शनिवार, 31 मार्च 2012

परिस्थितियां एक.सी नहीं रहतीं लेकिन आप रहें

आप चाहे नौकरी में हों या व्यवसाय में कई बार स्थितियां अनुकूल होने पर आप इतने उत्साहित हो जाते हैं कि उस उत्साह में ही आपसे कुछ गलत भी हो जाता है इसी तरह स्थितियां प्रतिकूल रहने पर आप इतने निराश हो जाते हैं कि आपको उसका नुकसान उठाना पड़ता है क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है असल में हमें अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रहता भावनाओं का आवेग दिमाग पर इस कदर हावी रहता है कि हम उसे प्रदर्शित किये बगैर रह नहीं पाते
परिस्थितियां कैसी भी हों हमें अपना रियेक्शन या अपनी भावनाएं हमेशा संतुलित रखने का प्रयास करना चाहिए एक संत के पास कोई युवक आया  उसने संत से शांति का रास्ता पूछा  संत ने उसको उसी शहर में किसी सेठ के पास भेज दिया सेठ ने युवक की पूरी बात सुनी उसने युवक को बैठने के लिए कहा और फ़िर इसके बाद बिना कोई बातचीत किये अपने काम में व्यस्त हो गया ण्कभी वह ग्राहकों से बातें करता कभी फ़ाइलें देखता कभी मुनीम को निर्देश देता और कभी फ़ोन पर सूचनाएं भेजता काफ़ी देर तक उसकी व्यस्तता देख युवक ने सोचा यह मुझे क्या बतायेगा इसे तो दम मारने की भी फ़ुर्सत नहीं है यह तो इतना व्यस्त है कि इसे अपने ही काम के लिए समय नहीं मिल पा रहा ह तो मुझे क्या समय देगा
अचानक सेठ का सबसे बड़ा मुनीम उसके पास हांफ़ता हुआ आया और सेठ को संबोधित कर कहा गजब हो गया अपना मालवाही जहाज समुद्री तूफ़ान में फ़ंस गया है उसके डूबने की आशंका है ण्सेठ बोला मुनीम जी! अधीर क्यों हो रहे हैं अनहोनी कुछ भी नहीं हुआ है जहाज डूबने की नियति थी तो उसे कोई कैसे बचा सकता है सेठ की बात सुन कर मुनीम कुछ आश्वस्त होकर चला गया दो घंटे बाद मुनीम फ़िर वापस आया और उत्साहित होकर बोला सेठ जी! तूफ़ान शांत हो गया हमारा जहाज डूबा नहीं सुरक्षित तट पर आ गया माल उतारते ही दोगुनी कीमत में बिक गया सेठ पहले की ही तरह शांत और गंभीर रहा फ़िर बोला मुनीम जी! इसमें इतनी खुशी की क्या बात है तूफ़ान अगर नहीं आता तो भी क्या आप इतने ही खुश होते व्यापार में घाटा और मुनाफ़ा होता ही रहता है हमें दोनों ही तरह की परिस्थितियों के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए पैसा आता है तो जा भी सकता है युवक साक्षी भाव से सेठ का प्रत्येक व्यवहार देख रहा था वह बोलाए सेठ साहब! मैं जाता हूं मुझे आपके जीवन से सही पाठ मिल गया अनुकूल और प्रतिकूल दोनों ही स्थितियों में संतुलन बनाये रखना बेहद जरूरी है ण्हमें भी इस आदत को अपनी डेली लाइफ़ में शामिल करना चाहिए ताकि सफ़लता की ओर बढ़नेवाला हमारा एक.एक कदम संतुलित हो
बात पते की.
अनुकूल और प्रतिकूल दोनों ही स्थितियों में संतुलन बनाये रखना बेहद जरूरी है
अनुकूल स्थितियों में अति उत्साहित न हों और प्रतिकूल स्थितियों में निराश न हों सफ़लता का यह आजमाया हुआ फ़ार्मूला है
इतना नुकसान है तो क्रोध क्यों करना

क्रोध में लोग अपना कितना नुकसान कर लेते है बावजूद इसके यह आदत नहीं जाती आपने गौर किया होगा कि जब आप ज्यादा बीमार होते हैं और डॉक्टर आपको परहेज के बारे में कहते हैं तो आपकी कोशिश यही होती है कि आप डॉक्टर की बातों को ज्यादा से ज्यादा फ़ॉलो करें ताकि आप जल्दी स्वस्थ हो सकें जल्दी स्वस्थ होने की इच्छा ही आपको प्रेरित करती है कि आप परहेज का खास ध्यान रखें लेकिन जब बात आपके कैरियर की आती है तो आप परहेज करना नहीं चाहते जबकि यह तय है कि क्रोध से परहेज कैरियर में सफ़लता के लिए बेहद जरूरी है जब तक क्रोध से परहेज नहीं करेंगे आपको अपने टारगेट तक पहुंचने में काफ़ी दिक्कतें आयेंगी बचपन से ही हम सब क्रोध से होनेवाले नुकसान के बारे में सुनते आये हैं लेकिन क्रोध की आदत छोड़ते नहीं सोचिए कि क्रोध के कारण कितना नुकसान उठाना पड़ा है आज तक ण्ण्फ़िर उसे जारी क्यों रखना

शूरसेन को क्रोध बहुत आता था और वह गुस्से में कई बार अनुचित फ़ैसले भी ले लेते थे जिससे भारी परेशानी होती थी हालांकि क्रोध उतरने पर वह माफ़ी भी मांग लेते थे एक दिन राजा अपने मंत्री से बातचीत कर रहे थे उसी समय मंत्री के मुंह से कुछ गलत बात निकल गयी जिसे सुन कर राजा का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया उन्होंने आव देखा न ताव तुरंत मंत्री को फ़ांसी की सजा सुना दी मंत्री को फ़ांसी के लिए ले जाया जाने लगा उससे आखिरी इच्छा पूछी गयी मंत्री राजा के क्रोध को समझता था वह बोला महाराज मैंने हाल ही में एक कला सीखी है मैं पशुओं की बोली समझ सकता हूं और उनसे बात भी कर सकता हूं मेरी बड़ी इच्छा है कि मैं वह कला आप को सिखाऊं राजा ने पूछा उस कला को सीखने में कितना समय लगेगा मंत्री बोला कम से कम तीन महीने मंत्री की आखिरी इच्छा का सम्मान कर राजा ने फ़ांसी को तीन माह के लिए टलवा दिया इतने दिनों में राजा का गुस्सा शांत हो गया वह समझ गये कि पशुओं की भाषावाली बात मंत्री ने जानबूझ कर गढ़ी है ताकि फ़ांसी को टाला जा सके उन्हें इस बात का भी अहसास हो गया कि बिना मतलब ही उन्होंने मंत्री को फ़ांसी की सजा सुना दी थी वह मंत्री से बोले मंत्री जी हमें माफ़ कर दीजिए उस दिन हम गुस्से में बहुत गलत फ़ैसला ले बैठे थे अगर उस दिन आप चतुराई से पशुओं से बात करनेवाली कला के बारे में नहीं कहते तो शायद हम आज पछता रहे होते मंत्री बोला मैंने तो अपनी चतुराई से जान बचा ली लेकिन उनका क्या जो आपके क्रोध का आये दिन शिकार होते हैं आप क्रोध पर नियंत्रण रखने का प्रयास करें इससे आप प्रजा के बीच अलोकप्रिय होते जा रहे हैं राजा ने उस दिन से गुस्से पर काबू करना शुरू कर दिया

 बात पते की
कैरियर में सफ़लता के लिए क्रोध से परहेज बेहद जरूरी है
गुस्सा करने की आदत के कारण कई अवसर हाथ से निकल जाते हैं
सोचिए कि अब तक गुस्सा कर आपने क्या हासिल कर लिया है और क्या खोया है खुद ही फ़ैसला करें कि आपको क्या करना चाहिए