रविवार, 1 अप्रैल 2012

अमेरिका में दाखिले का गोरखधंधा

फर्जी तरीके से अमेरिका में दाखिले को रोकने के लिए नई शर्तें लागू कर दी गई है कॉलेज प्रशासन इससे तो खुश हैं लेकिन विदेशी छात्रों के फर्जीवाड़े को लेकर उनकी आशंकाएं अभी खत्म नहीं हुई हैं नए नियम के तहत दाखिले के लिए अमेरिका में सबसे प्रचलित टेस्ट एसएटी और एसीटी में बैठने वालों को अपनी तस्वीर के साथ रजिस्टर कराना जरूरी कर दिया गया है टेस्ट लेने वाले अधिकारियों को इन तस्वीरों के साथ छात्रों के पहचान पत्र का मेल कराने के लिए कहा जाएगा यह बदलाव पिछले साल न्यूयॉर्क के लांग आईलैंड में हुए फर्जीवाड़े के बाद शुरू किया गया अभियोजकों के मुताबिक तब दर्जनों छात्रों ने अपनी जगह किसी और को बिठा दिया उसके बदले में 3600 डॉलर तक वसूले गए अब एसएटी और एसीटी के लिए छात्रों की तस्वीरें और टेस्ट के नतीजे उनके हाई स्कूल में भेजे जाएंगे जिससे एक बार फिर उनकी पहचान की पुष्टि हो जाए
नेशनल एसोसिएशन फॉर कॉलेज एडमिशन काउंसिल में सार्वजनिक नीति के निदेशक डेविड हॉकिन ने नए नियमों को किराए पर टेस्ट देने वालों को रोकने की दिशा में अहम करार दिया है हालांकि कॉलेजों में दाखिले की जिम्मेदारी संभालने वाले अधिकारी अभी  संतुष्ट नहीं हैं उन्हें आशंका है कि उनके यहां विदेशों से नकली एडमिशन फॉर्म भेजे जा रहे हैं एक्ट परीक्षा में गणित विज्ञान अंग्रेजी पढ़ने और व्याकरण की परीक्षा ली जाती है साथ ही लिखने का वैकल्पिक सेक्शन भी होता है वहीं सैट ;एसएटी में पाठन लेखन और गणित का टेस्ट होता है अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय शिक्षा संस्थान के मुताबिक वहां पढ़ने जाने वाले छात्रों की संख्या 2010.11 में बढ़ कर सवा सात लाख तक पहुंच गई है चीन और भारत से जाने वाले छात्रों की संख्या बहुत ज्यादा है हालांकि अब सऊदी अरब वियतनाम और ईरान के छात्र भी तेजी से बढ़ रहे हैं आवेदन देखने वाले अधिकारियों का दावा है कि उन्हें लगातार ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि नकली आवेदनों की संख्या बढ़ रही है इनमें ऐसी चिट्ठियां जिन्हें पढ़ कर लगता ही नहीं कि वह किसी छात्र ने लिखी होगी
चीन में चीटिंग
अमेरिकी कॉलेजों को विदेशी मार्केटों के बारे में सलाह देने वाली जिंस चाइना कंपनी ने 2010 की रिपोर्ट की पुष्टि करते हुए कहा है कि चीन में गलत काम पहले से हो रहा है आधे से ज्यादा एप्लीकेशन्स नकली हैं इनकी निष्पक्ष जांच के लिए अधिकारी टॉफेल का स्कोर देखते हैं इसके बाद सैट और एक्ट का स्कोर देखते है यह परीक्षाएं अफगानिस्तान से भूटान तक और किरगिस्तान से यमन तक कई देशों में होती हैं लेकिन अक्सर स्कोर छात्र के व्यक्तित्व से मेल नहीं खाते पेपर पर छात्र बहुत योग्य दिखता है लेकिन जब वह कैंपस आता है तो समझ में आता है कि वह इंग्लिश बोल भी नहीं सकता ण्टॉफेल आयोजित करने वाली एजुकेशनल टेस्टिंग सर्विस छात्रों से कोई फोटो आईडी नहीं मांगती और आगे भी उसका ऐसा करने का इरादा नहीं है हालांकि हर उस छात्र का फोटो लिया जाता है जो परीक्षा में बैठता है अगर कोई छात्र एक से ज्यादा बार परीक्षा में बैठता है और उसके प्रदर्शन में बड़ा सुधार होता है तो हर टेस्ट की तस्वीर निकाल कर एक दूसरे से मिलाई जाती है जिससे कि फर्जीवाड़ा रोका जा सके हालांकि फिलहाल ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे कि पैसे लेकर किसी और की जगह परीक्षा देने वाले छात्र को पहली बार में ही पकड़ा जा सक
मुश्किल है मामला
ओरेगॉन यूनिवर्सिटी में दाखिला निदेशक ब्रायन हेनली कहते हैं ष्यह ऐसा मामला है जिसस हममें से ज्यादातर लोग जूझ रहे हैं लेकिन मुझे अब तक कोई बेहतरीन तरीका नजर नहीं आया है हेनली का कहना है कि उन्होंने इस साल टॉफेल टेस्ट में छात्रों के नंबरों में बड़ा सुधार देखा है उनका कहना है ष्शायद यह चीन में भाषा की अच्छी ट्रेनिंग की वजह से हुई हो या फिर गलत तरीके से  यह पता नहीं है कि अमेरिकी छात्रों में कितने ऐसे हैं जो दूसरे छात्रों से अपनी परीक्षा दिलाते हैं पिछले साल एसएटी के लिए रजिस्टर होने वाले 20 लाख छात्रों में से केवल 170 को पहचान की दिक्कतों की वजह से परीक्षा में नहीं बैठने दिया गया इसके अलावा 3500 दूसरे टेस्ट के नतीजे भी रद्द किए गए क्योंकि कई छात्रों ने मोबाइल फोन इस्तेमाल कर लिया जिस पर पाबंदी है

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