मंगलवार, 8 मई 2012

रोजगार देने में भी एप्पल अव्वल

एप्पल कंपनी सिर्फ स्टीव जॉब्स के सपने और अपने उत्पाद की वजह से ही खास नहीं हैण् कंपनी का मानना है कि वह रोजगार मुहैया कराने के मामले में भी अन्य कंपनियों से आगे है गौरतलब है कि 1976 में एप्पल कंपनी की स्थापना हुई थी तब से लेकर अभी तक एप्पल कंप्यूटर 23430 नौकरियों का सृजन कर चुका है इतना ही नहीं एप्पल का दावा है कि उसकी मदद से या फिर अन्य तरीकों से अमेरिका में लगभग 514000 नौकरियां लोगों को मिली हैं इनमें से 304000 नौकरियां पुरानी अर्थव्यवस्था से जुड़ी थीं मसलन इंजीनियरिंग उत्पादन और परिवहन हालांकि बिजनेस विश्लेषकों का मानना है कि जहां एप्पल की वजह से नयी नौकरियों का सृजन हुआ है तो रोजगार के कुछ अवसर बंद भी हुए हैं उनके मुताबिक एप्पल के बाजार में आने से उसकी प्रतिद्वंद्वी कंपनियों को जो घाटा हुआए उस कारण उन्हें कई जगह खर्च में कटौती करनी पड़ी
इसका सीधा असर लोगों की नौकरियों पर पड़ा एप्पल के कारण मोटोरोला कोडक और हव्लेट्ट पाकर्ड जैसी कंपनियों को काफी नुकसान उठाना पड़ा इसके बावजूद एप्पल का कहना है कि उसने नयी नौकरियों के सृजन में भी अहम भूमिका निभायी है एक आंकड़े के मुताबिक एप्पल में फिलहाल कार्यरत कर्मचारियों की संख्या लगभग 70000 है आने वाले समय में यह संख्या बढ़ने की उम्मीद भी जतायी गयी है

रविवार, 1 अप्रैल 2012

हर साल 50 लाख जॉब्स आधी सीटें खाली

पर्यटन ने युवाओं के लिए काम के बेशुमार मौके पैदा कर दिए हैं। वर्ल्ड ट्रेवल एंड टूरिज्म काउंसिल के अनुसार 2018 तक भारत दुनिया का सबसे सक्रिय टूरिस्ट स्पॉट होगा। लेकिन देश के शिक्षण संस्थान पर्यटन मार्केट की इस हलचल से हैं बेखबर। ज्यादातर कोर्स हैं पुराने और अप्रासंगिक। इनमें करीब आधी सीटें खाली हैं। युवाओं में इस सेक्टर में रोजगार के प्रति जागरूकता की कमी भी है।
रोजगार में टूरिज्म ने आईटी को पीछे छोड़ा
नई नौकरियों की संभावनाओं के लिहाज से पर्यटन उद्योग ने आईटी सेक्टर को पीछे छोड़ दिया है। केंद्रीय पर्यटन मंत्री सुबोध कांत सहाय ने कहा है कि अगले पांच साल में पर्यटन के क्षेत्र में ढाई करोड़ नए रोजगार आएंगे। यानी एक साल में 50 लाख। देश के कुल रोजगार में 75 फीसदी योगदान देने वाला यह सेक्टर अब प्राचीन स्मारकों पहाड़ों या नेशनल पार्को की परंपरागत दुनिया से बाहर मेडिकल टूरिज्मए ईको टूरिज्म रूरल वॉटर और एडवेंचर के नए क्षेत्रों में पांव पसार रहा है। इन क्षेत्रों में हर तरह के दक्ष कामगारों की मांग बढ़ रही है। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 2004 के बाद पर्यटन में आई तेजी में इन्क्रेडिबल इंडिया जैसे कैम्पेन का भी बड़ा योगदान रहा। इस आकर्षक मार्केटिंग मुहिम के रचनाकारों में शामिल ष्ब्रांडिंग इंडिया के लेखक अमिताभ कांत बताते हैं ष्केरल 1990 के दशक के मध्य तक देश के पर्यटन नक्शे पर किसी हैसियत में नहीं था। सिर्फ मौलिक आइडियाज इन्फ्रास्ट्रक्चर और बेहतर मार्केटिंग के बूते आज देश में वह सबसे ऊपर है। बेकवॉटर और आयुर्वेद जैसे अछूते और नए क्षेत्रों में हमने काम किया। उद्यमियों ने रिसॉर्ट्स खोले। इन प्रयोगों ने केरल का नक्शा बदल दिया। इसका असर रोजगार पर पड़ा। विशेषज्ञों के मुताबिक सहाय ने जिस तरह के रोजगार का इशारा किया है उसमें ज्यादातर ऐसे हैं जिनमें बड़ी डिग्रियों की नहीं सीमित अवधि की ट्रेनिंग की जरूरत है। ये पर्यटकों के सीधे संपर्क में आने वाले कई तरह की सेवाओं के आसान अवसर हैं। इनमें ट्रांसपोर्ट फूड हेंडलूम हेंडीक्राट आदि शामिल हैं। दिल्ली में नौकरी डॉट कॉम के एक्जीक्यूटिव वायस चेयरमैन वी सुरेश का कहना है कि ज्यादातर जॉब्स असंगठित क्षेत्र के हैं। इस सेक्टर में डिग्रीधारियों के व्हाइट कॉलर जॉब्स सीमित हैं। लेकिन दोनों क्षेत्रों के मद्देनजर शिक्षण संस्थानों की तैयारी काफी पिछड़ी हुई है।
पर्यटन सेक्टर में सालाना वृद्धि 22 फीसदी की है। विस्तार नए नए क्षेत्रों में हो रहा है। उत्तराखंड में फाइव स्टार होटल्स की बजाए कॉटेज.इंडस्ट्री की जरूरत है जो स्थानीय लोगों को कमाई के बेशुमार अवसर देगी। उत्तरपूर्व में यह तरीका कामयाब भी रहा है। उत्तरप्रदेश में अस्सी फीसदी पर्यटकों का आकर्षण भले ही ताजमहल और वाराणसी हों लेकिन अब यहां के प्राचीन बौद्ध स्मारकों को अलग से उभारने की तैयारी है। चीन को छोड़कर एशिया के ज्यादातर देशों के मुकाबले भारत घरेलू व वैश्विक सैर.सपाटे का सबसे सक्रिय स्पॉट बन चुका है। 2008 में 50 हजार 730 करोड़ की कमाई 2010 में बढ़कर 64 हजार 889 करोड़ रुपए हो गई। 28 फीसदी का यह इजाफा आने वाले कल की बेहतर संभावनाओं का इशारा ही है।
देश में एक लाख सीटें ज्यादातर कोर्स पुराने
देश के 80 विश्वविद्यालयों और ढाई सौ कॉलेजों में पर्यटन से जुड़े दो सौ से ज्यादा कोर्सो में 20 हजार सीटें हैं। शिक्षा डॉट कॉम के मुताबिक निजी क्षेत्र के करीब एक हजार संस्थानों को मिलाकर सभी तरह के कोर्स व प्रोग्राम में सीटों की तादाद एक लाख से ऊपर है। अधिकतर कोर्स पुराने हैं। लखनऊ यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ टूरिज्म के निदेशक मनोज दीक्षित कहते हैं ष्हॉस्पिटैलिटी ट्रेवल व टूरिज्म के कोर्सो की आधी सीटें तो खाली रहती हैं क्योंकि कोर्स स्किल बेस नहीं हैं। सीटें खाली होने के बारे में शिक्षा डॉट कॉम के हेड प्रकाश संगम का कहना है कि स्टुडेंट्स भी इस सेक्टर के बारे में जागरूक नहीं है। लखनऊ इंस्टीट्यूट में ही तीन कोर्सो में से एक बंद है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टूरिज्म एंड ट्रेवल मैनेजमेंट आईआईटीटीएम के चार शहरों में स्थित केंद्रों की आरक्षित सीटें शायद ही कभी भरी हों।
इसके ग्वालियर केंद्र से इंटरनेशनल बिजनेस कोर्स में पास मेरठ मूल के पीयूष चौधरी को हाल ही में थामस कुक कंपनी ने दस लाख के पैकेज पर चुना। क्लियर ट्रिप और वुडलैंड जैसी कंपनियों ने भी चार लाख रुपए के शुरुआती पैकेज पर प्लेसमेंट किया। ऐसे उदाहरण गिने.चुने ही हैं। बेंगलुरू स्थित एचआर कंपनी ष्माफोई रेनस्टेड के अध्यक्ष स्टाफिंग आदित्यनारायण मिश्रा कहते हैं ष्डिग्री लेकर निकल रहे ज्यादातर युवाओं की दक्षता पर्यटन मार्केट की जरूरतों से मेल नहीं खाती। उनकी प्रेक्टिकल नॉलेज का स्तर बेहद खराब पाया गया है। वर्ल्ड ट्रेवल एंड टूरिज्म कौंसिल के अनुसार 2009 से 2018 के बीच भारत दुनिया का सर्वाधिक सक्रिय टूरिस्ट डेस्टिनेशन होगा। लेकिन पर्यटन उद्योग में हो रहे तेज बदलावों से शिक्षण संस्थानों का कोई कनेक्ट ही नहीं है। वे बाजार की जरूरतों के हिसाब से बेखबर ही हैं। ज्यादातर कोर्स पुराने हैं। काउंसलर डॉ अमृता दास का कहना है कि ऑनलाइन ट्रेवल पोर्टल और डेस्टीनेशन मैनेजमेंट जैसे क्षेत्र कोर्स से अछूते होना आश्चर्यजनक है। जबकि ऑनलाइन ट्रेवल पोर्टल इस समय सबसे ज्यादा रोजगार देने में सक्षम है।
शिक्षा डॉट कॉम के हेड प्रकाश संगम का मानना है कि टूरिज्म सेक्टर के प्रति स्टुडेंट्स में पर्याप्त जागरूकता भी नहीं है। यही वजह है कि उनका रुझान इस तरफ कम रहा। पर्यटन सेक्टर में इस हलचल के चलते प्रधानमंत्री की नेशनल स्किल डेवलमेंट स्कीम की तर्ज पर सरकारी व निजी शिक्षण संस्थान डिग्री व सर्टिफिकेट के साथ अब दक्षता पर जोर देने लगे हैं। खासतौर से फंट्र लाइन जॉब्स में। हुनर से रोजगार इसी कड़ी का हिस्सा है। इसमें आठवीं.दसवीं पास युवाओं को होटल.हॉस्पेटलिटी में मार्केट की जरूरतों के मुताबिक ट्रेनिंग दी जाने लगी हैं। ताकि देश में राष्ट्रीय.अंतरराष्ट्रीय महत्व के 75 पर्यटन स्थलों से जुड़े बाकी स्थानों पर भी दक्ष कामगारों का नेटवर्क कायम हो। लखनऊ विवि ने इस पर फोकस किया और दो साल पहले 850 नए गाइड तैयार किए। देश में अपने तरह की यह पहली कोशिश थी। आईआईटीटीएम के प्रोफेसर निमित चौधरी बताते हैंए ष्दिल्ली आगरा या जयपुर में दिक्कत नहीं है। लेकिन खजुराहो के पास ओरछा जाइए तो समस्याएं हैं। अब शिक्षण संस्थान इसी कमी को पूरा कर रहे हैं। इसलिए यह कहना ठीक नहीं है कि संस्थान बाजार की जरूरतों से बेखबर हैं।

अमेरिका में दाखिले का गोरखधंधा

फर्जी तरीके से अमेरिका में दाखिले को रोकने के लिए नई शर्तें लागू कर दी गई है कॉलेज प्रशासन इससे तो खुश हैं लेकिन विदेशी छात्रों के फर्जीवाड़े को लेकर उनकी आशंकाएं अभी खत्म नहीं हुई हैं नए नियम के तहत दाखिले के लिए अमेरिका में सबसे प्रचलित टेस्ट एसएटी और एसीटी में बैठने वालों को अपनी तस्वीर के साथ रजिस्टर कराना जरूरी कर दिया गया है टेस्ट लेने वाले अधिकारियों को इन तस्वीरों के साथ छात्रों के पहचान पत्र का मेल कराने के लिए कहा जाएगा यह बदलाव पिछले साल न्यूयॉर्क के लांग आईलैंड में हुए फर्जीवाड़े के बाद शुरू किया गया अभियोजकों के मुताबिक तब दर्जनों छात्रों ने अपनी जगह किसी और को बिठा दिया उसके बदले में 3600 डॉलर तक वसूले गए अब एसएटी और एसीटी के लिए छात्रों की तस्वीरें और टेस्ट के नतीजे उनके हाई स्कूल में भेजे जाएंगे जिससे एक बार फिर उनकी पहचान की पुष्टि हो जाए
नेशनल एसोसिएशन फॉर कॉलेज एडमिशन काउंसिल में सार्वजनिक नीति के निदेशक डेविड हॉकिन ने नए नियमों को किराए पर टेस्ट देने वालों को रोकने की दिशा में अहम करार दिया है हालांकि कॉलेजों में दाखिले की जिम्मेदारी संभालने वाले अधिकारी अभी  संतुष्ट नहीं हैं उन्हें आशंका है कि उनके यहां विदेशों से नकली एडमिशन फॉर्म भेजे जा रहे हैं एक्ट परीक्षा में गणित विज्ञान अंग्रेजी पढ़ने और व्याकरण की परीक्षा ली जाती है साथ ही लिखने का वैकल्पिक सेक्शन भी होता है वहीं सैट ;एसएटी में पाठन लेखन और गणित का टेस्ट होता है अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय शिक्षा संस्थान के मुताबिक वहां पढ़ने जाने वाले छात्रों की संख्या 2010.11 में बढ़ कर सवा सात लाख तक पहुंच गई है चीन और भारत से जाने वाले छात्रों की संख्या बहुत ज्यादा है हालांकि अब सऊदी अरब वियतनाम और ईरान के छात्र भी तेजी से बढ़ रहे हैं आवेदन देखने वाले अधिकारियों का दावा है कि उन्हें लगातार ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि नकली आवेदनों की संख्या बढ़ रही है इनमें ऐसी चिट्ठियां जिन्हें पढ़ कर लगता ही नहीं कि वह किसी छात्र ने लिखी होगी
चीन में चीटिंग
अमेरिकी कॉलेजों को विदेशी मार्केटों के बारे में सलाह देने वाली जिंस चाइना कंपनी ने 2010 की रिपोर्ट की पुष्टि करते हुए कहा है कि चीन में गलत काम पहले से हो रहा है आधे से ज्यादा एप्लीकेशन्स नकली हैं इनकी निष्पक्ष जांच के लिए अधिकारी टॉफेल का स्कोर देखते हैं इसके बाद सैट और एक्ट का स्कोर देखते है यह परीक्षाएं अफगानिस्तान से भूटान तक और किरगिस्तान से यमन तक कई देशों में होती हैं लेकिन अक्सर स्कोर छात्र के व्यक्तित्व से मेल नहीं खाते पेपर पर छात्र बहुत योग्य दिखता है लेकिन जब वह कैंपस आता है तो समझ में आता है कि वह इंग्लिश बोल भी नहीं सकता ण्टॉफेल आयोजित करने वाली एजुकेशनल टेस्टिंग सर्विस छात्रों से कोई फोटो आईडी नहीं मांगती और आगे भी उसका ऐसा करने का इरादा नहीं है हालांकि हर उस छात्र का फोटो लिया जाता है जो परीक्षा में बैठता है अगर कोई छात्र एक से ज्यादा बार परीक्षा में बैठता है और उसके प्रदर्शन में बड़ा सुधार होता है तो हर टेस्ट की तस्वीर निकाल कर एक दूसरे से मिलाई जाती है जिससे कि फर्जीवाड़ा रोका जा सके हालांकि फिलहाल ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे कि पैसे लेकर किसी और की जगह परीक्षा देने वाले छात्र को पहली बार में ही पकड़ा जा सक
मुश्किल है मामला
ओरेगॉन यूनिवर्सिटी में दाखिला निदेशक ब्रायन हेनली कहते हैं ष्यह ऐसा मामला है जिसस हममें से ज्यादातर लोग जूझ रहे हैं लेकिन मुझे अब तक कोई बेहतरीन तरीका नजर नहीं आया है हेनली का कहना है कि उन्होंने इस साल टॉफेल टेस्ट में छात्रों के नंबरों में बड़ा सुधार देखा है उनका कहना है ष्शायद यह चीन में भाषा की अच्छी ट्रेनिंग की वजह से हुई हो या फिर गलत तरीके से  यह पता नहीं है कि अमेरिकी छात्रों में कितने ऐसे हैं जो दूसरे छात्रों से अपनी परीक्षा दिलाते हैं पिछले साल एसएटी के लिए रजिस्टर होने वाले 20 लाख छात्रों में से केवल 170 को पहचान की दिक्कतों की वजह से परीक्षा में नहीं बैठने दिया गया इसके अलावा 3500 दूसरे टेस्ट के नतीजे भी रद्द किए गए क्योंकि कई छात्रों ने मोबाइल फोन इस्तेमाल कर लिया जिस पर पाबंदी है

शनिवार, 31 मार्च 2012

परिस्थितियां एक.सी नहीं रहतीं लेकिन आप रहें

आप चाहे नौकरी में हों या व्यवसाय में कई बार स्थितियां अनुकूल होने पर आप इतने उत्साहित हो जाते हैं कि उस उत्साह में ही आपसे कुछ गलत भी हो जाता है इसी तरह स्थितियां प्रतिकूल रहने पर आप इतने निराश हो जाते हैं कि आपको उसका नुकसान उठाना पड़ता है क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है असल में हमें अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रहता भावनाओं का आवेग दिमाग पर इस कदर हावी रहता है कि हम उसे प्रदर्शित किये बगैर रह नहीं पाते
परिस्थितियां कैसी भी हों हमें अपना रियेक्शन या अपनी भावनाएं हमेशा संतुलित रखने का प्रयास करना चाहिए एक संत के पास कोई युवक आया  उसने संत से शांति का रास्ता पूछा  संत ने उसको उसी शहर में किसी सेठ के पास भेज दिया सेठ ने युवक की पूरी बात सुनी उसने युवक को बैठने के लिए कहा और फ़िर इसके बाद बिना कोई बातचीत किये अपने काम में व्यस्त हो गया ण्कभी वह ग्राहकों से बातें करता कभी फ़ाइलें देखता कभी मुनीम को निर्देश देता और कभी फ़ोन पर सूचनाएं भेजता काफ़ी देर तक उसकी व्यस्तता देख युवक ने सोचा यह मुझे क्या बतायेगा इसे तो दम मारने की भी फ़ुर्सत नहीं है यह तो इतना व्यस्त है कि इसे अपने ही काम के लिए समय नहीं मिल पा रहा ह तो मुझे क्या समय देगा
अचानक सेठ का सबसे बड़ा मुनीम उसके पास हांफ़ता हुआ आया और सेठ को संबोधित कर कहा गजब हो गया अपना मालवाही जहाज समुद्री तूफ़ान में फ़ंस गया है उसके डूबने की आशंका है ण्सेठ बोला मुनीम जी! अधीर क्यों हो रहे हैं अनहोनी कुछ भी नहीं हुआ है जहाज डूबने की नियति थी तो उसे कोई कैसे बचा सकता है सेठ की बात सुन कर मुनीम कुछ आश्वस्त होकर चला गया दो घंटे बाद मुनीम फ़िर वापस आया और उत्साहित होकर बोला सेठ जी! तूफ़ान शांत हो गया हमारा जहाज डूबा नहीं सुरक्षित तट पर आ गया माल उतारते ही दोगुनी कीमत में बिक गया सेठ पहले की ही तरह शांत और गंभीर रहा फ़िर बोला मुनीम जी! इसमें इतनी खुशी की क्या बात है तूफ़ान अगर नहीं आता तो भी क्या आप इतने ही खुश होते व्यापार में घाटा और मुनाफ़ा होता ही रहता है हमें दोनों ही तरह की परिस्थितियों के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए पैसा आता है तो जा भी सकता है युवक साक्षी भाव से सेठ का प्रत्येक व्यवहार देख रहा था वह बोलाए सेठ साहब! मैं जाता हूं मुझे आपके जीवन से सही पाठ मिल गया अनुकूल और प्रतिकूल दोनों ही स्थितियों में संतुलन बनाये रखना बेहद जरूरी है ण्हमें भी इस आदत को अपनी डेली लाइफ़ में शामिल करना चाहिए ताकि सफ़लता की ओर बढ़नेवाला हमारा एक.एक कदम संतुलित हो
बात पते की.
अनुकूल और प्रतिकूल दोनों ही स्थितियों में संतुलन बनाये रखना बेहद जरूरी है
अनुकूल स्थितियों में अति उत्साहित न हों और प्रतिकूल स्थितियों में निराश न हों सफ़लता का यह आजमाया हुआ फ़ार्मूला है
इतना नुकसान है तो क्रोध क्यों करना

क्रोध में लोग अपना कितना नुकसान कर लेते है बावजूद इसके यह आदत नहीं जाती आपने गौर किया होगा कि जब आप ज्यादा बीमार होते हैं और डॉक्टर आपको परहेज के बारे में कहते हैं तो आपकी कोशिश यही होती है कि आप डॉक्टर की बातों को ज्यादा से ज्यादा फ़ॉलो करें ताकि आप जल्दी स्वस्थ हो सकें जल्दी स्वस्थ होने की इच्छा ही आपको प्रेरित करती है कि आप परहेज का खास ध्यान रखें लेकिन जब बात आपके कैरियर की आती है तो आप परहेज करना नहीं चाहते जबकि यह तय है कि क्रोध से परहेज कैरियर में सफ़लता के लिए बेहद जरूरी है जब तक क्रोध से परहेज नहीं करेंगे आपको अपने टारगेट तक पहुंचने में काफ़ी दिक्कतें आयेंगी बचपन से ही हम सब क्रोध से होनेवाले नुकसान के बारे में सुनते आये हैं लेकिन क्रोध की आदत छोड़ते नहीं सोचिए कि क्रोध के कारण कितना नुकसान उठाना पड़ा है आज तक ण्ण्फ़िर उसे जारी क्यों रखना

शूरसेन को क्रोध बहुत आता था और वह गुस्से में कई बार अनुचित फ़ैसले भी ले लेते थे जिससे भारी परेशानी होती थी हालांकि क्रोध उतरने पर वह माफ़ी भी मांग लेते थे एक दिन राजा अपने मंत्री से बातचीत कर रहे थे उसी समय मंत्री के मुंह से कुछ गलत बात निकल गयी जिसे सुन कर राजा का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया उन्होंने आव देखा न ताव तुरंत मंत्री को फ़ांसी की सजा सुना दी मंत्री को फ़ांसी के लिए ले जाया जाने लगा उससे आखिरी इच्छा पूछी गयी मंत्री राजा के क्रोध को समझता था वह बोला महाराज मैंने हाल ही में एक कला सीखी है मैं पशुओं की बोली समझ सकता हूं और उनसे बात भी कर सकता हूं मेरी बड़ी इच्छा है कि मैं वह कला आप को सिखाऊं राजा ने पूछा उस कला को सीखने में कितना समय लगेगा मंत्री बोला कम से कम तीन महीने मंत्री की आखिरी इच्छा का सम्मान कर राजा ने फ़ांसी को तीन माह के लिए टलवा दिया इतने दिनों में राजा का गुस्सा शांत हो गया वह समझ गये कि पशुओं की भाषावाली बात मंत्री ने जानबूझ कर गढ़ी है ताकि फ़ांसी को टाला जा सके उन्हें इस बात का भी अहसास हो गया कि बिना मतलब ही उन्होंने मंत्री को फ़ांसी की सजा सुना दी थी वह मंत्री से बोले मंत्री जी हमें माफ़ कर दीजिए उस दिन हम गुस्से में बहुत गलत फ़ैसला ले बैठे थे अगर उस दिन आप चतुराई से पशुओं से बात करनेवाली कला के बारे में नहीं कहते तो शायद हम आज पछता रहे होते मंत्री बोला मैंने तो अपनी चतुराई से जान बचा ली लेकिन उनका क्या जो आपके क्रोध का आये दिन शिकार होते हैं आप क्रोध पर नियंत्रण रखने का प्रयास करें इससे आप प्रजा के बीच अलोकप्रिय होते जा रहे हैं राजा ने उस दिन से गुस्से पर काबू करना शुरू कर दिया

 बात पते की
कैरियर में सफ़लता के लिए क्रोध से परहेज बेहद जरूरी है
गुस्सा करने की आदत के कारण कई अवसर हाथ से निकल जाते हैं
सोचिए कि अब तक गुस्सा कर आपने क्या हासिल कर लिया है और क्या खोया है खुद ही फ़ैसला करें कि आपको क्या करना चाहिए

शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2012

भारतीयों को नौकरी से रोकने के लिए नया फॉर्मूला

राष्ट्रपति बराक ओबामा ने आउटसोर्सिंग पर रोक लगाने के लिए विदेशी आय पर न्यूनतम कर लगाने का प्रस्ताव किया है। वहीं, उनकी योजना देश में रोजगार लाने वाली कंपनियों को प्रोत्साहन देने की भी है। उनके इस कदम से अमेरिकी कंपनियों को भारत जैसे देशों में नौकरियां देने से रोका जा सकेगा। ओबामा चुनावी साल को देखते हुए आउटसोर्सिंग के प्रति कड़ा रुख अपनाए हुए हैं। उन्होंने राष्ट्रपति पद पर दूसरे कार्यकाल के लिए चुने जाने के प्रयासों के तहत जो चुनावी रणनीति तैयार की है, यह उसी कर योजना का एक हिस्सा है। वैश्विक आर्थिक मंदी से जूझ रहे अमेरिका में बेरोजगारी दर ऊंची बनी हुई है। वित्त मंत्रालय का मानना है कि अमेरिका में कर प्रणाली कई ऐसे अवसर पैदा करती है कि कंपनियों को उत्पादन व लाभ विदेश ले जाने के लिए प्रोत्साहन मिले। यह देश में ही रोजगार पैदा करने और निवेश सृजन के लिए कम काम करती है। ओबामा का मानना है कि अगर कंपनियां विदेश में स्थानांतरित होने पर छूट का दावा करती हैं, तो उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इसके साथ ही वे कंपनियों का परिचालन वापस देश में लाने के लिए २० प्रतिशत आयकर ऋण का भी प्रस्ताव कर रहे हैं। ओबामा ने कहा है कि कॉरपोरेट कर प्रणाली अक्षम व पुरानी पड़ चुकी है। यह इतनी जटिल है कि छोटे उद्यमों को कई घंटे व अनगिनत डॉलर कर भुगतान पर ही खर्च करने पड़ते हैं।

रविवार, 19 फ़रवरी 2012

...तो क्या उतरने लगा एमबीए का बुखार?

देश में 65 बी स्कूल बंद होने के कागार पर
लगता है युवाओं के सिर पर चढ़ा एमबीए का बुखार अब उतरने लगा है। इसका पता इस बात से चलता है कि देश के विभिन्न भागों में 65 बिजनेस स्कूल बंद होने जा रहे हैं। मालूम है कि इस समय कुल बिजनेस स्कूलों की संख्या 3900 है जहां हर साल साढ़े तीन लाख युवा एमबीए की डिग्री लेते हैं। इनके बंद होने के पीछे मुख्य कारण आने वाले समय में एमबीए कोर्स की प्रासंगिकता खत्म होने की आशंका है।
खराब गुणवत्ता भी जिम्मेदार
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के प्रमुख एस एस मन्था ने बताया कि दूरदराज क्षेत्रों में मौजूद खराब गुणवत्ता वाले संस्थानों को छात्र ढूंढे नहीं मिल रहे हैं। संस्थानों की बहुतायत के कारण आपूर्ति मांग से ज्यादा हो गई है। पहले भी कई विशेषज्ञ दूरदराज के प्रबंधन संस्थानों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर चुके हैं। किसी तरह का प्लेसमेंट न होने के कारण छात्र भी अब इनसे दूरी बनाने लगे हैं। कंपनियां भी ऐसे संस्थानों में जाने से बचती हैं।
फिर भी अच्छा समय
अब कुछ ही प्रतिष्ठित कंपनियां कोर्स खत्म होने के कारण कैम्पस सिलेक्शन का विकल्प चुन रही है। एक समय था जब भारतीय छात्र एमबीए के लिए किसी भी संस्थान में दाखिला ले लेते थे, लेकिन अब कोर्स के अंत तक जॉब ऑफर न होने के कारण ऐसे फैसले मुफीद नहीं माने जा रहे हैं। हालांकि आईआईएम बी के निदेशक पकंज चन्द्र कहते हैं कि कैट की परीक्षा में हर साल कई लाख छात्र बैठते हैं लेकिन उनमसे केवल 3000 को ही आईआईएम में मौका मिलता है। एमबीए करने का यह सबसे अच्छा समय है।