रविवार, 22 जनवरी 2012

नौकरी बदलने की योजना बनाते कर्मचारी

उंचे वेतन की चाह में ज्यादातर कर्मचारी नौकरी बदलकर दूसरी कंपनी में जाने की योजना बना रहे हैं। वैश्विक रिक्रूटमेंट सेवा प्रदाता माई हाइरिंग क्लब ण्काम के सर्वेक्षण के अनुसारए इस साल प्रत्येक पांच में तीन कर्मचारी बेहतर वेतन की संभावना के मद्देनजर दूसरी कंपनी में जाने की तैयारी कर रहा है। वहीं पांच में से दो कर्मचारी ऐसे भी हैं जो मौजूदा वेतन पर ही नौकरी बदलने को तैयार हैं। सर्वेक्षण में कुल 12756 कर्मचारियों को शामिल किया गया। ज्यादातर कर्मचारी वेतन तथा मौजूदा नौकरी से अंसतुष्टी की वजह से दूसरी कंपनी में जाना चाहते हैं। प्रत्येक पांच में से चार कर्मचारी ऐसे थेए जो अपनी मौजूदा नौकरी से खुश नहीं थे। वहीं प्रत्येक चार में से एक कर्मचारी किसी नए उद्योग में नौकरी चाहता था। सर्वेक्षण में कहा गया है कि बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में कार्यरत 37 फीसद कर्मचारी इस उद्योग से बाहर नौकरी चाहते हैं। वहीं दूरसंचार और रीयल एस्टेट क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारी भी किसी नए उद्योग में नौकरी करना चाहते हैं। हालांकि आईटी एफएमसीजी और हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारी उद्योग के भीतर ही नौकरी बदलना चाहते हैं। सर्वेक्षण में कहा गया है कि आज की तारीख में बैंकिंग वित्तीय बीमा और एनबीएफसी क्षेत्र नौकरी चाहने वालों का पसंदीदा विकल्प नहीं रह गया है। दो तीन साल पहले यह स्थिति कि गैर आईटी पृष्ठभूमि वाला उम्मीदवार इन क्षेत्रों में नौकरी करना चाहता था। सर्वेक्षण में कहा गया है कि बाजार में नौकरी ढूंढने का चलन फिर से लौट आया है। अब कर्मचारियों को भरोसा है कि वे सिर्फ अपने रेफरेंस से नई नौकरी हासिल कर सकते हैं। प्रत्येक पांच में से चार कर्मचारियों का मानना था कि नई नौकरी पाने में रेफरेंस की सफलता का प्रतिशत 85 है। वहीं पांच में से एक कर्मचारी ने कहा कि नौकरी पाने के लिए आनलाइन रोजगार बाजार और सलाहकार बेहतर विकल्प है।

गुरुवार, 19 जनवरी 2012

फ्रेंचाइजी: बनें खुद के बॉस

फ्रेंचाइजी एक ऐसा काम है, जिसमें आप नामी कंपनियों के उत्पाद को अपने शो-रूम या दुकान में बेचते हैं और उस कंपनी की साख के हिसाब से मुनाफा कमा सकते हैं। आप भी फ्रेंचाइजी ले सकते हैं।  अगर आप खुद के बॉस बन जाएं तो कैसा लगेगा..? यदि मन में कुछ आशाएं कुलांचे भरने लगी हैं और खुद का बॉस बनने का सपना आकार लेने लगा है तो फ्रेंचाइजी इंडस्ट्री में हाथ आजमाने के लिए तैयार हो जाएं। फ्रेंचाइजी का मतलब है किसी नामी कंपनी के नाम का इस्तेमाल करके उसका सामान बेचना या उसी नाम से व्यापार करना।
यह एक ऐसा काम है, जिसे छोटे शहरों, कस्बों, यहां तक कि दूर-दराज के गांवों में भी शुरू किया जा सकता है। गांवों और छोटे कस्बों में आप किसान कॉल सेंटर और कम्प्यूटर ट्रेनिंग सेंटरों की फ्रेंचाइजी ले सकते हैं तो छोटे और बड़े शहरों में खाने-पीने और शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य से जुड़ी कम्पनियों की फ्रेंचाइजी ले सकते हैं। बस एक छोटा- सा निवेश आपको आसमान की बुलंदी तक ले जा सकता है।
क्या है फ्रेंचाइजी
बाजार में आजकल खुली प्रतिस्पर्धा और ब्रांडिंग का जमाना है।कम्पनियां अधिक से अधिक ग्राहक अपनी ओर खींचना चाहती हैं। कोई भी फेमस कम्पनी, जिसका नाम बाजार में स्थापित हो चुका होता है, वह कुछ शर्तों के साथ आपको अपने नाम के इस्तेमाल की इजाजत दे देती है। इसके लिए आपको कम्पनी द्वारा बनाए गए नियमों की कसौटी पर खरा उतरना होगा। मशहूर कम्पनी की फ्रेंचाइजी लेने से बाजार में स्थापित होने में समय नहीं लगता।
कैसे लें फ्रेंचाइजी
अगर आप फ्रेंचाइजी लेकर अपना काम शुरू करना चाहते हैं तो सबसे पहले इंडस्ट्री का चयन करें। फिर उसमें होने वाले खर्चे का आकलन करें। इस बात के लिए पूरी मार्केट रिसर्च करनी होगी कि किस इंडस्ट्री में किस कंपनी की फ्रेंचाइजी पर कितना पैसा लगाने पर कितना लाभ कमाया जा सकता है।
पूरी तैयारी के बाद कंपनी के फ्रेंचाइजर से मिलें। इंटरनेट पर भी कंपनियों के फ्रेंचाइजी नियमों और उपलब्धता के बारे में जानकारी उपलब्ध रहती है। अगर आप फ्रेंचाइजी कम्पनियों की शर्तों पर खरे उतरे तो आपको आसानी से फ्रेंचाइजी मिल जाएगी। शर्तों पर सहमति के बाद ही आपको किसी कम्पनी की फ्रेंचाइजी मिलेगी।
कैसे करें कंपनी का चुनाव
छोटी कम्पनियों की फ्रेंचाइजी २ लाख से १० लाख रुपये के बीच उपलब्ध है, इसलिए आप अपनी जेब के अनुसार फ्रेंचाइजी ले सकते हैं। आपको देखना होगा कि आप जिस जगह फ्रेंचाइजी लेना चाहते हैं, वहां आपका काम चल भी पाएगा कि नहीं। कम्पनी की मार्केट वैल्यू आंकने के बाद ही आप उसकी फ्रेंचाइजी लेने का फैसला करें।
फ्रेंचाइजी कंपनियों की मुख्य शर्तें
जगह: काम शुरू करने के लिए आपके पास पर्याप्त जगह होनी चाहिए।
सिक्योरिटी मनी: कंपनियां कुछ सिक्योरिटी मनी रखवाती हैं।
समय: सभी कंपनियों की अलग-अलग शर्तें होती हैं। कुछ कंपनियां निश्चित समयावधि तो कुछ आजीवन के लिए फ्रेंचाइजी देती हैं।
न ले सकता है फ्रेंचाइजी
फ्रेंचाइजी के लिए बहुत ज्यादा पढ़ा-लिखा होना जरूरी नहीं है। बिजनेस की थोड़ी-सी समझ, इसके अलावा जगह, सोशल नेटवर्क और जोखिम उठाने की क्षमता है तो आप इस क्षेत्र में आ सकते हैं।
किन-किन सेक्टरों में मिल सकती है फ्रेंचाइजी
मार्केट में हर सेक्टर की फ्रेंचाइजी उपलब्ध है। यह आप पर निर्भर करता है कि आप किस क्षेत्र में हाथ आजमाना चाहते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में जहां मदर्स प्राइड, शेमरॉक स्कूल, किड्स गुरुकुल और बचपन जैसे स्कूल फ्रेंचाइजी दे रहे हैं, वहीं उच्च शिक्षा में इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ कॉमर्स एंड ट्रेड जैसे संस्थान हैं। कंप्यूटर एजुकेशन के लिए भी एसटीसी टेक्नोलॉजी और एनिमेशन के लिए पिकासो डिजिटल मीडिया जैसे नाम शामिल हैं।
खाने-पीने के क्षेत्र में भी फ्रेंचाइजी उपलब्ध है। यहां फूड फैक्ट्री स्लाइस पिज्जा, अंकल फूड प्रोडक्ट्स, विजयनबिज जो एक साउथ इंडियन फूड कॉर्नर है, जे कार्ट हेल्थ एंड लाइफस्टाइल प्रा.लि., बेबे दा ढाबा जैसी कम्पनियां शामिल हैं। इनके अलावा रिटेल के क्षेत्र में किताबों की दुकान बुक कैफे, किड स्पेस, महिलाओं के ब्रांड स्वास्तिक, एक्वेरियम वर्ल्ड शॉप और ज्वेलरी डिजाइनिंग के क्षेत्र से जुड़ी डायागोल्ड जैसी कम्पनियां शामिल हैं।
निवेश
बहुत छोटी-सी धनराशि से आप बड़ा काम शुरू कर सकते हैं और इसमें जोखिम की संभावना भी कम है। छोटी कम्पनियों की फ्रेंचाइजी २ लाख से १० लाख के बीच में मिल जाती है।
सरकारी सहायता और लोन
केंद्र और राज्य सरकारों की लघु उद्योग से जुड़ी नीतियों में सब्सिडी के साथ लोन की व्यवस्था है। इसके अलावा बैंक भी लोन मुहैया करवाते हैं।
सुनहरा भविष्य
अमेरिकी मार्केट रिसर्च कम्पनी के मुताबिक एशियन फ्रेंचाइजी मार्केट की आय प्रतिवर्ष ५० बिलियन अमेरिकी डॉलर के हिसाब से बढ़ रही है और आने वाले पांच सालों में यह १०० बिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाएगी। पिछले तीन-चार सालों में भारत में फ्रेंचाइजी का ट्रेंड ३० से ३५ प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से बढ़ा है, इसलिए भविष्य में भी फ्रेंचाइजी मार्केट हॉट रहने की उम्मीद की जा सकती है।

एक्सपर्ट व्यू
मार्केट रिसर्च के बाद ही फ्रेंचाइजी लें
प्रवीण गुप्ता, फ्रेंचाइजी एक्सपर्ट

भारत में इस समय तकरीबन ७५० देसी-विदेशी कंपनियों की फ्रेंचाइजियां काम कर रही हैं, जिनमें तीन लाख लोगों को सीधा रोजगार मिला हुआ है। पूरे देश में बन रही १५०० सुपरमार्केट, ५०० से भी ज्यादा बन रहे नए मॉल और डिपार्टमेंटल स्टोर इस क्षेत्र के सुनहरे भविष्य को पुख्ता करते हैं। विदेशी कंपनियां भारत के सभी राज्यों में फ्रेंचाइजी मार्केट को बढ़ावा दे रही हैं। भारत में फ्रेंचाइजी का कॉन्सेप्ट अभी नया है और इससे संबंधित सही जानकारी कुछ ही लोगों के पास उपलब्ध है। कंपनियां इसी का फायदा उठा कर अक्सर लोगों को ठगने में कामयाब होती हैं।

विदेशों में फ्रेंचाइजी को लेकर अलग से कानून है, जबकि भारत में अभी इस संबंध में कोई कानून नहीं है। अगर आप भी फ्रेंचाइजी लेना चाहते हैं तो इसके लिए पूरी मार्केट रिसर्च करके इस क्षेत्र में उतरें। इसके लिए आप किसी जानकार व्यक्ति की सलाह भी अवश्य लें। हमारे देश में प्रतिवर्ष फ्रेंचाइजी प्लस एक्सपो लगता है, जहां से जानकारी लेकर आप पूरी तरह आश्वस्त होकर इस काम की शुरुआत कर सकते हैं। भारत में फ्रेंचाइजी का सालाना कारोबार ३० बिलियन अमेरिकी डॉलर से भी ज्यादा का है।

बेरोजगार युवकों के लिए फ्रेंचाइजी कमाई का एक अच्छा जरिया है। अगर आप कम पैसे और कम जोखिम के साथ फ्रेंचाइजी लेना चाहते हैं तो आपके लिए बिजनेस सर्विस, रिटेल, फाइनेंशियल सर्विस, रियल एस्टेट, ट्रैवल, होटल, मोटल, फूड एंड बेवरेज, लाइफस्टाइल, एजुकेशन, एन्टरटेनमेंट, ऑटोमोटिव, आईटी, हेल्थ और ब्यूटी केयर ऐसे क्षेत्र हैं, जहां खूब संभावनाएं हैं।

कई कम्पनियां तो अपनी फ्रेंचाइजी कुछ शर्तों सहित मुफ्त देती हैं तो कई के लिए कम्पनियां बदले में कुछ सिक्योरिटी मनी रखवाती हैं।

आज मैं खुद का मालिक हूं
सक्सेस स्टोरी/सुशील कुमार
नेवा के फ्रेंचाइजी होल्डर, बलिया

सुशील सामान्य ग्रेजुएट हैं, लेकिन फिर भी वे एक स्मार्ट बिजनेसमैन हैं। पहले वे नौकरी करते थे, लेकिन नौकरी से तंग आकर उन्होंने दुकानदारी की, पर मार्केटिंग के लिए हर महीने दिल्ली-कोलकाता के चक्कर काटते-काटते वे परेशान हो गए तो उन्होंने फ्रेंचाइजी लेने का निर्णय किया।

आज उनके पास कई नामी कम्पनियों की फ्रेंचाइजी हैं। वे कहते हैं कि मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि बलिया जैसे छोटे शहर के लोग ब्रांड्स को इतना पसंद करेंगे। फ्रेंचाइजी के लिए पैसे कम थे तो सुशील ने अपने एक दोस्त के साथ मिल कर काम शुरू किया। शुरुआत में उन्हें दो लाख रुपये खर्च करने पड़े। आज उन्हें मार्केटिंग के लिए दिल्ली और कोलकाता की भीड़ भरी जगहों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते, बल्कि एक फोन पर ही सारा सामान दुकान में पहुंचता है। वे कहते हैं कि फ्रेंचाइजी से उनकी रोजी-रोटी का स्थाई और पुख्ता जुगाड़ हो गया है। फ्रेंचाइजी के काम में मेहनत तो है, लेकिन पैसा और शोहरत भी हैं। वे गर्व से कहते हैं- आज मैं खुद का मालिक हूं।

यह क्षेत्र कम निवेश और कम जोखिम के साथ बेहतर लाभ देने वाला है। सुशील कहते हैं कि शहरों में फ्रेंचाइजी खोलने के अवसर बड़े पैमाने पर मौजूद हैं। इस क्षेत्र में कम पैसे में बेहतर लाभ कमाया जा सकता है। अब मेरी नजर विदेशी कंपनियों पर है। कई विदेशी कंपनियां भारत में अपने आउटलेट खोलने जा रही हैं और उनकी नजर छोटे शहरों और कस्बों पर भी है। ऐसे में ऐसी कंपनियों से साझा फ्रेंचाइजी लेकर अपना बिजनेस शुरू करना काफी फायदेमंद है। अब ब्रांड्स का जमाना है, इसलिए लोगों की पसंद बदल चुकी है।

सोमवार, 16 जनवरी 2012

तेल क्षेत्र में नौकरियों की बहार

सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों में नौकरी की बहार है। वित्तीय अनिश्चितताओं का असर नई भर्ती की उनकी योजनाओं पर नहीं पड़ा है। इससे निजी क्षेत्र में नई भर्तियों में आई गिरावट की भरपाई करने में मदद मिलेगी। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ;आईओसीद्ध और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन ;एचपीसीएलद्ध जैसी सरकारी फर्में इस साल करीब 1ए000 नए एग्जिक्यूटिव की भर्ती की योजना बना रही हैं। ये कंपनियां एक्सएलआरआई.जमशेदपुरए सिम्बायसिसए पुणेए एफएमएस.दिल्ली और आईआईटी जैसे संस्थानों से रिक्रूटमेंट करेंगी। आईओसी 2012.13 के दौरान एग्जिक्यूटिव श्रेणी में 500 कर्मचारियों की भर्ती कर सकत हैं। नॉन.एग्जिक्यूटिव श्रेणी में भी करीब 150 भर्तियां की जा सकती हैं। सार्वजनिक क्षेत्र की यह रिफाइनिंग और मार्केटिंग कंपनी रिक्रूटमेंट के लिए कई बिजनेस स्कूलों का दौरा करने की योजना बना रही है। कोल इंडिया और भेल ने भी हाल के सालों में आईआईएम के स्टूडेंट्स को नौकरियों के ऑफर दिए हैं। आईओसी ने साल 2009 में आर्थिक सुस्ती के दौरान आईआईएम से रिक्रूटमेंट किए थे। लेकिन कंपनी उन्हें ज्यादा दिन तक अपने यहां नहीं रख सकीए क्योंकि उन्हें जल्द ही प्राइवेट सेक्टर से मोटा सैलरी का पैकेज मिल गया। उम्मीद है कि इस साल कंपनी दूसरे संस्थानों से भी हायरिंग करेगी। कंपनी इंटरनेशनल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट ;आईएमआईद्ध.नई दिल्लीए इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी ;आईएमटीद्ध.गाजियाबादए सिम्बायसिस इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट ;एसआईबीएमद्ध.पुणे जैसे संस्थानों में कैंपस के लिए जा सकती है। वित्त वर्ष 2011.12 के दौरान आईओसी ने 567 नए एग्जिक्यूटिव भर्ती किए। कई पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों पर सरकार का नियंत्रण होने की वजह से तेल कंपनियों को भले ही नुकसान उठाना पड़ रहा हैए लेकिन गैर.वित्तीय प्रदर्शन से जुड़े पैमानों पर उनका प्रदर्शन बेहतर है। प्रति कर्मचारी मूल्य संवर्द्धनए रिफाइनरीए पाइपलाइंस और मार्केटिंग क्षमता जैसे एचआर के मानकों पर इनके प्रदर्शन में सुधार आया हैं। एचपीसीएल ने साल 2012.13 के दौरान 300 अधिकारियों की भर्ती करने की योजना बनाई है। एचपीसीएल ने एक बयान में कहाए श्एलपीजीए रीटेलए ऑपरेशंस एंड डिस्ट्रीब्यूशन और प्रोजेक्ट एंड पाइपलाइंस सेगमेंट में सबसे ज्यादा भतिर्यां देखने को मिलेंगी।श्

रविवार, 15 जनवरी 2012

ग्लोबल टेस्ट में नीचे से दूसरे नंबर पर रहे भारतीय छात्र

दुनिया भर में आईटी सेक्टर के भारतीय छात्र भले ही बेहतरीन प्रदर्शन करते रहे हों, लेकिन कई दूसरे स्तर पर भारत अब भी शिक्षा के मामले में काफी पिछड़ा है और इंटरनैशनल लेवल पर खुद को साबित करने के लिए इसके एजुकेशन सिस्टम में बेहतरी की काफी गुंजाइश है। एक इंटरनैशनल स्टडी में भारतीय छात्रों का प्रदर्शन पूरी तरह फ्लॉप रहा है।अंतरराष्ट्रीय स्तर की स्टडी में १५ साल की उम्र के भारतीय स्टूडेंट्स को दुनिया भर के इसी ऐज ग्रुप के स्टूडेंट्स के साथ रीडिंग, मैथ्स और साइंस संबंधी क्षमताओं से जुड़े असैसमेंट प्रोग्राम में बिठाया गया तो वह बुरी तरह पिछड़ गए। केवल किर्गीस्तान को हराते हुए भारतीय छात्र सेकंड लास्ट (नीचे से सेकंड) पॉजिशन पर आए।
ऑर्गनाइजेशन फॉर इकॉनमिक को-ऑपरेशन ऐंड डिवेलपमेंट ( ह्रश्वष्टष्ठ ) द्वारा हर साल आयोजित किए जाने वाले प्रोग्राम फॉर इंटरनैशनल स्टूडेंट असैसमेंट (क्कढ्ढस््र) में ७३ देशों से आए स्टूडेंट्स ने भाग लिया। यह असैसमेंट बच्चों एजुकेशन सिस्टम के मूल्यांकन के लिए किया जाता है। तकरीबन ५ लाख स्टूडेंट्स ने इसमें पार्टिसिपेट किया और यह सर्वे ढाई घंटे चला।
चीन के शंघाई प्रांत से भी स्टूडेंट्स ने पहली बार ही भाग लिया था लेकिन इस सर्वे में वे रीडिंग फील्ड में टॉप पर रहे। मैथमेटिक्स और साइंस में भी उन्होंने ही टॉप किया।विश्लेषण में बताया गया, 'शंघाई के एक चौथाई से भी ज्यादा स्टूडेंट्स ने मुश्किल समस्याओं को सुलझाने में अडवांस्ड मैथमेटिकल थिंकिंग स्किल्स का प्रयोग किया, ह्रश्वष्टष्ठ के सिर्फ ३ परसेंट की तुलना में।' ग्लोबल टॉपर से भारतीय छात्र २०० अंकों से पिछड़े।सरकार ने इस प्रोग्राम में शामिल होने के लिए तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश से विद्यार्थियों का चयन किया था ताकि वे शिक्षा और विकास की चमकदार तस्वीर पेश करके आएं लेकिन नतीजे कुछ और ही सामने आए।इन २ राज्यों की परफॉर्मेंस से जो नतीजे सामने आए, वह उदास करने वाले है। गणित में भारत ने मात्र किर्गीस्तान को हराया और दूसरे व तीसरे नंबर पर रहे। इंग्लिश टेक्स्ट पढ़ने में भी तमिलनाडु और हिमाचल के छात्र केवल किर्गीस्तान से बेहतर थे। उसमें भी इन राज्यों की लड़कियां लड़कों से काफी बेहतर थीं। सांइस के टेस्ट में हिमाचल के स्टूडेंट्स सबसे फिसड्डी साबित हुए और तमिलनाडु ने हल्का बेहतर प्रदर्शन किया और नीचे से तीसरे नबंर पर रहा। जाहिर है कि सरकार को अपने एजुकेशनल सिस्टम पर गौर करने की जरूरत है।

रविवार, 1 जनवरी 2012

नए साल में होगी नौकरियों की बारिश

५ लाख नौकरियां कर रही हैं इंतजार
नौकरी की तलाश कर रहे लोगों के लिए बड़ी खुशखबरी है। नए साल में तकरीबन ५ लाख नौकरियां इनका इंतजार कर रही हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि २०१२ में तमाम आर्थिक उठापटक के बीच कंपनियां ५ लाख से ज्यादा लोगों को नौकरी पर रखेंगी। सिर्फ यही नहीं जो लोग नौकरी कर रहे हैं उनके लिए भी बड़ी खुशखबरी है। आर्थिक निराशा के ग्लोबल वातावरण के बावजूद कर्मचारियों की सैलरी डबल डिजिट में होगा।ग्लोबल हंट के डायरेक्टर सुनील गोयल का कहना है कि अगर सब कुछ ठीक रहा और सरकार की नीतियां सही दिशा में चलती रहीं तो सभी सेक्टर में करीब ५ लाख नई नौकिरियां क्रिएट होंगी।२०११ में भारत के जॉब मार्केट में शुरू में काफी अनिश्चितता रही, लेकिन बाद में हालात सुधरे। कंपनियों ने सतर्क होकर रोजगार दिया, लेकिन इस साल स्थिति कहीं बेहतर रहेगी।एलिक्सर कंसल्टिंग की वाइस प्रजिडेंट मोनिका त्रिपाठी ने बताया कि सिर्फ आईटी सेक्टर में २०१२ में ३ लाख नई नौकरियां होंगी। २०११ की तुलना में इस साल ७ से ८ फीसदी तक ज्यादा रोजगार मिलेंगे।