देश में 65 बी स्कूल बंद होने के कागार पर
लगता है युवाओं के सिर पर चढ़ा एमबीए का बुखार अब उतरने लगा है। इसका पता इस बात से चलता है कि देश के विभिन्न भागों में 65 बिजनेस स्कूल बंद होने जा रहे हैं। मालूम है कि इस समय कुल बिजनेस स्कूलों की संख्या 3900 है जहां हर साल साढ़े तीन लाख युवा एमबीए की डिग्री लेते हैं। इनके बंद होने के पीछे मुख्य कारण आने वाले समय में एमबीए कोर्स की प्रासंगिकता खत्म होने की आशंका है।
खराब गुणवत्ता भी जिम्मेदार
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के प्रमुख एस एस मन्था ने बताया कि दूरदराज क्षेत्रों में मौजूद खराब गुणवत्ता वाले संस्थानों को छात्र ढूंढे नहीं मिल रहे हैं। संस्थानों की बहुतायत के कारण आपूर्ति मांग से ज्यादा हो गई है। पहले भी कई विशेषज्ञ दूरदराज के प्रबंधन संस्थानों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर चुके हैं। किसी तरह का प्लेसमेंट न होने के कारण छात्र भी अब इनसे दूरी बनाने लगे हैं। कंपनियां भी ऐसे संस्थानों में जाने से बचती हैं।
फिर भी अच्छा समय
अब कुछ ही प्रतिष्ठित कंपनियां कोर्स खत्म होने के कारण कैम्पस सिलेक्शन का विकल्प चुन रही है। एक समय था जब भारतीय छात्र एमबीए के लिए किसी भी संस्थान में दाखिला ले लेते थे, लेकिन अब कोर्स के अंत तक जॉब ऑफर न होने के कारण ऐसे फैसले मुफीद नहीं माने जा रहे हैं। हालांकि आईआईएम बी के निदेशक पकंज चन्द्र कहते हैं कि कैट की परीक्षा में हर साल कई लाख छात्र बैठते हैं लेकिन उनमसे केवल 3000 को ही आईआईएम में मौका मिलता है। एमबीए करने का यह सबसे अच्छा समय है।
लगता है युवाओं के सिर पर चढ़ा एमबीए का बुखार अब उतरने लगा है। इसका पता इस बात से चलता है कि देश के विभिन्न भागों में 65 बिजनेस स्कूल बंद होने जा रहे हैं। मालूम है कि इस समय कुल बिजनेस स्कूलों की संख्या 3900 है जहां हर साल साढ़े तीन लाख युवा एमबीए की डिग्री लेते हैं। इनके बंद होने के पीछे मुख्य कारण आने वाले समय में एमबीए कोर्स की प्रासंगिकता खत्म होने की आशंका है।
खराब गुणवत्ता भी जिम्मेदार
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के प्रमुख एस एस मन्था ने बताया कि दूरदराज क्षेत्रों में मौजूद खराब गुणवत्ता वाले संस्थानों को छात्र ढूंढे नहीं मिल रहे हैं। संस्थानों की बहुतायत के कारण आपूर्ति मांग से ज्यादा हो गई है। पहले भी कई विशेषज्ञ दूरदराज के प्रबंधन संस्थानों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर चुके हैं। किसी तरह का प्लेसमेंट न होने के कारण छात्र भी अब इनसे दूरी बनाने लगे हैं। कंपनियां भी ऐसे संस्थानों में जाने से बचती हैं।
फिर भी अच्छा समय
अब कुछ ही प्रतिष्ठित कंपनियां कोर्स खत्म होने के कारण कैम्पस सिलेक्शन का विकल्प चुन रही है। एक समय था जब भारतीय छात्र एमबीए के लिए किसी भी संस्थान में दाखिला ले लेते थे, लेकिन अब कोर्स के अंत तक जॉब ऑफर न होने के कारण ऐसे फैसले मुफीद नहीं माने जा रहे हैं। हालांकि आईआईएम बी के निदेशक पकंज चन्द्र कहते हैं कि कैट की परीक्षा में हर साल कई लाख छात्र बैठते हैं लेकिन उनमसे केवल 3000 को ही आईआईएम में मौका मिलता है। एमबीए करने का यह सबसे अच्छा समय है।
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