रविवार, 15 जनवरी 2012

ग्लोबल टेस्ट में नीचे से दूसरे नंबर पर रहे भारतीय छात्र

दुनिया भर में आईटी सेक्टर के भारतीय छात्र भले ही बेहतरीन प्रदर्शन करते रहे हों, लेकिन कई दूसरे स्तर पर भारत अब भी शिक्षा के मामले में काफी पिछड़ा है और इंटरनैशनल लेवल पर खुद को साबित करने के लिए इसके एजुकेशन सिस्टम में बेहतरी की काफी गुंजाइश है। एक इंटरनैशनल स्टडी में भारतीय छात्रों का प्रदर्शन पूरी तरह फ्लॉप रहा है।अंतरराष्ट्रीय स्तर की स्टडी में १५ साल की उम्र के भारतीय स्टूडेंट्स को दुनिया भर के इसी ऐज ग्रुप के स्टूडेंट्स के साथ रीडिंग, मैथ्स और साइंस संबंधी क्षमताओं से जुड़े असैसमेंट प्रोग्राम में बिठाया गया तो वह बुरी तरह पिछड़ गए। केवल किर्गीस्तान को हराते हुए भारतीय छात्र सेकंड लास्ट (नीचे से सेकंड) पॉजिशन पर आए।
ऑर्गनाइजेशन फॉर इकॉनमिक को-ऑपरेशन ऐंड डिवेलपमेंट ( ह्रश्वष्टष्ठ ) द्वारा हर साल आयोजित किए जाने वाले प्रोग्राम फॉर इंटरनैशनल स्टूडेंट असैसमेंट (क्कढ्ढस््र) में ७३ देशों से आए स्टूडेंट्स ने भाग लिया। यह असैसमेंट बच्चों एजुकेशन सिस्टम के मूल्यांकन के लिए किया जाता है। तकरीबन ५ लाख स्टूडेंट्स ने इसमें पार्टिसिपेट किया और यह सर्वे ढाई घंटे चला।
चीन के शंघाई प्रांत से भी स्टूडेंट्स ने पहली बार ही भाग लिया था लेकिन इस सर्वे में वे रीडिंग फील्ड में टॉप पर रहे। मैथमेटिक्स और साइंस में भी उन्होंने ही टॉप किया।विश्लेषण में बताया गया, 'शंघाई के एक चौथाई से भी ज्यादा स्टूडेंट्स ने मुश्किल समस्याओं को सुलझाने में अडवांस्ड मैथमेटिकल थिंकिंग स्किल्स का प्रयोग किया, ह्रश्वष्टष्ठ के सिर्फ ३ परसेंट की तुलना में।' ग्लोबल टॉपर से भारतीय छात्र २०० अंकों से पिछड़े।सरकार ने इस प्रोग्राम में शामिल होने के लिए तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश से विद्यार्थियों का चयन किया था ताकि वे शिक्षा और विकास की चमकदार तस्वीर पेश करके आएं लेकिन नतीजे कुछ और ही सामने आए।इन २ राज्यों की परफॉर्मेंस से जो नतीजे सामने आए, वह उदास करने वाले है। गणित में भारत ने मात्र किर्गीस्तान को हराया और दूसरे व तीसरे नंबर पर रहे। इंग्लिश टेक्स्ट पढ़ने में भी तमिलनाडु और हिमाचल के छात्र केवल किर्गीस्तान से बेहतर थे। उसमें भी इन राज्यों की लड़कियां लड़कों से काफी बेहतर थीं। सांइस के टेस्ट में हिमाचल के स्टूडेंट्स सबसे फिसड्डी साबित हुए और तमिलनाडु ने हल्का बेहतर प्रदर्शन किया और नीचे से तीसरे नबंर पर रहा। जाहिर है कि सरकार को अपने एजुकेशनल सिस्टम पर गौर करने की जरूरत है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें