्षा का परिदृश्य बड़ी तेजी से बदला। बड़े और मेट्रो शहरों तक ही केंद्रित एक-दो संस्थानों की पहुंच छोटे-छोटे शहरों तक हो गई। और हर गली में एक प्रबंधन स्कूल खुल गए। जहां सर्टीफिकेट से लेकर डिग्री कोर्स तक संचालित हो रहे हैं। लेकिन, इन संस्थानों की शिक्षा गुणवत्तापरक नहीं है। इनमें से ज्यादातर संस्थानों ने अधकचरे प्रबंधक पैदा किए हैं। एमबीए की डिग्री हासिल करने के बाद इन्हें पांच-छह हजार रु महीने की भी नौकरी नहीं मिल रही है। यही वजह है कि इधर दो-तीन सालों से प्रबंधन पाठ्यक्रम के प्रति छात्रों का रुझान बड़ी तेजी से घटा है।
कैट में भी गिरावट
देश के ख्यातिप्राप्त मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट, भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) में दाखिले के लिए ली जाने वाली कॉमन एप्टीट्यूड टेस्ट (कैट) परीक्षा के नामांकन में भी गिरावट आई है। 2008 के बाद से कैट उम्मीदवारों की संख्या में हर साल कमी आई है। 2008 में कैट में जहां 2.7० हजार छात्रों ने पंजीकरण कराया वहीं २००९ में २.४१ हजार स्टूडेंट्स इस परीक्षा में बैठे। २०१० में २.०४ हजार छात्रों ने प्रवेश परीक्षा दी। २०११ की कैट के लिए आवेदन की अंतिम तिथि चार अक्टूबर थी। पता चला है इस बार २.०५ हजार छात्र ही इस परीक्षा में बैठ रहे हैं।
अन्य संस्थानों का भी बुरा हाल
कमोवेश, यही हाल मैट और अन्य प्रबंधन प्रवेश परीक्षाओं का भी है। इनमें पंजीकरण कराने वालों की संख्या में कमी देखी जा रही है। दिल्ली, नोएडा, बेंगलुरु, पुणे, मुंबई और कोलकाता में खुले बड़े प्रबंधन संस्थानों की बात छोड़ दें तो अन्य शहरों के प्रबंधन स्कूलों को तो छात्रों का टोटा पड़ गया है।
२००८ से गिरावट का दौर
हालांकि, प्रबंधन के क्षेत्र में नौकरियों में कोई कमी नहीं आई है। रिटेल और हॉस्पिटल से लेकर सेल्स की फील्ड में प्रबंधकों की मांग बढ़ी है लेकिन, योग्यता कि मुताबिक सैलरी न मिलने और बेहतर प्लेसमेंट न होने की वजह से छात्रोंने अन्य कॅरियर विकल्पों की तरफ सोचना शुरू कर दिया। २००८ के बाद तो प्रबंधन में कॅरियर बनाने वालों की संख्या में तेजी से गिरावट आई। पिछले दो सालों में दूरसंचार और वित्त ऐसे दो प्रमुख क्षेत्र रहे हैं जहां एमबीए डिग्रीधारको को सर्वाधिक रोजगार मिला। लेकिन इधर यहां भी नौकरियों के अवसर कम हुए हैं।

Beware of fake job offers

IT, ITES industry, warns ITsAP

HYDERABAD: The IT and ITES Industry Association of Andhra Pradesh (ITsAP) has cautioned the youth to be vigilant over fake job offers in these sectors. ITsAP said that students and other job seekers in IT & ITES sectors are receiving fake mails and other communications offering jobs and asking them to make payments from certain individuals and agencies in the name of IT companies. "In view of the huge demand for employment in IT & ITES sectors, ITsAP strongly advises the student community and others, looking for jobs, to verify the correctness of each and every such communication through authorised representative of the company, before proceeding to the next steps in the employment process," ITsAP said in a statement.

The organisation has advised that it is always advisable to meet the authorised representatives of the company in person in the respective office premises."It is a safe practice to insist on a proper printed copy of the appointment letter, duly-signed by the authorised signatory on the company letter-head and not just an offer letter and any non-payment of salary should be viewed with suspicion and brought to the notice of the authorities. It can be brought to our notice if it is our registered member company," ITsAP further said. Before an individual enters into a financial commitment in the form of Bonds/Deposits/Other arrangements, they should make sure of the legal validity of all such transactions, the IT body said.

TCS to hire 45,000 engineers for fiscal 2013

37,000 offers to engineering graduates for the current fiscal.

Mumbai .The country's largest software exporter Tata Consultancy Services will give out 45,000 offers to fresh engineers for fiscal 2013 through its annual campus recruitment drive, a top company official has said.
In comparison, the Tata group company had given 37,000 offers to engineering graduates for the current fiscal.

TCS, which had started the process of approaching campuses in August, has already made 35,000 offers to students in over 200 campuses, Mr Ajoy Mukherjee, Executive Vice-President and Global Head, Human Resources, told newspersons,  Assuming a joining ratio of 70 per cent, this translates into an addition of 31,500 more employees to the IT major's rolls. However, TCS has not tinkered with the salary structure of its campus recruits. A fresh engineering graduate's overall package continues to be around 3.15 lakh per year.
Also, the company will now will scout for fresh engineers during the seventh semester of the academic year as against the eighth semester. “Given the volumes that we are looking at and the feedback we have got from the colleges we will now begin the campus recruitment drive in the seventh semester. The process will continue till January next year,” said Mr Mukherjee.It may be recalled that TCS and other IT companies had decided in 2009 to hire only in the middle or towards the end of eighth semester.
“Some institutions have given us a feedback that the eighth semester may not be a good idea since many technical institutions send students for practical training then. As a result, they miss out on placement opportunities,” Mr Mukherjee had said in an earlier interaction.
In the ongoing quarter, TCS expects to get on board another 17,000 to 20,000 employees.

मंगलवार, 18 अक्तूबर 2011

ऑटो इंडस्ट्री में आने वाली हैं 8 लाख नई नौकरियां

हो जाइए तैयार, करें सर्विस या व्यापार

देश के अव्वल ऑटो उत्पादन केंद्रों-गुडग़ांव, चेन्नई और पुणे के बाद अब अहमदाबाद ऑटो प्रोडक्शन सेंटर सिटी के रूप में तेजी से विकसित हो रहा है। यहां अगले तीन साल में ऑटो सेंटर में लगभग आठ लाख लोगों को रोजगार मिलेंगे। दरअसल, कई कार कंपनियां अपने कारखाने खोलने के लिए यहां आ रही हैं। देश के ऑटो उत्पादन केंद्र गुडग़ांव, चेन्नई और पुणे में अभी सीधे और परोक्ष रूप से 1.3 करोड़ लोगों को रोजगार मिला है। सोसायटी ऑफ  ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स का अनुमान है कि ऑटो सेक्टर में अगले तीन साल में 50 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। साल 2012 से 2016 के बीच 70 लाख लोग और जुड़ेंगे जिससे तब तक ऑटो सेक्टर से जुड़े लोगों की कुल संख्या मौजूदा 1.3 करोड़ से बढ़कर 2.5 करोड़ तक पहुंच जाएगी।
गुजरात में ऑटो कंपनियां
फ ोर्ड मोटर लगाएगी कारखाना 3०,०000 रोजगार का होगा सृजन।
मारुति सुजुकी अपने प्लांट में देगी डेढ़ लाख लोगों को रोजगार।
टाटा मोटर्स साणंद में लगा रही है नैनो कार कारखाना, एक लाख नौकरियां मिलेंगी।
फ्रांस की कार कंपनी पूजो, हीरो होंडा, बजाज ऑटो भी गुजरात आने के लिए तैयार।
गांधीनगर से लगभग 40 किलोमीटर दूर साणंद में साल 2014 तक वाहनों का सालाना उत्पादन लगभग आठ लाख यूनिट हो जाएगा।
जनरल मोटर्स, हलोल संयंत्र में हल्के कमर्शियल व्हीकल का उत्पादन शुरू करेगी।
ई.बाइक बनाने वाली कंपनी इलेक्ट्रोथर्म यहां इलेक्ट्रिक तिपहिया और हाइब्रिड इलेक्ट्रिक बस विकसित कर रही है।
अतुल ऑटो भी चालू वित्त वर्ष में अपनी उत्पादन क्षमता दोगुनी करने जा रहा है।
गुजरात में  अपोलो टायर्स, ओरिजनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स (ओईएम) और ऑटो कम्पोनेंट कंपनियों में काम करने वालों की संख्या बढ़कर हुई 4 लाख।
गुजरात में इस समय लगभग 500 ऑटो कंपोनेंट कंपनियां उत्पादन कर रहीं हैं और यहां अगले तीन साल में और 150 कंपनियां आ सकती हैं। गुजरात की ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री में इस समय लगभग तीन लाख लोग काम कर रहे हैं। 
कितना उत्पादन
गुजरात में इस समय हर साल लगभग 6 लाख कारों, 48000 तिपहिया वाहनों, 50000 ट्रकों,ढाई लाख ई.बाइक का उत्पादन होता है। हर कार के निर्माण में पांच लोगों को मिलता है रोजगार।
किनकी होगी जरूरत
ऑटोमोबाइल में श्रमिकों की काफ ी जरूरत होती है, इसलिए कुशल, अद्र्वकुशल, आईटीआई व डिप्लोमा होल्डर्स के लिए यहां रोजगार के काफ ी मौके बनेंगे।
कहां से लें प्रशिक्षण
ऑटो इंडस्ट्री में फिटर,बेल्डर,मैकेनिक्स,मशीनिस्ट,शीट मेेटल,इलैक्ट्रानिक्स व पेंटर्स आदि की जरूरत ज्यादा होती है। स्किल्ड एंड अनस्किल्ड लेवर्स के रूप में युवाओं को रोजगार मिलता है। इन सभी ट्रेडों में प्रशिक्षण के लिए आईटीआई और पॉलीटेक्निक संस्थानों में दाखिला लिया जा सकता है। बीटेक के बाद इंजीनियर के तौर पर कॅरियर बनाया जा सकता है।

कॉमन पास तो एक साल बैंक बाबू के लिए पात्र

बैंकों में कॅरियर बनाने के इच्छुक  युवाओं के लिए खुशखबर। एक बार एक्जॉम देने के बाद उन्हें साल भर प्रतियोगी परीक्षा देने से मुक्तिहोगी। वह भी किसी एक बैंक के लिए नहीं बल्कि एक साथ १९ बैंकों के लिए सालभर उनके पास नौकरियों का प्रस्ताव आएगा।
आगामी २७ नवंबर को होने वाली बैंक की कॉमन लिपिक वर्ग परीक्षा पास करने वाले परीक्षार्थी एक वर्ष के भीतर १९ राष्ट्रीयकृत बैंकों में होने वाली भर्ती के लिए पात्र होंगे। यदि एक वर्ष के भीतर किसी भी बैंक से परीक्षार्थी को बुलावा नहीं आता है तो उसे अगले वर्ष होने वाली कॉमन परीक्षा में दोबारा शामिल होना पड़ेगा। परीक्षा में अंकों के आधार पर सभी परीक्षार्थियों को कॉमन कोड जारी किया जाएगा। कॉमन कोड की वरीयता आधार पर खाली पदों की संख्या के हिसाब से परीक्षार्थियों को साक्षत्कार के लिए बुलाया जाएगा। परीक्षा में गणित, तर्कशक्ति, कम्प्यूटर, अंग्रेजी, बैकिंग का जनरल नॉलेज व अर्थशास्त्र के २५० प्रश्न पूछे जाएंगे।
ऎसे होगी भर्ती
देश के प्रमुख १९ बैंकों में भर्ती के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ पर्सनल सलेक्शन ने नई पहल की है। इसके तहत परीक्षा के पांचों विषयों में २० फीसदी अंक लाने वाले परीक्षार्थियों को मैरिट के आधार पर एक कॉमन कोड दिया जाएगा। इसके बाद १९ बैंकों की तरफ से जैसे ही कोई लिपिकों भर्ती की सूचना जारी की जाएगी तो कॉमन कोड के आधार पर परीक्षार्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा। एक बार साक्षात्कार देने और उसमें पास होने की स्थिति में कॉमन परीक्षा का परिणाम शून्य कर दिया जाएगा। इसके बाद यदि परीक्षार्थी दूसरे बैंक की भर्ती में शामिल होना चाहता है तो उसे कॉमन परीक्षा फिर से देनी होगी।
ये बैंक हैं शामिल
इलाहबाद बैंक, इंडियन, आंध्रा, ओबीसी, बैक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब एंड सिंध बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, केनरा बैंक, सेन्ट्रल बैंक, यूनियन बैंक, देना व विजया बैंक सहित १९ बैंक शामिल हैं।

सोमवार, 17 अक्तूबर 2011

अपना रास्ता स्वयं बनाएं

मौलिकता एक ऐसा गुण है जो प्रत्येक व्यक्ति का ध्यान तत्काल आकर्षित कर लेता है। उसमें सभी लोगों को सहज ही अपनी और आकर्षित करने की एक महान शक्ति होती है।
वास्तव में मौलिकता का ही दूसरा नाम सूझबूझ और किसी भी कार्य को नए ढंग से करने की कुशलता है। जिस व्यक्ति में ये सभी गुण होते हैं वह अवश्य ही सफल होता है। और तब संसार उसकी सफलता देखकर अवाक रह जाता है।
लेकिन इसके लिए सर्वप्रथम इस बात की आवश्यकता है कि आप अपने सामने आने वाली सभी प्रकार की सम्पूर्ण विघ्न-बाधाओं को हटाते हुए अपने मार्ग का स्वयं निर्माण करें. या अपना मार्ग स्वयं ही निर्धारित करें। तभी संसार पर आपका व्यापक असर पड़ेगा।
      हमारे विचार ही विश्वास का आईना हैं
लोग तभी आपको और आपकी प्रतिभा को पहचान पायेंगे। जो भी व्यक्ति कर्मक्षेत्र में अपने सिर को उठाकर, अपना सीना ठोककर अपनी उपस्थिति की घोषणा करता है, संसार उसी का सम्मान करता है, उसी के आगे सिर झुकाता है। और फिर स्वयं ही उसके महान होने की घोषणा कर देता है।
वह उसकी महानता को स्वीकार करके चुप नहीं बैठा रहता बल्कि ऐसे प्रयास करता है कि उस व्यक्ति की महानता की ख्याति फूलों की सुवासित गंध की तरह दिगदिगन्त में फैलती चली जाती है।

जहां होगी नौकरी की भरमार

करें पैकेजिंग सुनहरे कल की
2015 तक भारत का पैकेजिंग बाजार होगा 22,950 करोड़ का
पर्यावरण के प्रति बढ़ती सजगता के कारण भविष्य में हर चीज की पैकेजिंग पर्यावरण अनुकूल होगी। लोग अब धीरे-धीरे प्लास्टिक थैलियों का इस्तमाल कम कर रहे हैं और दुकानदारों, फ ल एवं सब्जी विक्रेताओं आदि के जरिए पेपर बैग के उपयोग को प्रोत्साहित करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में इस तरफ उपभोक्ताओं का झुकाव बढऩे से मौजूदा 14,000 करोड़ रुपए का घरेलू पैकेजिंग बाजार वर्ष 2015 तक बढ़कर 22,950 करोड़ रुपए का हो जाएगा। इसी अनुपात में इस क्षेत्र में नौकरियां भी बढ़ेंगी। औद्योगिक एवं वाणिज्यिक संगठन एसोचैम के एक अध्ययन में यह बात सामने आयी है।
दुनिया की खास जरूरत

न केवल भारत में बल्कि समूची दुनिया में आज उत्पादों की पैकेजिंग मार्केटिंग के लिए जरूरी हो गई है। यही वजह है कि पैकेजिंग एक्सपट्र्स सभी इंडस्ट्री के लिए एक जरूरत बन गए हैं। पैकेजिंग से उत्पादों के संग्रहण और इस्तेमाल में काफी सुविधा होती है।
व्यक्तिगत गुण

पैकेजिंग के क्षेत्र में कॅरियर बनाने के लिए व्यक्ति को टेक्निकल होने के साथ ही सृजनात्मक क्षमता वाला होना चाहिए। लिहाजा, जिसमें तकनीकी और क्रिएटिविटी के गुण हों वे यहां कॅरियर बना सकते हैं।
पाठ्यक्रम

पैकेजिंग से संबंधित कई पाठ््यक्रम देश में उपलब्ध हैं। इसमें मुख्य हैं- सर्टिफिकेट,डिप्लोमा और बी टेक कोर्स।
शैक्षणिक योग्यता

साइंस अथवा इंजीनियरिंग की बैकग्राउंड होना जरूरी है। बीटेक कोर्स वही कर सकते हैं, जिन्होंने १२वीं मैथ्स से की हो। पीजी कोर्स में प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी, फार्मेंसी, फूड टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग आदि के छात्र दाखिला ले सकते हैं। सिर्फ सर्टिफिकेट कोर्स ही ऐसा है, जिसमें किसी भी स्ट्रीम के विद्यार्थियों का एडमिशन हो सकता है।
अच्छे हैं अवसर
खाद्य पदार्थों से लेकर विभिन्न उत्पादों की निर्माता कंपनियां अपने उत्पाद को डिब्बे या पैकेट में बंद करके बाजार में उतारती है। इसके अलावा कई ऐसी कंपनियां भी हैं, जो दूसरी निर्माता कंपनियां के लिए पैकेजिंग का काम करती है।
प्रमुख संस्थान
पैकेजिंग तकनीक में शिक्षा प्रदान करने वाले देश में तमाम संस्थान हैं लेकिन भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के अधीन स्थापित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैकेजिंग की अलग ही साख है। यहां प्रवेश लेने वाले छात्रों का अब तक का शत प्रतिशत प्लेसमेंट का रिकार्ड रहा है।
अन्य संस्थान हैं
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैकेजिंग, मुंबई, नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और हैदराबाद। एसआरईईएस स्कूल ऑफ पैकेजिंग टेक्नोलॉजी सेंटर, नवी मुंबई, गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, हिसार, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र।


क्षमतावान बनें, अति क्षमतावान बनने का प्रयास न करे

जब मेंढक ने अति क्षमतावान बनने की सजा पाई
एक तालाब में बड़े-छोटे मेंढकों का एक परिवार रहता था। सभी स्नेहपूर्वक रहते थे और परस्पर एक-दूसरे का ध्यान रखते थे। एक दिन तालाब के किनारे की घास खाने एक बैल आया। वह बड़े मजे से घास चर रहा था और उसे तालाब के पानी से बड़ी शीतलता भी महसूस हो रही थी। उसी समय पानी में से एक छोटा मेंढक बाहर निकला।

उसने जीवन में पहली बार बैल देखा था। वह बैल का विशाल शरीर देखकर डर गया और तत्काल पानी में कूद गया। फिर वह एक बड़े मेंढक के पास पहुंचा और उसे बताया कि मैंने तालाब के बाहर एक भयंकर, पहाड़ जैसा दानव देखा है, जिसके सींग हैं, एक लंबी पूंछ है और दो भागों में बंटे हुए खुर हैं। एक दूसरे मेंढक ने जानकारी दी कि वह दानव नहीं बैल है।

किंतु एक बूढ़े मेंढक ने कभी बैल नहीं देखा था और वह घमंडी भी था। वह बोला - वो इतना बड़ा भी नहीं होगा, बस मुझसे थोड़ा ही ऊंचा होगा। जबकि मैं तो अपने आपको आसानी से बढ़ा भी सकता हूं। ऐसा कहकर उसने स्वयं को फुलाना शुरू कर दिया ताकि वह बड़ा हो जाए। छोटा मेंढक उसे देखकर बोला कि बैल तो उससे काफी बड़ा है।

बूढ़ा मेंढक यह सोचकर कि बैल उसके जितना बड़ा नहीं है, लगातार स्वयं को फुलाता गया। जब उसने क्षमता से अधिक स्वयं को फुलाया तो उसका शरीर फट गया और उसकी मृत्यु हो गई। सार यह है कि निरंतर सक्रिय रहकर अपनी क्षमता को बढ़ाना अच्छा है, किंतु उसके अंतिम बिंदु से ऊपर जाने का प्रयास करना संकट को आमंत्रण देना है। इसलिए क्षमतावान बनें, किंतु अति क्षमतावान बनने का प्रयास न करें।

आने वाली हैं १० करोड़ नौकरियां

मुल्क एक मजबूत अर्थव्यवस्था खड़ी करने जा रहा है। इसके लिए उसे एक-दो नहीं पूरे २० करोड़ अतिरिक्त हाथों की जरूरत पड़ेगी। हाल ही में मंत्रियों के समूह ने जिस राष्ट्रीय विनिर्माण नीति (नेशनल मेन्यूफेक्चिरिंग पॉलिसी) के मसौदे को मंजूरी दी है उसपर काम होना शुरू होगा तो १० करोड़ नौकरियां पैदा होंगी। यह दावा उद्योग जगत के एक प्रमुख संगठन सीआईआई ने रविवार को किया। यही नहीं, बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए २० से २५ फीसदी अस्थायी नौकरियां पैदा होंगी। यह दावा रोजगार दिलाने के काम से जुड़ी कंपनी टीम लीड सर्विसेज का है। अगर यह दोनों दावे खरे उतरे तो नौकरी, झक मारकर झोली में आएगी।

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने रविवार को कहा, च्मंत्रियों के समूह द्वारा नीति को मंजूरी दिए जाने से उद्योग जगत को आशा बंधी है कि २०२५ तक देश के सकल घरेलू उत्पादन में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान बढ़कर २५ फीसदी तक हो जाएगा।ज् सीआईआई के मुताबिक, यदि अर्थव्यवस्था में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान २५ फीसदी तक बढ़ जाए, तो यह ३० फीसदी लोगों को रोजगार देने लगेगा। नीति में राष्ट्रीय निवेश और विनिर्माण क्षेत्र बनाने की बात है।

अब बात करते हैं अस्थायी नौकरियों की, जिसे भारत में ठेके पर नौकरी करना कहा जाता है। टीम लीड सर्विसेज के मुताबिक, इस साल बैंकिंग, एफएमसीजी, दूरसंचार, निर्माण, बुनियादी ढांचा और फार्मा क्षेत्रों में इस तरह की नौकरियों में २० से २५ प्रतिशत का इजाफा होगा। कंपनी की सह संस्थापक और उपाध्यक्ष रितुपर्णा चक्रवर्ती ने कहा, च्अर्थव्यवस्था में तेजी के साथ बैंकिंग, एफएमसीजी जैसे महत्वूपर्ण क्षेत्र तेजी से बढ़ रहे हैं। वे परियोजना या व्यस्त सीजन के दौरान अस्थायी नियुक्तियां करते हैं।ज्

क्षेत्र, कामकाज और स्थान के हिसाब से इन कर्मियों को ८,००० से २०,००० रुपये तक का मासिक वेतन मिलता है। चक्रवर्ती की बात से सहमति जताते हुए अस्थायी कर्मचारियों को मुहैया कराने वाली फर्म जीआई स्टाफिंग सर्विसेज की क्षेत्रीय प्रमुख कुमकुम अग्रवाल ने कहा कि इस वर्ष त्योहारी सीजन में अस्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति में २५ से ३० प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

रविवार, 16 अक्तूबर 2011

ई-पद्धति से मिलेगी निशुल्क उच्च शिक्षा

उच्च शिक्षा के प्रसार को ध्यान में रखते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कक्षा में पढ़ाई की पारंपरिक पद्धति से इतर ई-माध्यम से उच्च शिक्षा प्रदान करने की कवायद शुरू की है, जिसमें वेबकास्टिंग के माध्यम से विशेषज्ञ शिक्षकों के लेक्चर छात्रों तक पहुंचाए जाएंगे। मंत्रालय ने इस विषय पर कुछ दिन पहले देश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति और केंद्रीय विश्वविद्यालय के निदेशकों को पत्र लिखा था। मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव एनके सिन्हा ने कहा कि देश के सभी संस्थाओं में शिक्षा में गुणवत्ता सुनिश्चित किया जाना जरूरी है। इन ई-शैक्षणिक सामग्रियों को इंटरनेट के माध्यम से पहुंचाया जाएगा और कहीं भी किसी भी समय उपलब्ध होने के स्वरूप में होगा। इस संदर्भ में मंत्रालय शिक्षकों के लेक्चर का उच्च गुणवत्ता को वीडियो बैंक तैयार कर रहा है। इसमें विशेषज्ञ शिक्षकों के लेक्चर वेबकास्टिंग के जरिए छात्रों तक पहुंचाए जाएंगे।

Rejected in India, Students Turn to US Universities

New Delhi: Moulshri Mohan was an excellent student at one of the top private high schools in New Delhi. When she applied to colleges, she received scholarship offers of $20,000 from Dartmouth and $15,000 from Smith. Her pile of acceptance letters would have made any ambitious teenager smile: Cornell, Bryn Mawr, Duke, Wesleyan, Barnard and the University of Virginia.

But because of her 93.5 percent cumulative score on her final high school examinations, which are the sole criteria for admission to most colleges here, Ms. Mohan was rejected by the top colleges at Delhi University.

"Daughter now enrolled at Dartmouth!" her mother, Madhavi Chandra, wrote, updating her Facebook page. "Strange swings this admission season has shown us. Can't get into DU, can make it to the Ivies."

Ms. Mohan, 18, is now one of a surging number of Indian students attending American colleges and universities, as competition in India has grown formidable, even for the best students. With about half of India's 1.2 billion people under the age of 25, and with the ranks of the middle class swelling, the country's handfuls of highly selectiveuniversities are overwhelmed.

Another student, Ms. Sachdeva, 19, graduated from Delhi Public School in 2010, with a 94.5 percent exam score, was rejected at St. Stephen's, one of the top colleges at Delhi University due to high cutoff marks. She decided to take a year off and work as an intern at a nonprofit group affiliated with the World Health Organization, while applying to Americanuniversities. But for some students, it is not merely the competition that drives them to apply to study in the United States. It is also the greater intellectual freedom of an American liberal arts education. "If somebody majors in English here, it's like, 'O.K., she'll get married,' " said Ms. Sachdeva, who is attendingthe University of Chicago this fall and is planning to major in economics with a minor in creative writing.

This summer, Delhi University issued cutoff scores at its top colleges that reached a near-impossible 100 percent in some cases. The Indian Institutes of Technology, which are spread across the country, have an acceptance rate of less than 2 percent ? and that is only from a pool of roughly 500,000 who qualify to take the entrance exam, a feat that requires two years of specialized coaching after school.

"The problem is clear," said Kapil Sibal, the government minister overseeing education in India, who studied law at Harvard. "There is a demand and supply issue. You don't have enough quality institutions, and there are enough quality young people who want to go to only quality institutions."

American universities and colleges have been more than happy to pick up the slack. Faced with shrinking returns from endowment funds, a decline in the number of high school graduates in the United States and growing economic hardship among American families, they have stepped up their efforts to woo Indian students thousands of miles away.

Representatives from many of the Ivy League institutions have begun making trips to India to recruit students and explore partnerships with Indian schools. Some have set up offices in India, partly aimed at attracting a wider base of students. The State Department held a United States-India higher education summit meeting on Thursday at Georgetown University to promote the partnership between the countries.

Indians are now the second-largest foreign student population in America, after the Chinese, with almost 105,000 students in the United States in the 2009-10 academic year, the last for which comprehensive figures were available. Student visa applications from India increased 20 percent in the past year, according to the American Embassy.

Now, not only wealthy Indian families send their children to the best American schools but the idea is beginning to spread to middle-class families, for whom Delhi University has always been the best option.
THE NEW YORK TIMES

ऎसे मिलेगी आपको अच्छी जॉब

डिग्री या डिप्लोमा करने के बाद हर किसी की चाहत जल्द से जल्द जॉब हासिल करने की होती हैए लेकिन जॉब सिर्फ कुछ स्टूडेंट्स को ही मिल पाती है। बेहतर होगा कि आप जॉब हासिल कर चुके लोगों से जलने की बजाय अपने में सुधार लाने की कोशिश करें। दरअसलए सभी जॉब एस्पायरेंट जाने.अनजाने में कुछ ऎसी गलतियां करते हैंए जिस वजह से वे जॉब पाने वालों की लिस्ट में शामिल नहीं हो पाते। आइए जानते हैं कि जल्द जॉब पाने के लिए किन बातों का ख्याल रखना चाहिए।
ऑप्शन न रखें ओपन
जॉब चाहने वाले को अक्सर अपने सभी ऑप्शन रखने की सलाह दी जाती हैए लेकिन अगर आप जल्द जॉब पाना चाहते हैंए तो आपको एक पोजिशन पर फोकस करना होगा। एक्सर्पट्स का मानना है कि जो कैंडिडेट एक ही कंपनी में कई पोजिशंस के लिए अप्लाई करते हैंए उनमें किसी के लिए भी काबिलियत नहीं होती। यही वजह है कि रिक्रूटमेंट मैनेजर फोकस्ड कैंडिडेट का इंतजार करते रहते हैं।
भेजें थैंक्यू नोट
इंटरव्यू खत्म होने के बाद इंटरव्यूअरर को थैंक्यू कहना एक ृॉलिटी है। हालांकि कई लोग यह फॉर्मेलिटी निभाना भी भूल जाते हैं। लेकिन अगर आप अपनी अहमियत को दर्शाता चाहते हैंए तो आपको इंटरव्यूअर को लिखित में थैंक्यू नोट भेजना चाहिए। इससे आपका इम्प्रेशन बेहतर होगा। ध्यान रहे कि 6 से 8 लाइन का थैंक्यू नोट बेहतर होता है।
अप्रोच सोच.समझकर
कई बार इंटरव्यू के दौरान कैंडिडेट रेफरेंस के तौर पर ऎसे लोगों का जित् कर बैठते हैंए जिनका नाम आने पर उन्हें फायदे के बजाय नुकसान उठाना प़डता है। बेहतर होगा कि आप रेफरेंस देने से पहले इंटरव्यूअर के साथ उस इंसान के रिलेशन चेक कर लें। एक इंटरव्यूअर का कहना है कि ऑफिस के कलीग की बात अलग हैए वरना किसी फ्रेंड की अप्रोच को हम इतना भाव नहीं देते।
मॉडर्न इंटरव्यू
आजकल इंटरव्यूअर काफी स्मार्ट हो गए हैं। हो सकता है कि वह इंटरव्यू पर आपको लंच के लिए ले जाएं। हालांकि उनका इंटरव्यू पूरे लंच के दौरान चालू रहता है। इस दौरानए वे इस पर नजर रखते हैं कि आप रेस्तरां स्टाफ के साथ किस तरह डील करते हैं। अगर आप उनके साथ गुस्सा करते हैंए तो मैनेजर समझ जाएगा कि आप अपने कलीग्स को डील नहीं कर पाओगे।
ऑर्गनाइज्ड हों आप
अगर आप इंटरव्यू के दौरान बदहाल हालत में पहुंचते हैं या फिर आपका कोई डॉक्यूमेंट मांगने पर उसे खोजने में आपको काफी वक्त लग जाता हैए तो निश्चित तौर पर आपके अनऑर्गनाइज्ड का टैग लग जाएगा। वहींए अगर आप अपने सारे सामान को व्यवस्थित तरीके से लेकर इंटरव्यू के लिए पहुंचेंगेए तो इंटरव्यूअर आपसे इम्प्रेस हुए बिना नहीं रहेगा।
एटिट्यूड प्रॉब्लम
बेहतर होगा कि इंटरव्यू के लिए जाने से पहले आप अपना सेलफोन का स्विच ऑफ करके जाएं। बावजूद इसके अगर आप अपना सेल फोन स्विच ऑफ करना भूल गए हैंए तो घबराएं नहीं और बीच में कोई कॉल आने पर पॉजिटिव अंदाज में बात करें। ध्यान रहे कि अगर आप फोन पर एटिट्यूड दिखाएंगेए तो इसका सीधा असर आपके सिलेक्शन पर पडेगा।
प्रफेशनल नहीं पर्सनल कुछ जॉब चाहने वाले अपना रेग्युलर ई.मेल आईडी रोजाना इस्तेमाल नहीं करतेए इसलिए वे रिज्यूमे में अपना प्रफेशनल आईडी लिख देते हैं। ध्यान रहे कि इससे आपका इफेक्ट नेगेटिव प़डता है कि आप अपने प्रफेशनल आईडी को किसी दूसरी जगह जॉब पाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। साथ हीए आप लापरवाह भी होए जो रोजाना अपना मेल अकाउंट चेक नहीं करते। -दइह्यचय
नहीं मतलब आउट नहीं
अगर इंटरव्यूअर ने आपको ना बोल दियाए तो इसका मतलब यह कतई नहीं है कि उसने आपको हमेशा के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया। दरअसलए उस ना का मतलब सिर्फ उस पोजिशन के लिए ना होता है। अगर आप हिम्मत बनाए रखेंए तो आप कंपनी की दूसरी पोजिशंस के लिए अप्लाई करके जॉब हासिल कर सकते हैं।
फॉलो विद केयर
अपने रिज्यूमे या इंटरव्यू को फॉलो करना बेहद जरूरी है। हालांकि इस दौरान आपको यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि अगर आपने बार.बार फोनए एसएमएस या मेल करके इंटरव्यूअर को परेशान कियाए तो वह नाराज भी हो सकता है। वहींए हल्के.फुल्के अंदाज में अपने रिज्यूमे के बारे में पूछकर आप इंटरव्यूअर के माइंड में बने रह सकते हैं।
साइबर वर्ल्ड में आप
क्या आपने कभी इंटरनेट पर अपने आपको सर्च किया है! अगर नहींए तो इंटरव्यू में जाने से पहले जरूर ऎसा कर लें। हो सकता है कि इंटरव्यूअर आपसे यही पूछ बैठे कि इंटरनेट पर आपको सर्च करने पर क्या डिटेल्स आती हैं। लेकिन अगर आपने कभी ऎसा नहीं किया होगाए तो फिर आप उन्हें कुछ नहीं बता पाएंगे।

कहां है बेरोजगारी! दस लाख सरकारी पद है खाली

आर्थिक सुधारों के आलोचकों की शिकायत रही है कि पांच साल तक तेज ग्रोथ के बावजूद पर्याप्त संख्या में नई नौकरियों के अवसर पैदा नहीं हुए हैंए लेकिन भारत में रोजगारविहीन ग्रोथ के पीछे चौंकाने वाली कहानी है। भारत में सबसे ज्यादा प्रतिष्ठित माने जाने वाली केंद्र सरकार की नौकरियों में 10 लाख से ज्यादा पद खाली हैं।
इनमें पुलिस और रक्षा बल की रिक्तियां भी शामिल हैं। इनमें करीब 7ए00ए000 पद खाली पडे हुए हैं। रोजगार सुरक्षाए विश्वसनीयता व मुदास्फीति से जुडी सैलरी और पेंशन स्कीम के चलते इन नौकरियों को बेहतर माना जाता है। डॉक्टरए वैज्ञानिक और अर्थशास्त्री जैसे पेशेवरों के कई पद खाली हैं। अगर इन्हें भरा नहीं गया तो निकट भविष्य में भारत की ग्रोथ संभावनाओं को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। एनएसएसओ के हालिया सर्वे के मुताबिकए 2004.05 और 2009.10 के बीच भारत के वर्कफोर्स ;आबादी में काम करने वाले लोगों की संख्याद्ध में सिर्फ 20 लाख बढोतरी हुई है। इससे कहा जा रहा है कि ग्रोथ के मुताबिक जॉब मार्केट का विस्तार नहीं हुआ है। अगर सरकार ने खाली पडे इन 10 लाख जगहों को भरा होता तो यह आंकडा 50 फीसदी बेहतर दिखता। सही जॉब के लिए सही व्यक्ति पाने में नाकाम रहने की एक वजह कौशल की कमी भी है।
नौकरी करने वाले योग्य लोगों की कमी के चलते भारत के सबसे बडे एंप्लॉयर यानी सरकार मानव संसाधन संकट की तरफ बढ रही है। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि ज्यादातर मंत्रालयों और विभागों में जरूरत से कम लोग हैं। नियुक्ति की कोशिशों के बावजूद खाली जगहों को भरने की रफ्तार पर्याप्त नहीं है। स्पेशलाइज्ड नॉलेज वाले लोग कम हैं और निजी क्षेत्र से ज्यादा सैलरी की पेशकश की जाती है। उन्होंने कहा कि हमने जरूरत पूरी करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर निजी क्षेत्र के लोगों की भर्ती करने पर ध्यान दिया हैए लेकिन यह भी बहुत मुश्किल है। भारत में उच्च शिक्षा की व्यवस्था हांफ रही है। यह उम्मीदवारों की जरूरतें पूरी नहीं कर पा रही है। शिक्षा का स्तर गिर रहा है। वहींए सरकार उन नौकरियों के लिए ऊंची योग्यता और गैर.जरूरी शतेंü थोप देती हैए जिनके लिए ज्यादा कौशल की जरूरत नहीं है। वरीयतात्म को लेकर सख्ती है और निजी क्षेत्र के मुकाबले सरकारी नियुक्ति के नियमों पर लालफीताशाही हावी है।
1970 और 1980 के दशकों के उलट निजी क्षेत्र बहुत बडा हो चुका है। ग्लोबल जॉब मार्केट नौकरी के लिए लोगों को आकर्षित करने में सरकार से काफी आगे है। हाल में खाली पदों को भरने में सरकार के नाकाम रहने के बारे में संसद में पूछे जाने पर स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद और रक्षा मंत्री एके एंटनी ने लोगों को भर्ती करने में विफलता को इसका बडा कारण बताया। योजना आयोग के तहत आने वाले ऑफ इंस्टिट्यूट ऑफ एप्लायड मैनपावर रिसर्च के डायरेक्टर जनरल संतोष मेहरोत्रा का मानना है कि कुशल पेशेवरों के अभाव ने राष्ट्रीय संकट का रूप ले लिया है।

विनिर्माण के क्षेत्र में दस करोड नौकरियां

राष्ट्रीय विनिर्माण नीति से 10 करोड नौकरियों का सृजन होगा। इसी के साथ देश के सकल घरेलू उत्पादन में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान बढ़ेगा। भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा है कि मंत्रियों के समूह द्वारा विनिर्माण नीति को मंजूरी दिए जाने से उद्योग जगत को आशा बंधी है कि 2025 तक देश के सकल घरेलू उत्पादन में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान बढ़कर 25 फीसदी तक हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इसमें 10 करो़ड नौकरियों के सृजन और देश को विनिर्माण का पसंदीदा निवेश क्षेत्र बनाने का लक्ष्य रखा गया है। विनिर्माण क्षेत्र का अभी 15 फीसदी योगदान हैए जबकि चीन में यह 34 फीसदीए थाईलैंड में 40 फीसदी और दक्षिण कोरियाए पोलैंडए तुर्की और मलेशिया में यह 26 से 30 फीसदी तक है। देश में विनिर्माण क्षेत्र में अभी 12 फीसदी लोगों को रोजगार मिल रहा है जो चीन और जर्मनी के क्रमशरू 28 फीसदी और 22 फीसदी से कम है। उद्योग परिसंघ के मुताबिक यदि विनिर्माण क्षेत्र का योगदान 25 फीसदी तक बढ़ जाएए तो यह 30 फीसदी लोगों को रोजगार देने लगेगा। सीआईआई के मुताबिक प्रस्तावित विनिर्माण नीति में राष्ट्रीय निवेश और विनिर्माण क्षेत्र बनाने की बात की गई है- जो देश में कारोबार करने के तौर तरीके को पूरी तरह से बदल देगा।

शनिवार, 15 अक्तूबर 2011

आईआईएसटी में दाखिला, नौकरी की गारंटी

देश के उत्कृष्ट शैक्षणिक संस्थान


भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिक ी संस्थान (आईआईएसटी) भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के अधीन गठित एक स्वायत्तशासी संस्थान है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली ने इसे डीम्ड (मानित) विश्वविद्यालय की मान्यता दी है।  आईआईएसटी एशिया का पहला संस्थान है, जो संस्थान अंतरिक्ष विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी से जुड़ी शिक्षा में संल्गन्न है। यहां अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिक ी में स्नातक पूर्व से लेकर डॉक्टोरल स्तर के पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। इसकी साख आईआईटी संस्थानों की ही तरह है। केरल के प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण बलियमला में स्थित यह संस्थान  अंतरिक्ष शिक्षा में विश्वस्तरीयकेंद्र बनने जा रहा है।
पाठ्यक्रम के बारे में
ंआईआईएसटी में संचालित अंतरिक्ष (एयरोस्पेस) इंजीनियरिंग, एवियानिकी तथा भौतिकी विज्ञान का बीटेक कोर्स अपने आपमें अनूठा कोर्स है। यहां दाखिला लेने वाले सभी विद्यार्थियों को अध्ययन का खर्च सरकार वहन करती है। यानि खानपान, आवास, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा की पूरी लागत (फीस) मुफ्त।
कोर्स पूरा होते ही नौकरी
ंआईआईएसटी के बीटेक पाठ्यक्रम की सबसे बड़ी खासियत यह है कि निर्धारित शैक्षिक मानदंडों के साथ कोर्स को सफलतापूर्वक पूरा करने पर छात्रों को नौकरी के लिए कहीं भटकना नहीं पड़ता। सभी को इसरो में वैज्ञानिक अथवा इंजीनियर के रूप में तुरंत नौकरी दे दी जाती है।
आईआईएसटी प्रवेश परीक्षा
अगले शैक्षणिक सत्र २०१२-१३ में बीटेक पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा(आईसैट) शनिवार २१ अप्रैल २०१२ को ९.०० बजे से १२.०० तक ली जाएगी। इसमें बैठने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसके लिए पंजीकरण एक नवंबर २०११ से शुरू होगा। देशभर में कुल २२ परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। केंद्र हैं- भोपाल,भुवनेश्वर,कोषिक्कोड़,चंडीगढ़,चेन्नै,रांची, देहरादून, दिसपुर ,हैदराबाद,जयपुर,कोलकाता,लखनऊ,मुंबई,नागपुर,पटना,पोर्टब्लेयर,तिरुवनंतपुरम,वाराणसी और विशाखापट्टनम को परीक्षा केंद्र बनाया गया है।
परीक्षा में बैठने की शर्तें और पैटर्न
आईसैट में बैठने के लिए उम्मीदवार का जन्म एक अक्टूबर १९८७ या इसके बाद होना चाहिए। एससी और एसटी के लिए एक अक्टूबर १९८२ की अर्हता रखी गई है। हाई स्कूल और इंटरमीडिएट(पीसीएम) ७० प्रतिशत अंक होने चाहिए। एससी,एसटी और पीडब्ल्यूडी के लिए यह सीमा ६० फीसद है। ओबीसी,एससी,एसटी और पीडब्ल्यूडी उम्मीदवारों को दाखिले में क्रमश: २७,१५,७.५ और ३ प्रतिशत में आरक्षण मिलता है। परीक्षा में भौतिकी,रसायन विज्ञान और गणित के ऑब्जेक्टिव टाइप के प्रश्र पूछे जाते हैं।
महत्वपूर्ण तारीखें
रजिस्ट्रेशन- ०१.११.२०११
अंतिम तिथि- ३१.१२.२०११
विलंब शुल्क के साथ- ०६.०१.२०१२
हॉल टिकट डाउनलोडिंग- ०२.०३.२०१२
आईसैट- २१.०४.२०१२
परीक्षा परिणाम- २३.०५.२०१२
बेवसाइट- http://www.iist.ac.in/
prospects in B.Tech Avionics
Avionics means electronics used in aerospace systems. The programme covers what is covered in typical Electronics and communications programmes and in addition, also provides exposure to control systems and computer systems used in aerospace systems. B.Tech Avionics degree will help students specialize in areas like power electronics, micro electronics, communication, control, computing systems etc.
prospects in  B.Tech Physical Sciences
B.Tech Physical Sciences is oriented towards application of basic sciences and mathematics in space technology. The programme lays a strong foundation in Physics, Chemistry, Mathematics and gives exposure to important applications of space technology such as remote sensing, astronomy and earth system sciences. B.Tech degree in Physical Science helps the students to specialize in areas like atmospheric and ocean sciences, solid earth science, astronomy and astrophysics, remote sensing and chemical systems.
prospects in B.Tech Aerospace Engineering
B.Tech in Aerospace Engineering programme is similar to programmes of the same title available in many reputed Institutions in India and abroad. The programme in IIST is oriented towards the needs of space technology, and has significant overlap with Mechanical Engineering including Mechanical Design and Manufacturing Science. B.Tech degree in Aerospace Engineering can equip them further to specialize in Flight Mechanics, Aerodynamics, Thermal and Propulsion, Structure and Design, and Manufacturing Science.

पढ़ने में फिसड्डी साबित हो रहे हैं अंग्रेज बच्चे

ऐसा जान पड़ता है कि ब्रिटेन के बच्चों का पठन कौशल लगातार बिगड़ रहा है और वे चीनी बच्चों की तुलना में करीब डेढ़ साल पीछे चल रहे हैं. आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओपीसीडी) के अध्ययन में खुलासा किया गया है कि ब्रिटेन के बच्चे पाठन के मामले में अपनी ही उम्र के चीनी बच्चे से डेढ़ साल और दक्षिण कोरिया एवं फिनलैंड के बच्चों से करीब साल भर पीछे चल रहे हैं. इस अध्ययन के निष्कर्ष के मुताबिक ब्रिटेन में १५ साल के बच्चे ऑस्ट्रेलिया, हांगकांग, कनाडा, न्यूजीलैंड, सिंगापुर और जापान के अपने समकक्षों की तुलना में छह माह पीछे हैं. डेली मेल की खबर के मुताबिक इस सर्वेक्षण में कहा गया है कि इंग्‍लैंड पिछले नौ साल से अंतरराष्ट्रीय मंच पर बुरी तरह पिछड़ गया है. पठन के मामले में वह सातवें से २५ वें स्थान पर, गणित के मामले में आठवें से २८ वें और विज्ञान के मामले में चौथे से १६ वें पायदान पर पहुंच गया है. इंग्‍लैंड को इस्तोनिया, आइसलैंड, डेनमार्क और स्लोवेनिया ने इस मोर्चे पर गहरी शिकस्त दी है. विज्ञान अध्ययन में चीन एक बार फिर शिखर पर है.ब्रिटेन के स्कूल शिक्षा मंत्री निक गिब्ब ने इसके लिए देश की शिक्षा पद्धति और समाज को जिम्मेदार ठहराया है.

आईआईएम छात्रों को एक करोड़ का पैकेज

अलग-अलग कंपनियों से तीन छात्रों को मिला ऑफर

अमरीका और ब्रिटेन समेत दुनिया भर में जहां नौकरी का संकट है और बेरोजगारी दर लगातार बढ़ रही है, वहीं कंपनियों को अब भी भारतीय छात्रों पर भरोसा है। हाल ही में भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) अहमदाबाद के तीन छात्रों को अलग-अलग कंपनियों ने एक करोड़ का पैकेज ऑफर किया है।
 आईआईएम अहमदबाद के मुतबिक पिछले दो महीनों के दौरान तीन छात्रों को एक करोड़ से ज्यादा का प्री प्लेसमेंट ऑफर (पीपीओ) दिया गया है। इसमें से दो ऑफर ड्यूश बैंक द्वारा अपने लंदन और सिंगापुर ऑफिस के लिए दिया गया है, जबकि तीसरा ऑफर हांगकांग के बार्कले का है। इन तीनों नौकरियों में सालाना पैकेज एक करोड़ से ज्यादा है। सूत्रों के मुताबिक इनमें से एक ऑफर तो कैंपस का अब तक का सबसे बड़ा ऑफर है। आईआईएम-अहमदाबाद प्लेसमेंट कमेटी के मुताबिक यह प्लेसमेंट ऐसे समय में मिला है जब कैंपस में सभी को डर था कि आर्थिक मंदी के उठते तूफान के कारण नौकरी पाने में दिक्कत होगी। हालांकि संस्थान ने अभी इन तीन छात्रों के नाम का खुलासा नहीं किया गया है।

50 से अधिक को प्लेसमेंट

 आईआईएम अहदाबाद के सेकेंड ईयर (पीजी प्रोग्राम इन मैनेजमेंट) के 380 छात्रों में से 50 से अधिक को प्लेसमेंट मिल गया है। इनमें से कई को रिटेल और इन्वेस्टमेंट बैंकिंग जैसे मोर्गन स्टैनली, गोल्डमैन सैस एंड नॉमुरा आदि से ऑफर मिला है। आईआईएम के मुताबिक साल 2009 में आर्थिक मंदी का दौर आईआईएम के लिए सबसे खराब था उस दौरान नौकरियों के लाले पड़ गए थे, लेकिन अब नजारा बदल चुका है कंपनियां जमकर हायरिंग कर रही हैं।

शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2011

आज की टॉप वेबसाइट

आज की टॉप वेबसाइट
shine.com
यदि आपने हाल-फिलहाल ही अपनी जॉब चेंज की है या करने की प्लानिंग कर रहे हैं तो सबसे ज्यादा जरूरी है कि जहां पर आप ज्वाइन करने जा रहे हैं, वहां पर आपका पहला इंप्रेशन कुछ स्पेशल रहे, लेकिन इसके लिए कुछ खास बातों का ख्याल रखना बेहद जरूरी है, जिसकी जानकारी आप इस वेबसाइट पर मौजूद करियर इंफो कॉलम  के च्न्यू जॉब : ७ टिप्स टू मेक यॉर फस्र्ट इंप्रेशनज् के जरिए जान सकते हैं। इस लेख में उन बातों को बहुत ही आसान शब्दों में समझाया गया है, जिनके जरिए आप वर्क-प्लेस पर अपनी इमेज को मजबूत बना सकते हैं।

गुरुवार, 13 अक्तूबर 2011

आज की टॉप वेबसाइट



यह साइट अपने बॉस को खुश रखने के तमाम फंडे समझाती है। यहां कई लेख हैं, जो विभिन्न तरह के बॉस से निपटने के गुर सिखाते हैं। यहां दिए एक लेख ‘10 इंप्लॉयी बिहेवियर बॉसेस हेट मोस्ट’ में कर्मियों की उन आदतों का वर्णन है, जिन्हें बॉस बिलकुल पसंद नहीं करते। इसमें पहले स्थान पर बीमारी के नाम पर ली जाने वाली छुट्टियां हैं। दूसरा कारण, काम और समय में सही संतुलन नहीं बिठा पाना और तीसरा बार-बार फेक्ट्स और नाम की गलती करने की आदत है। कर्मचारी का काम के समय मोबाइल फोन इस्तेमाल करना भी बॉस को पसंद नहीं आता। अन्य आदतों के बारे में जानने के लिए पढ़ें यह लेख।